दुनिया भर में ज़ीका वायरस के बड़े पैमाने पर फ़ैलने की ख़बरों के बाद भारत भी चिंतित है। सरकारी स्वास्थ्य विभाग ने ज़ीका वायरस की रोकथाम के लिए कई ऐहतियात बरतने को कहा है। भारत में गर्मियां शुरू होते ही मच्छरों से फैलने वाली बीमारी डेंगू, चिकेनगुनिया आदि बीमारियां फैलने लगती हैं। अब यहां ज़ीका वायरस का भी खतरा मंडरा रहा है। हालांकि भारत में अभी तक ज़ीका वायरस का कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
भारत के लिए ये कितना घातक हो सकता है?
ज़ीका दरअसल एक वायरस ही है जो अफ्रीका से शुरू होकर दक्षिण अमरीका और कुछ और देशों में पाया जा रहा है। ये डेंगू और चिकेनगुनिया की तरह एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है।
भारत में भी एडीज़ मच्छर पाए जाते हैं। ज़ीका के पनपने के लिए यहां का मौसम भी अनुकूल है। लेकिन जहां तक ख़तरे की बात है तो ज़ीका वायरस से जुड़े दुनिया भर में जितने भी मामले आए हैं उनमें देखा गया है कि 80 प्रतिशत मरीजों को ज्यादा दिक्कत नहीं हुई है। लेकिन जो सबसे बड़ी समस्या देखी गई है वो गर्भवती महिला को लेकर है। ज़ीका के कारण जो शिशु हैं, ख़ासकर दूध पीने वाले, उनके मानसिक विकास प्रभावित हुए हैं।
जीका वायरस के क्या लक्षण हैं?
1.ज़ीका के लक्षण आम वायरल बीमारियों की ही तरह हैं।
2.प्रमुख लक्षणों में बुख़ार, जोड़ो में दर्द, चमड़ी पर लाल-लाल निशान और शरीर में दर्द होना है।
3.इसके अलावा यदि इन लक्षणों के साथ किसी की प्रभावित क्षेत्र मे यात्रा इतिहास हो तो हमें ख़ास ऐहतियात बरतने होंगे।
इससे निपटने के लिए भारत कितना तैयार है?
ज़ीका एक वायरल बीमारी है। इसकी कोई ख़ास दवा नहीं है। और फिलहाल इसके लिए कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए इससे लड़ने के लिए केवल रोकथाम पर ही ध्यान दिया जा सकता है। हमें सरकार को इस प्रयास में सहयोग करना होगा। ये भी देखना ज़रूरी है कि मच्छरों को पनपने से रोका जाए। यात्रियों की स्क्रीनिंग हो। और यदि कोई भी संदेहास्पद मामला हो तो उसे अच्छी तरह अलग से ध्यान दिया जाए।
रोकथाम के लिए तीन ज़रूरी सलाह
1.ज़ीका वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारतीय स्वास्थ्य विभाग ने तीन ज़रूरी सलाह दी है।
2.सबसे पहले तो यात्रियों, ख़ासतौर पर गर्भवती महिलाओं को ज़ीका प्रभावित देशों में जाने से बचने के लिए कहा गया है।
3.दूसरे लोग मच्छरों से ख़ुद को बचा कर रखें। तीसरे सुझाव के तहत ज़ीका की खोजबीन करने के लिए प्रमुख रूप से दिल्ली स्थित नेशनल सेन्टर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी एनसीडीसी और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी यानी एनआईवी की मदद ली जाएगी।
भारत के लिए ये कितना घातक हो सकता है?
ज़ीका दरअसल एक वायरस ही है जो अफ्रीका से शुरू होकर दक्षिण अमरीका और कुछ और देशों में पाया जा रहा है। ये डेंगू और चिकेनगुनिया की तरह एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है।
भारत में भी एडीज़ मच्छर पाए जाते हैं। ज़ीका के पनपने के लिए यहां का मौसम भी अनुकूल है। लेकिन जहां तक ख़तरे की बात है तो ज़ीका वायरस से जुड़े दुनिया भर में जितने भी मामले आए हैं उनमें देखा गया है कि 80 प्रतिशत मरीजों को ज्यादा दिक्कत नहीं हुई है। लेकिन जो सबसे बड़ी समस्या देखी गई है वो गर्भवती महिला को लेकर है। ज़ीका के कारण जो शिशु हैं, ख़ासकर दूध पीने वाले, उनके मानसिक विकास प्रभावित हुए हैं।
जीका वायरस के क्या लक्षण हैं?
1.ज़ीका के लक्षण आम वायरल बीमारियों की ही तरह हैं।
2.प्रमुख लक्षणों में बुख़ार, जोड़ो में दर्द, चमड़ी पर लाल-लाल निशान और शरीर में दर्द होना है।
3.इसके अलावा यदि इन लक्षणों के साथ किसी की प्रभावित क्षेत्र मे यात्रा इतिहास हो तो हमें ख़ास ऐहतियात बरतने होंगे।
इससे निपटने के लिए भारत कितना तैयार है?
ज़ीका एक वायरल बीमारी है। इसकी कोई ख़ास दवा नहीं है। और फिलहाल इसके लिए कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए इससे लड़ने के लिए केवल रोकथाम पर ही ध्यान दिया जा सकता है। हमें सरकार को इस प्रयास में सहयोग करना होगा। ये भी देखना ज़रूरी है कि मच्छरों को पनपने से रोका जाए। यात्रियों की स्क्रीनिंग हो। और यदि कोई भी संदेहास्पद मामला हो तो उसे अच्छी तरह अलग से ध्यान दिया जाए।
रोकथाम के लिए तीन ज़रूरी सलाह
1.ज़ीका वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारतीय स्वास्थ्य विभाग ने तीन ज़रूरी सलाह दी है।
2.सबसे पहले तो यात्रियों, ख़ासतौर पर गर्भवती महिलाओं को ज़ीका प्रभावित देशों में जाने से बचने के लिए कहा गया है।
3.दूसरे लोग मच्छरों से ख़ुद को बचा कर रखें। तीसरे सुझाव के तहत ज़ीका की खोजबीन करने के लिए प्रमुख रूप से दिल्ली स्थित नेशनल सेन्टर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी एनसीडीसी और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी यानी एनआईवी की मदद ली जाएगी।
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