Wednesday, 6 April 2016

लीवर आपका सही काम नहीं कर रहा है?(Your liver is not working right?)



* लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्‍य अंग है, यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पा रहा है तो समझिये कि खतरे की घंटी बज चुकी है। लीवर की खराबी के लक्षणों को अनदेखा करना बड़ा ही मुश्‍किल है और फिर भी हम उसे जाने अंजाने अनदेखा कर ही देते हैं।

* लीवर की खराबी होने का कारण ज्‍यादा तेल खाना, ज्‍यादा शराब पीना और कई अन्‍य कारणों के बारे में तो हम जानते ही हैं। हालाकि लीवर की खराबी का कारण कई लोग जानते हैं पर लीवर जब खराब होना शुरु होता है तब हमारे शरीर में क्‍या क्‍या बदलाव पैदा होते हैं यानी की लक्षण क्‍या हैं, इसके बारे में कोई नहीं जानता। वे लोग जो सोचते हैं कि वे शराब नहीं पीते तो उनका लीवर कभी खराब नहीं हो सकता तो वे बिल्‍कुल गलत हैं।
* क्‍या आप जानते हैं कि मुंह से गंदी बदबू आना भी लीवर की खराबी हो सकती है। क्‍यों चौंक गए ना?

* हम आपको कुछ परीक्षण बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि क्‍या आपका लीवर वाकई में खराब है। कोई भी बीमारी कभी भी चेतावनी का संकेत दिये बगैर नहीं आती, इसलिये आप सावधान रहें।

* मुंह से बदबू -यदि लीवर सही से कार्य नही कर रहा है तो आपके मुंह से गंदी बदबू आएगी। ऐसा इसलिये होता है क्‍योकि मुंह में अमोनिया ज्‍याद रिसता है।

* लीवर खराब होने का एक और संकेत है कि स्‍किन क्षतिग्रस्‍त होने लगेगी और उस पर थकान दिखाई पडने लगेगी। आंखों के नीचे की स्‍किन बहुत ही नाजुक होती है जिस पर आपकी हेल्‍थ का असर साफ दिखाई पड़ता है।

* पाचन तंत्र में खराबी यदि आपके लीवर पर वसा जमा हुआ है और या फिर वह बड़ा हो गया है, तो फिर आपको पानी भी नहीं हजम होगा।

* त्‍वचा पर सफेद धब्‍बे यदि आपकी त्‍वचा का रंग उड गया है और उस पर सफेद रंग के धब्‍बे पड़ने लगे हैं तो इसे हम लीवर स्‍पॉट के नाम से बुलाएंगे।

* यदि आपकी पेशाब या मल हर रोज़ गहरे रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। यदि ऐसा केवल एक बार होता है तो यह केवल पानी की कमी की वजह से हो सकता है।

* यदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे तो आपको जौन्‍डिस हो सकता है। इसका यह मतलब होता है कि आपका लीवर संक्रमित है।

* लीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका नाम होता है बाइल जो कि स्‍वाद में बहुत खराब लगता है। यदि आपके मुंह में कडुआहर लगे तो इसका मतलब है कि आपके मुंह तब बाइल पहुंच रहा है।

* जब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आ जाती है, जिसको हम अक्‍सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं।

* मानव पाचन तंत्र में लीवर एक म‍हत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। विभिन्‍न अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना, डिटॉक्सीफिकेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और रसायनों का उत्‍पादन शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस, दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते हैं।

करे ये घरेलू कुछ उपाय :-
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* हल्‍दी लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करने के लिए अत्‍यंत उपयोगी होती है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्‍दी को अपने खाने में शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पिएं

* सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्‍तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस म‍िश्रण को दिन में दो से तीन बार लें।

* आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए.

* पपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों के लिए करें.

* सिंहपर्णी जड़ की चाय लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में से एक है। अधिक लाभ पाने के लिए इस चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर बड़ी आसानी से मिल जाएगा।

* लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्‍तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके इस्‍तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं।

* फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के कारण, अलसी के बीज हार्मोंन को ब्‍लड में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को कम करता है। टोस्‍ट पर, सलाद में या अनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर इस्‍तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर रखने में मदद करता है

* एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और अखरोट में मौजूद ग्लुटथायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफाई करता है।

* पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएं। लीवर की मरम्मत के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएं

* सेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पेक्टिन पाचन तंत्र में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर लीवर की रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी सब्जियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं।

* एक पौधा और है जो अपने आप उग आता है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू- धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है.तथा कई बाज़ीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं .

* क्या आप जानते है ये यकृत ( लीवर ) की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर , उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी .

आँवला रस(Amla juice)



आँवला रस वार्धक्य निवृति व यौवन-सुरक्षा करनेवाला तथा पित्त व वायु द्वारा होने वाली ११२ बिमारियों को मार भागने वाली सर्वश्रेष्ठ रसायन है | इसके रस से शरीर में शीघ्र ही शक्ति, स्फूर्ति, शीतलता व ताजगी का संचार होता है | यह अस्थियों, दाँत व बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है | आँवला रस रक्त व शुक्रधातु की वृद्धि करता है | इसके नियमित सेवन से नेत्रज्योति बढती है तथा मस्तिष्क व ह्रदय को ताजगी, ठंडक व शक्ति मिलती है | यह वृद्धावस्था को दूर रख चिरयौवन व दीर्घायुष्य प्रदान करता है | आँवला रस आँखों व पेशाब की जलन, अम्लपित्त, श्वेतप्रदर, बवासीर आदि पित्तजन्य अनेक विकारों को दूर करता है |


विशेष प्रयोग :
• आँवले के रस में २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण व मिश्री मिला के लेने से शरीरपुष्टि, वीर्यवृद्धि एवं वंध्यत्त्व में लाभ होता है | स्त्री-पुरुषों के शरीर में शुक्रधातु की कमी का रोग निकल जाता है और संतानप्राप्ति की ऊर्जा बढ़ती है |
• २–४ ग्राम हल्दी मिला के लेने से स्वप्नदोष, मधुमेह व पेशाब में धातु जाना आदि में लाभ होता है |
• मिश्री के साथ लेने से स्त्रियों के अधिक मासिक व श्वेतप्रदर रोगों में लाभ होता है |
• १०-१५ मि.ली. रस में उतना ही पानी मिला के मिश्री, शहद अथवा शक्कर का मिश्रण करके भोजन के बीच में लेने वाला व्यक्ति कुछ ही सप्ताह में निरोगी काया व बलवृद्धि का एहसास करता है, ऐसा कइयों का अनुभव है (वैध्य सम्मत)|

मात्रा :१५-२० मि.ली. रस (आगे-पीछे २ घंटे तक दूध न लें | रविवार व शुक्रवार को न लें |)

• सप्तमी, नवमी, अमावस्या, रविवार, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण तथा संक्राति – इन तिथियों को छोडकर बाकी के दिन आँवले का रस शरीर पर लगाकर स्नान करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है | (स्कंद पुराण, वैष्णव खंड)
• मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है | (स्कंद पुराण, वैष्णव खंड)

श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया)


1. आंवला: आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर
बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3
ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक रोज सुबह-शाम
को पीने से स्त्रियों को होने वाला श्वेतप्रदर
(ल्यूकोरिया) नष्ट हो जाता है।
2. झरबेरी: झरबेरी के बेरों को सुखाकर रख लें। इसे
बारीक चूर्ण बनाकर लगभग 3 से 4 ग्राम की मात्रा
में चीनी (शक्कर) और शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-
शाम को प्रयोग करने से श्वेतप्रदर यानी ल्यूकोरिया
का आना समाप्त हो जाता है।
3. नागकेशर: नागकेशर को 3 ग्राम की मात्रा में
छाछ के साथ पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की
बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।
4. रोहितक: रोहितक की जड़ को पीसकर पानी के
साथ लेने से श्वेतप्रदर के रोग में लाभ मिलता है।
5. केला: 2 पके हुए केले को चीनी के साथ कुछ दिनों
तक रोज खाने से स्त्रियों को होने वाला प्रदर
(ल्यूकोरिया) में आराम मिलता है।
6. गुलाब: गुलाब के फूलों को छाया में अच्छी तरह से
सुखा लें, फिर इसे बारीक पीसकर बने पाउडर को
लगभग 3 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह और
शाम दूध के साथ लेने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) से
छुटकारा मिलता है।
7. मुलहठी: मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर
इसी चूर्ण को 1 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के
साथ सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की
बीमारी नष्ट हो जाती है।
8. शिरीष: शिरीष की छाल का चूर्ण 1 ग्राम को
देशी घी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर
(ल्यूकोरिया) में लाभ मिलता है।
9. बला: बला की जड़ को पीसकर चूर्ण बनाकर शहद
के साथ 3 ग्राम की मात्रा में दूध में मिलाकर सेवन
करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) में लाभ प्राप्त होता
है।
10. बड़ी इलायची: बड़ी इलायची और माजूफल को
बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर समान
मात्रा में मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें, फिर
इसी चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन
सुबह-शाम को लेने से स्त्रियों को होने वाले श्वेत
प्रदर की बीमारी से छुटकारा मिलता है।

