Saturday, 2 April 2016

Do you know how much of the weight of the earth ???(क्या आपको पता है की पृथ्वी का वजन कितना है???)

मैं आपको बताता हुं इस पोस्ट में।
* हमारी धरती ‪#‎गोल‬ नहीं ‪#‎अण्डाकार‬ हैं।
* धरती का कुल वजन करीब 5.9736x1024 kg हैं।
* इसकी ध्रुवीय त्रिज्या की लम्बाई 6,356.8 Km हैं।
* इसकी विषुवत वृत की त्रिज्या 6,371 km हैं।
*धरती पर 71% पानी मौजूद है और 29% जमीन।



हमारी धरती का वजन हर समय घट रहा है।भौतिकी वैज्ञानिकों के अनुसार हर साल करीब 95 हजार टन हाइड्रोजन गैस और 16 सौ टन हीलियम गैस धरती ये बाहर चली जाती है।जिसे गुरुत्वाकर्षण बल भी नहीं रोक सकती क्योंकि ये गैसे बहुत ही हल्की होती है।एक अनुमान के मुताबिक धरती का 50 हजार टन भार प्रतिवर्ष कम होने रहा है मतलब धरती के वजन में प्रतिवर्ष 0.000000000000001% की कमी आ रही है।अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी ही वजन कम होते रहेंगे तो एक दिन धरती खत्म हो जायेगी......आप सही है....लेकिन तब तक आप लाखो जन्म ले चुके होंगे क्योंकि अभी धरती के पास प्रयाप्त गैसे है और खत्म होने में करोडो वर्ष लगेंगे।
पोस्ट पढने के लिए धन्यवाद। आपका मित्र:-विकास मोदनवाल।

●The Amazing Facts About You●

आपने सुना होगा कि...खाने को पचाने के लिए आपके पेट में "हाइड्रोक्लोरिक एसिड" मौजूद होता है जो इतना शक्तिशाली है... कि "ब्लेड तक को गला सकता है"
तो... इस एसिड के कारण आपका पेट की "कवर के रूप में" सुरक्षा करने वाली "म्युकस मेम्ब्रेन" क्यों नहीं गलती?
Well... म्युकस मेम्ब्रेन लगातार गल रही होती है
लेकिन साथ के साथ... दूसरी तरफ नयी कोशिकाएं पैदा हो के म्युकस मेम्ब्रेन को दोबारा बनाती जा रही है
अर्थात... पेट गल भी रहा है... पर पेट की Re-Manufacturing स्पीड... पेट के गलने की स्पीड के बराबर होती है
.
आपका शरीर लगभग 10000000000000 कोशिकाओ से मिल के बना होता है
हर पल.. आपके शरीर की लाखो कोशिकाएं मर जाती है
नयी पैदा होती रहती है
सिर्फ कुछ कोशिकाएं है... जो जिंदगी भर आपके साथ रहती है
जैसे... आपकी आँख में मौजूद "Inner Lens Cells"
आपके ह्रदय की मसल्स सेल्स
और... आपके दिमाग में मौजूद नर्व सेल्स...
पर चूँकि ये सेल्स भी... न्यूट्रिएंट्स लेती है... waste को एक्सपेल करती है
इसलिए कहा जा सकता है कि
लगभग 7 वर्षो में... आपके शरीर का एक एक अणु... रिप्लेस हो चुका होता है
It Means.. आज से 7 वर्ष पूर्व जो इंसान आप थे
वो... आज नहीं है
So... Who Are You Really??
.
आपका शरीर... बैक्टीरिया का गोदाम सरीखा है
आपके खुद के शरीर में इस वक़्त.. आपकी कोशिकाओ से 10 गुणा बैक्टीरिया निवास करता है
Think It This Way
आपके एक सिंगल दांत के ऊपर लगभग 1 अरब बैक्टीरिया पाया जाता है
मतलब... सिर्फ आपके मुह के अंदर इतना बैक्टीरिया मौजूद है
जितनी इस विश्व के मानवो की जनसख्या नहीं है
.
आपकी आँखे लगभग 23 लाख से 75 लाख अलग अलग रंगो को देख सकती है... और आपकी नाक लगभग 1 अरब अलग अलग गंध को सूंघ सकती है
आपके फिंगर प्रिंट्स की तरह आपके शरीर की गंध भी यूनिक होती है... जो विश्व में किसी भी इंसान से मैच नहीं करती
(जब तक कि आप identical twins ना हो)
.
आपका डीएनए.. विश्व के सभी मनुष्यो से 99.9%... चिम्पांजी से 96% और मक्खियों से 60% मिलता है
आपके डीएनए को अगर शरीर से निकाल के सीधा बिछाया जाए
तो... ये प्लूटो ग्रह तक जा कर वापस आ सकता है
(Which is 10 billion miles)
.
और अगर आपके शरीर में ब्लड पंप करने वाली सभी रक्त नलिकाओं को निकाल के पृथ्वी पर बिछाया जाए तो?
तो... You Will Die !!!
So Don't Do That wink emoticon
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पृथ्वी पर जीवन का इतिहास लगभग 3-4 अरब वर्ष पुराना है... जिस इतिहास के किसी पन्ने में आपके पूर्वज समुद्र में मछलिया बन के तैरा करते थे
तो किसी पन्ने पर आपके पूर्वज शेर के रूप में जानवरो का शिकार किया करते थे
समय का एक पन्ना ऐसा भी था... जब आपके पूर्वज बन्दर के रूप में पेड़ो पर आशियाना बनाते थे
तो... आपके पूर्वजो ने समय के उस पन्ने का भी साक्षात्कार किया है
जब... बिजलियो से चमचमाते भयावह आसमान के नीचे... आपके पूर्वज आत्माओ की शान्ति के लिए अपनों की बलि चढ़ाते थे
Its A Huge Journey Of Survival !!!
Think It This Way
अगर इस 4 अरब वर्षो के इतिहास में...
अस्तित्व के संघर्ष की इस यात्रा में...
अगर आपका एक...
सिर्फ एक... पूर्वज... नियति के पंजो में फंस... बिना संतान उत्पन्न किये हुए जीवन गँवा देता
तो...
आप आज यहाँ नहीं होते !!!
You Are A Part Of A Glorious 4 Billion Years Journey Of Life...
Always Respect Your Ancestors

