Friday, 25 March 2016

आपके सपने बड़े होने चाहिए – Inspirational Life Story of Dhirubhai Ambani

अगर आप अपने सपनों का निर्माण नहीं करेंगे तो कोई और अपने सपने पूरे करने में आपका उपयोग करेगा”
“If you don’t build your dream, someone else will hire you to help them build theirs.”
ये शब्द हैं उस व्यक्ति के जिसे अपने गुजरने के सालों बाद भी भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के किसी भी कोने में किसी परिचय की ज़रुरत नहीं| ये बोल हैं स्वर्गीय धीरजलाल हीराचंद अम्बानी उर्फ़ धीरुभाई अम्बानी (Dhirubhai Ambani) के|
उनके व्यक्तित्व और उनके आत्मविश्वास का आकलन उनके शब्दों से किया जा सकता है|  धीरुभाई अम्बानी ने जीवन में अनेक मुसीबतों का सामना किया और जिंदगी की कठिनाइयों से संघर्ष कर भारत के सबसे बड़े उद्योगपति बन गए और इसी कारण वे करोड़ों लोगों के प्रेरणास्त्रोत हैं|

धीरुभाई का बचपन – Childhood Days of Dhirubhai Ambani 

उनका जन्म 28 December 1932 को जूनागढ जिले के चरोड़ गाँव के एक बेहद मध्यम्वार्गीय गुजराती परिवार में हुआ| उनके पिता का नाम हीराचंद अम्बानी तथा माता का नाम जमनाबेन था| उनके पिता गाँव की ही एक पाठशाला में अध्यापक थे| परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी जिससे धीरुभाई छोटी सी उम्र से ही भली भांति परिचित थे| यह भी मुमकिन है कि अपने परिवार को कठिन परिस्थितियों से जूझता हुआ देख ही बालक धीरू को एक दिन बहुत बड़ा इंसान बनने की प्रेरणा मिली हो|

अम्बार लगा दूंगा

धीरुभाई अम्बानी का आत्मविश्वास शायद बचपन से ही अपने चरम पर था, इस बात का साक्ष्य एक वाकये से मिलता है| एक दिन धीरुभाई की माँ ने उन्हें और उनके बड़े भाई को पिता के साथ पैसा कमाने में मदद करने को कहा तब धीरुभाई ने माँ से गुस्से में कहा कि “तुम बार बार पैसे के बारे में क्यों कहती हो, एक दिन मैं पैसे का अम्बार लगा दूंगा|”

गाँव के मेलों में भजिए बेचे 

धीरुभाई ने स्कूल के दिनों में ही उद्यमिता की दुनिया में पहला कदम रख दिया था और उन्होंने अपने गाँव में हर हफ्ते लगने वाले मेलों में भजिए बेचना शुरू किया| वे जितना भी पैसा भजिए बेचकर कमाते, सब अपनी माँ को लाकर दे देते|