इलायची के लाभ(Cardamom gains)



छोटी इलायची : यह सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है | इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास ( दमा ) तथा दाहयुक्त तकलीफों में किया जाता है |

औषधीय प्रयोग –


- अधिक केले खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है |
- धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मिचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें |
- १ कप पानी में १ ग्राम इलायची चूर्ण डाल के ५ मिनट तक उबालें | इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें | २ – २ चम्मच यह पानी २ – २ घंटे के अंतर से लेने से जी – मिचलाना, उबकाई आना, उलटी आदि में लाभ होता है |
- छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें | चुटकीभर चूर्ण को १ -१ घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है | कफ पिघलकर निकल जाता है |
- रात को भिगोये २ बादाम सुबह छिलके उतारकर घिस लें | इसमें १ ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, १ चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है |
- आधा से १ ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से दाह, पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है |
- आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और १-२ ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से ह्रदयरोग में लाभ होता है |
- छिलके सहित १ इलायची को आग में जलाकर राख कर लें | इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है |
- १ ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है |

सावधानी : रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी उकारें आती है | इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है |

साइनस और नाक से जुड़ी सभी बीमारियों के लिए

जैसे
1:- नाक की हड्डी बढना
2:- रात में खराटें आना,
3:- नींद सही से न आना,
4:- रात्रि में बार बार जाग। आना,
5:- यादाश्त कमजोर होना
खासकर बच्चों के लिए,
6:- बच्चों का बिस्तर गीला करना,
7:- नाक से खून आना,
8:- सर्दी जुकाम

जैसी अनेको रोगों के लिए
(बच्चों के लिए एक एक बूंद ही डाले)
शुद्ध देशी गाय का घी
जो आपको बहुत महंगा मिलेगा आज के समय में,
इसकी 2-2 बूद गुनगुना करके रात्रि में सोने से पहले दोनो नासिकाओ में डाले और बहुत हल्का सा पिछे की ओर खींचे जैसे सास लेते हैं
जब पहला नाक में डाले तो दूसरी नाक को बंद करके
हल्का सा सक करे
इसी तरह जब दूसरी नाक में डाले तो पहली, नाक बंद रखे और हल्का सा सक करे
बिना तकिया लिए 15 मिनट तक लेटे रहे फिर तकिया लगाकर से जाये तुरंत
बिना किसी से बात किये
इससे कई मित्रों को ठीक किया है ।

खून को पतला व् नशो की Blokes खोलने के लिये(Blokes person to open the veins of blood thinners)



👉अदरक का रस 1 किलो

👉लहसुन का रस 1 किलो


👉नींबू का रस 1 किलो

👉सेव का सिरका 1 किलो

भी औषधि को लेकर हल्की आँच पर लोहे की कढ़ाई में पकाये

व् पक कर जब 1 किलो मात्र रह जाये तब ठंड़ा करके 1किलो शहद मिला कर किसी काँच के बर्तन में रख ले

सेवन विधि:-
3 चम्मच सुबह 3 चम्मच शाम को खाना खाने से 1 घण्टा पहले सेवन करे

खून का गाढ़ा होना नसों की ब्लॉकिज हार्ट अटैक आदि समया खत्म हो जाती है