MUST READ.......OUR AMAZING ATMOSPHERE

आज से लगभग 5 अरब वर्ष पूर्व
आपकी ये खुबसूरत "नीली-हरी-सफ़ेद पृथ्वी".... इतनी खुबसूरत नहीं थी
अपने शुरूआती दौर में पृथ्वी पर ये खुबसूरत पहाड़, पेड़ पौधे, समुंद्र वगेरह नहीं... सिर्फ एक चीज दिखती थी
"लावा"
जी हाँ... शुरुआत में पृथ्वी और कुछ नहीं.... गरम पिघली चट्टानों के लावा का समुद्र मात्र थी...
और पृथ्वी पर निरंतर ब्रह्माण्ड में घुम रहे उल्का पिंडो की बम वर्षा होती रहती थी
पृथ्वी का प्रथम वातावरण "ज्वालामुखियो" से आया...
ज्वालामुखी फटने की निरंतर घटनाओं में पृथ्वी के लावा की अंदरूनी सतहों से विराट मात्रा में भाप, अमोनिया, कार्बन डाई ऑक्साइड आदि निकल कर पृथ्वी के वातावरण में छा गई... उस दौर में हमारे ग्रह का वातावरण काफी कुछ "Venus" ग्रह की तरह होता था
.
समय बीतने के साथ सूर्य की किरणों से अमोनिया (नाइट्रोजन+हाइड्रोजन) के bond टूटते गए... हाइड्रोजन बहुत हलकी होने के कारण आउटर स्पेस में निकल गई... और इस प्रकार वातावरण की मुख्य गैस नाइट्रोजन (78%) का जन्म हुआ
शुरू में वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड आज के मुकाबले सैकड़ो-हजारो गुना ज्यादा थी और जीवन दायिनी ऑक्सीजन मौजूद नहीं थी
और 2 अरब साल तक पृथ्वी के ठंडे होने के बाद....
लगभग 2.8 अरब साल पहले समुद्र में कुछ सूक्ष्म जीव "सायनो-बैक्टीरिया" विकसित हुए जो सूर्य और कार्बन डाई ऑक्साइड का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन को "As A Waste Product" प्रोड्यूस करते थे
और इस प्रकार "प्रकाश संश्लेषण" अर्थात फोटो सिंथेसिस से ऑक्सीजन निर्माण की शुरुआत हुई...
और इस प्रक्रिया की शुरुआत का कारण पेड़ पौधे नहीं... बल्कि
एक जीवाणु.... सायनो बैक्टीरिया अर्थात "Cyano-Bacteria" था
.
धीरे धीरे अरबो वर्षो तक चली सतत प्रक्रिया के फल स्वरुप वातावरण में ऑक्सीजन उस लेवल पर पहुच गई की लगभग 60 करोड़ वर्ष पूर्व तक पृथ्वी के चारो तरफ "ओजोन लेयर" का निर्माण होता गया जो सूर्य के घातक विकिरण से हमारी रक्षा करती थी
और इस प्रकार ओजोन लेयर नामक रक्षात्मक परत बनने के बाद... समुद्री जीव जल से निकल के थल पर आए...
और हमारे वायुमंडल में करोडो वर्षो की सतत विकास प्रक्रिया के बाद... आज मानवो का अस्तित्व संभव हो पाया है