करियर और व्यवसाय की शुरुआत

धीरुभाई अम्बानी ने अपनी पहली नौकरी यमन के शहर अदन में की|  वे वहा की कंपनी अ. बेससे में 300 रूपये के वेतन पर एक छोटी सी नौकरी करते थे| वहीँ से धीरुभाई के मन में व्यवसाय की बारीकियां जानने को लेकर उत्सुकता पैदा हुई| यहीं से वे अ. बेससे में नौकरी करते हुए एक गुजराती व्यावसायिक कंपनी में काम करने लगे और वहां से उन्होंने लेखा जोखा, वित्तीय विभाग का काम और शिपिंग पेपर्स तैयार करना सीखा|
उसी दौरान आज़ादी के लिए हुए यमनी आन्दोलन ने aden में रह रहे भारतियों के लिए व्यवसाय के सारे दरवाज़े बंद कर दिए| तब 1958 में धीरुभाई भारत वापस आ गए और मुंबई में व्यवसाय शुरू करने के लिए अवसर तलाशने लगे| चूँकि धीरुभाई व्यापार में एक बड़ा निवेश करने में असक्षम थे तो मसालो और शक्कर का व्यापार रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन के नाम से शुरू किया| इस व्यापार के पीछे धीरुभाई का लक्ष्य मुनाफे पर ज्यादा ध्यान न देते हुए ज्यादा से ज्यादा उत्पादों का निर्माण और उनकी गुणवत्ता पर था|
इसके बाद धीरुभाई ने सूत के व्यापार में हाथ डाला जिसमे पहले के व्यापर की तुलना में ज्यादा हानि की आशंका थी| पर वे धुन के पक्के थे उन्होंने इस व्यापार को एक छोटे स्टार पर शुरू किया और जल्द ही अपनी काबिलियत के बल बूते धीरुभाई बॉम्बे सूत व्यापारी संगठन के संचालक बन गए|
उनकी दूरदर्शिता और जल्द व प्रभावी फैसले लेने के गुण ने इस व्यापार में उन्हें अत्यधिक लाभ दिलाया| ये लाभ भविष्य में धीरुभाई को रिलायंस टेक्सटाइल्स कंपनी की स्थापना करने में काम आया| इस मोके को भुनाते हुए उन्होंने 1966 में अहमदाबाद के नरोदा में भी एक टेक्सटाइल कंपनी की स्थापना की|  वे हर हफ्ते मुंबई से अहमदाबाद कंपनी का विश्लेषण लेने आते थे और हर कर्मचारी की तकलीफ सुनते और उसे हल करने को आश्वस्त करते| उनका लक्ष्य सिर्फ कंपनी की स्थापना नही बल्कि सबसे अच्छा और सबसे ज्यादा सूत निर्यात करना था|
धीरे-धीरे रिलायंस टेक्सटाइल सबसे बेहतर गुणवत्ता वाला सूत प्रदान करने वाली कंपनी के तौर पर उभर चुकी थी| पर यहाँ भी एक परेशानी थी – दुकानदार बडी मीलों से कपडा खरीदने को तैयार थे पर रिलायंस से नहीं| धीरुभाई भी कहाँ हार मानने वाले थे, उन्होंने अपना कपडा सड़कों पर बेचना शुरू किया| उनके इस साहसी स्वभाव ने सबको प्रभावित किया| जल्द ही उनका कपडा “वीमल” बाज़ार का सबसे ज्यादा बिकने वाला कपडा बन गया| इस तरह रिलायंस कंपनी सालों तक तरक्की के मार्ग पर अग्रसर रही| बाद में रिलायंस ने अपनी अन्य दूरसंचार, संरचना और उर्जा की शाखाओं की भी स्थापना की|
धीरुभाई अम्बानी की कुछ प्रेरक उपलब्धियां
रिलायंस भारत की पहली ऐसी कंपनी थी जिसे फोर्ब्स ने विश्व की सबसे सफल 500 कंपनियों की सूची में शामिल किया था| उनके कभी न हार मानने वाले स्वभाव के बल पर उन्होंने कई सम्मानीय पुरस्कार प्राप्त किये| इनमे से मैन ऑफ़ द २० सेंचुरी, डीन मैडल और कॉर्पोरेट एक्सीलेंस का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कारसबसे प्रमुख हैं| उन्हें ए.बी.एल.एफ. (एशियन बिज़नस लीडरशिप फोरम) द्वारा भी ए बी एल एफ ग्लोबल एशियन अवार्ड प्रदान किया गया था|
आज रिलायंस देश ही नही बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है| धीरुभाई 6 जुलाई 2002 को दुनिया को अलविदा कह गए पर अपने पीछे अपनी जिंदगी की एक कहानी छोड़ गए जो करोड़ों लोगों को प्रेरित करती रहेगी कि अगर एक छोटे से गाँव का लड़का अपने आत्मविश्वास के बल पर करोड़ों लोगों की जिदगी बदल सकता है तो इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं

कहानी – तितली का संघर्ष :- Motivational Hindi Story of Butterfly

एक बार एक लड़के ने पेड़ के पास एक तितली के खोल को देखा| उसने देखा कि तितली खोल से बाहर निकलने के लिए बार बार संघर्ष कर रही थी| उस लड़के को तितली पर दया आ गयी और उसने तितली की मदद करने की कोशिश की| उस लड़के ने खोल को तोड़ दिया और तितली को बाहर निकाल दिया| लेकिन कुछ ही देर में तितली मर गयी|
लड़के को यह समझ नहीं आ रहा था कि वह तितली कैसे मर गयी और उसने सारी बात अपनी माँ को बताई| माँ ने उसे कहा – “संघर्ष ही प्रकृति का नियम है और खोल से बाहर आने के लिए तितली को जो संघर्ष करना पड़ता है उससे उसके पंखों और शरीर को मजबूती मिलती है| तुमने तितली की मदद करके उसे संघर्ष करने का मौका नहीं दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गयी”|

 