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मुख्यतः नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%), तथा ओर्गेन, कार्बन डाई ऑक्साइड, हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन आदि (1%) से बना हमारा ये वायुमंडल पृथ्वी के साथ.... पृथ्वी की ग्रेविटी के कारण जुडा हुआ है
और पृथ्वी के घूर्णन के साथ साथ घूमता है....
इस गैस के कुए में हम जीते है... खाते है
और... " सांस लेते है"
.
और आपकी सांस के बारे में एक रोमांचक बात ये है कि....
आपने अभी अभी जो सांस में वायु के जो अणु अपनी साँसों में लिए है...
वही अणु अपनी साँसों में आज से एक लाख वर्ष पूर्व किसी आदिमानव ने जंगल में भोजन की तलाश में शिकार पर जाते हुए लिए थे
नहीं समझे?
चलो समझाते है
.
उदाहरण के लिए बात करते है
"योगीराज श्री कृष्ण की"
(कृपया मैथमेटिकल कैलकुलेशन को धैर्य पूर्वक पढ़ें)
.
सांस लेने पर हम एक मिनट में लगभग लगभग 12 बार साँस ले कर जुम्मा जुम्मा 6 लीटर गैस अपने फेफड़ो में खींचते है
(6 लीटर=.238 mole according to STP)
इस 6 लीटर हवा में लगभग
161 00 000 000 000 000 000 000 अणु (1.61*10^22) होते है
.
इस प्रकार अगर कृष्ण का जीवन लगभग 120 साल माना जाए तो...
उन्होंने 120 साल में 63072000 मिनट में ली गई लगभग 756864000 साँसो में all together 12185510400000000000000000000000 (1.21*10^32) अणु अपनी साँसों में खींचे होगे
.
अब हमारे वातावरण की बात करते है...
हमारे वातावरण में लगभग सभी गैस के आल together 11200000000000000000000000000000000000000000000 (1.12*10^44) अणु पाए जाते है...
अब अगर हम वातावरण के टोटल अणुओ को श्री कृष्ण के द्वारा इस्तेमाल किये गए अणुओ से भाग दे तो हमारे पास कृष्ण की साँसों के अणुओ का वातावरण के अणुओ में मिक्सिंग कंसंट्रेशन का अनुपात आ जाएगा...
So here we go
1.12*10^44\ 1.21*10^32
और हमारा जवाब है...
●0.0000000013212413●
अर्थात... 1.32*10-^14
या फिर ये कह सकते है की...
●वातावरण में 13212413000000000 अणु के बीच एक कृष्ण की साँसों में इस्तेमाल हुआ एक अणु है●
लेकिन...
चूँकि आपकी एक सांस में जाने वाले अणुओ की संख्या (16100000000000000000000) है
तो... आपकी प्रत्येक सांस में संभावित कृष्ण के अणुओ की संख्या होगी...
(Finger Crossed)
(1.61*10^22)* (0.0000000013212413)
.
And here is our answer....
Congratulations !!!
आपकी पिछली सांस में आपने 21271984930000 ऐसे अणु अन्दर खींचे है
जिन अणुओ ने कभी ना कभी...
कृष्ण के शरीर की यात्रा की थी !!!!
.
ऑफकोर्स अणुओ की वास्तविक संख्या इससे थोड़ी कम ही होगी
क्युकी हमारे फेफड़ो से निकली वायु में कार्बन का अनुपात ली गई वायु की तुलना में 5 प्रतिशत अधिक होता है
जो ज्यदातर समुद्रो तथा वनस्पतियो द्वारा फोटो सिंथेसिस प्रक्रिया में इस्तेमाल कर लिया जाता है... और कई अणु ऐसे भी होते है जो repeat हो कर हमारी साँसों में आते है
Still Its Mathematically Certain कि... भले ही आप पृथ्वी के ऐसे किसी कोने में खड़े हो जहा आप पहले कभी नहीं गए
फिर भी 100 प्रतिशत संभावना है की आप अपनी साँसों में ऐसे कुछ लाख अणु अवश्य खींचेगे... जो पहले आपके शरीर की यात्रा कर चुके है
.
उनमे से कुछ अणु ऐसे हो सकते है....
जिन्हें 10 साल पहले ऑफिस जाते वक़्त आपने अपनी कार की चाबी उठाते वक़्त इस्तेमाल किया था
.
उनमे से कुछ अणु ऐसे हो सकते है... जो आपके अन्दर तब थे
जब आपको पहली नजर में किसी से प्यार हो गया था
.
और कुछ अणु ऐसे भी हो सकते है.... जो आपके अन्दर थे..
जब आपने जिन्दगी में पहली बार...
Kiss किया था !!!
.
और...
हो सकता है... अभी अभी आपकी साँसों में कुछ अणु ऐसे गए हो...
जो उस पल.... आपकी माँ के अन्दर थे
....जिस पल वो आपको... जन्म दे रही थी
.
और हो सकता है... अभी अभी आपने कुछ ऐसे अणु अपने अन्दर खींचे है
"जो भगत सिंह के अन्दर थे"
जब उन्होंने मुस्कुराते हुए... फांसी का फंदा चूमा था
.
Our atmosphere is full of history...
Take A Deep Breathe !!!
.
क्युकी इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि..... "आपको साँसों को वायुमंडल में ठीक से मिक्स होने में अधिकतम 10 साल लगते है"
.
तो.... अगले 10 साल के बाद
मेरी किसी ना किसी सांस में....
ऐसे कुछ अणु मेरे शरीर की यात्रा अवश्य करेगे
जो अभी...
इस पोस्ट को पढ़ते हुए...
.
आपके अन्दर है !