कहानी – जिराफ का संघर्ष – Inspirational Hindi Story of Giraffe

जिराफ का बच्चा जब जन्म लेता है तो वह माँ के गर्भ से 10 फीट की ऊंचाई से पीठ के बल गिरता है। गिरने के बाद उसमें उठकर खड़े होने की शक्ति नहीं होती|
जब जिराफ का बच्चा खड़ा नहीं होता तो उसकी माँ उसे बार-बार जोर-जोर से लातें मारती है और वह बच्चा तब तक यह लातें खता रहता है जब तक कि वह उठकर खड़ा नहीं हो जाता| और कुछ देर बाद वह बच्चा डगमगाते हुए उठ कर खड़ा हो जाता है|
अगर जिराफ़ के बच्चे को अपनी माँ से यह लाते खाने को न मिले तो वह खड़े होने से पहले ही शेर या अन्य शिकारी जानवर के पेट में पहुँच जाए|
तितली और जिराफ की तरह हर प्राणी को संघर्षों का सामना करना पड़ता है| प्रकृति का यही नियम हैं और जो व्यक्ति इस नियम को समझ जाता है वह सफल हो जाता है|
सफलता की हर कहानी एक असफलता की कहानी भी है| जो व्यक्ति असफलता को चुनौती समझकर स्वीकार करता है वह असफलता को हरा देता है और जो व्यक्ति असफलता से डर जाता है वह कुछ नहीं कर पाता|

Never Give Up – कभी हार मत मानो


बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है|

“अधिकतर लोग ठीक उसी समय हार मान लेते है, जब सफलता उन्हें मिलने वाली होती है| विजय रेखा बस एक कदम दूर होती है, तभी वे कोशिश करना बंद कर देते है| वे खेल के मैदान से अंतिम मिनट में हट जाते है, जबकि उस समय जीत का निशान उनसे केवल एक फुट के फासले पर होता है|”                                                                                                                                               —— एच रोस पेरोट

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ……………

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों मे साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिन्धु मे गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोंती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो .
जब तक ना सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम.
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

—  हरिवंश राय बच्चन – Harivansh Rai Bachchan

Romantic shayari

1.वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी…
मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी…
उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना…
वो नादान है यारो… अपना हाथ जला लेगी.
2.घर से बाहर कोलेज जाने के लिए वो नकाब मे निकली….
सारी गली उनके पीछे निकली…
इनकार करते थे वो हमारी मोहबत से……….
और हमारी ही तसवीर उनकी किताब से निकली…
3.उस जैसा मोती पूरे समंद्र में नही है,
वो चीज़ माँग रहा हूँ जो मुक़्दर मे नही है,
किस्मत का लिखा तो मिल जाएगा मेरे ख़ुदा,
वो चीज़ अदा कर जो किस्मत में नही है…
4.जादू है उसकी हर एक बात मे,
याद बहुत आती है दिन और रात मे,
कल जब देखा था मैने सपना रात मे,
तब भी उसका ही हाथ था मेरे हाथ मे…
5.कौन कहता है हम उसके बिना मर जायेंगे
हम तो दरिया है समंदर में उतर जायेंगे
वो तरस जायेंगे प्यार की एक बून्द के लिए
हम तो बादल है प्यार के…किसी और पर बरस जायेंगे
6.शायर तो हम है शायरी बना देंगे
आपको शायरी मे क़ैद कर लेंगे|
कभी सूनाओ हमे अपनी आवाज़
आपकी आवाज़ को हम ग़ज़ल बना देंगे.||
7.मंज़िलो से अपनी डर ना जाना,
रास्ते की परेशानियों से टूट ना जाना,
जब भी ज़रूरत हो ज़िंदगी मे किसी अपने की,
हम आपके अपने है ये भूल ना जाना.
8.ना हम कुछ कह पाते हे, ना वोह कुछ कह पाते हे.
एक दूसरे को देखकर गुजर जाया करते हे.
कब तक चलता रहेंगा ये सिलसिला,
ये सोचकर दिन गुजर जाया करते हे
9.आप को इस दिल में उतार लेने को जी चाहता है,
खूबसूरत से फूलो में डूब जाने को जी चाहता है,
आपका साथ पाकर हम भूल गए सब मैखाने,
क्योकि उन मैखानो में भी आपका ही चेहरा नज़र आता है…
10.आँखों मे आ जाते है आँसू,
फिर भी लबो पे हसी रखनी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,
जिस से करते है उसीसे छुपानी पड़ती है…