Learn How To Change Processor Name PC Tips In Hindi Computer के Processor का नाम कैसे बदलें !

इसको में एक Magic Tips नाम दूंगा क्योंकि इसमें में आपको एक जादू सिखाने जा रहा हु मान लो आपका Computer या Laptop का Processor P4 या Dual Core है इस Magic Tips की मदद से हम इसे Core i3 बना देंगे आप चाहो तो इसकी जगह अपना नाम भी डाल सकते है...तो हुई न Magic PC Tips.



 PC का Processor Pentium (R) है अब में इसको बदलूँगा Core i3 में...
सबसे पहले Ctrl+R के साथ RUN में जायें :--

यहां regdit टाइप करें और Enter बटन दबायें :--
YES बटन पर दबायें :--
आपके सामने Registry Editor खुलेगा :--



Registry editor में निम्न Folder में जायें :--
HKEY_LOCAL_MACHINE \ HARDWARE \ DESCRIPTION \ SYSTEM \ CENTRAL PROCESSOR \ 0
0 Folder पर Click करें और Left Side में देखे आपके सामने कुछ Files दिखेगी :--
आपको ProcessorNameString पर Double Click करना है इसके बाद आपके सामने निम्न Window खुलेगा :--



इसमें आपको जो भी नाम डालना है डाले और OK बटन दबायें में इसमें Core i7 डाल रहा हूं अब आप जादू देखे

अदरक को जानिए

अदरक कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम

आधुनिक शोधों में अदरक को विभिन्न प्रकार के कैंसर में एक लाभदायक औषधि के रूप में देखा जा रहा है और इसके कुछ आशाजनक नतीजे सामने आए हैं।

मिशिगन यूनिवर्सिटी कांप्रिहेंसिव कैंसर सेंटर के एक अध्ययन में पाया गया कि अदरक ने न सिर्फ ओवरी कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया, बल्कि उन्हें कीमोथैरेपी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने से भी रोका जो कि ओवरी के कैंसर में एक आम समस्या होती है।

इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने ओवरी कैंसर कोशिकाओं पर अदरक पाउडर और पानी का एक लेप लगाया। हर परीक्षण में पाया गया कि अदरक के मिश्रण के संपर्क में आने पर कैंसर की कोशिकाएं नष्ट हो गईं। हर कोशिका ने या तो आत्महत्या कर ली, जिसे एपोप्टोसिस कहा जाता है या उन्होंने एक-दूसरे पर हमला कर दिया, जिसे ऑटोफेगी कहा जाता है।

अदरक को स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर के इलाज में भी बहुत लाभदायक पाया गया है।

जर्नल ऑफ बायोमेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित शोध में पता चला कि अदरक के पौधे के रसायनों ने स्वस्थ स्तन कोशिकाओं पर असर डाले बिना स्तन कैंसर की कोशिकाओं के प्रसार को रोक दिया। यह गुण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पारंपरिक विधियों में ऐसा नहीं होता। हालांकि बहुत से ट्यूमर कीमोथैरैपी से ठीक हो जाते हैं, मगर स्तन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना ज्यादा मुश्किल होता है। वे अक्सर बच जाती हैं और उपचार के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेती हैं।

अदरक के इस्तेमाल के दूसरे फायदे ये हैं कि उसे कैप्सूल के रूप में दिया जाना आसान है, इसके बहुत कम दुष्प्रभाव होते हैं और यह पारंपरिक दवाओं का सस्ता विकल्प है।

आधुनिक विज्ञान प्रमाणित करता है कि अदरक कोलोन में सूजन को भी कम कर सकता है जिससे कोलोन कैंसर को रोकने में मदद मिलती है। मिशिगन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 30 मरीजों के एक समूह को 28 दिनों में दो ग्राम अदरक की जड़ के सप्लीमेंट या प्लेसबो दिए। 28 दिनों के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों ने अदरक की जड़ का सेवन किया था, उनमें कोलोन की सूजन के चिह्नों में काफी कमी पाई गई। इससे यह कोलोन कैंसर के रिस्क वाले लोगों में एक कारगर प्राकृतिक बचाव विधि हो सकती है।

कई और तरह के कैंसर, जैसे गुदा कैंसर, लिवर कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, मेलानोमा और पैंक्रियाज के कैंसर को रोकने में अदरक के तत्वों की क्षमता पर भी अध्ययन किए गए हैं। यह एक दिलचस्प बात है कि एक कैंसर रोधी दवा बीटा-एलिमेन अदरक से बनाई जाती है।

अदरक मधुमेह में लाभदायक तत्व

मधुमेह के मामले में अध्ययनों ने अदरक को इसके बचाव और उपचार दोनों में असरकारी माना है।

ऑस्ट्रेलिया में सिडनी यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में अदरक को टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए असरदार पाया गया। अदरक के तत्व इंसुलिन के प्रयोग के बिना ग्लूकोज को स्नायु कोशिकाओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया बढ़ा सकते हैं। इस तरह इससे उच्च रक्त शर्करा स्तर (हाई सुगर लेवल) को काबू में करने में मदद मिल सकती है।

अध्ययनों में पाया गया है कि अदरक मधुमेह से होने वाली जटिलताओं से बचाव करती है। अदरक मधुमेह पीड़ित के लिवर, किडनी और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सुरक्षित कर सकती है। साथ ही वह इस बीमारी के एक आम दुष्प्रभाव मोतियाबिंद का खतरा भी कम करती है।

अदरक हृदय के लिए लाभकारी

अदरक सालों से हृदय रोगों के उपचार में इस्तेमाल होती रही है। चीनी चिकित्सा में कहा जाता है कि अदरक के उपचारात्मक गुण हृदय को मजबूत बनाते हैं। हृदय रोगों से बचाव और उसके उपचार में अक्सर अदरक के तेल का प्रयोग किया जाता था।

आधुनिक अध्ययन दर्शाते हैं कि इस जड़ी-बूटी के तत्व कोलेस्ट्रॉल को कम करने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, रक्त प्रवाह में सुधार लाने और अवरुद्ध आर्टरियों तथा रक्त के थक्कों से बचाव करने का काम करते हैं। ये सारी चीजें हृदयाघात (हार्ट अटैक) और स्ट्रोक के जोखिम को कम करती हैं।

अदरक एक लोकप्रिय पाचक

अदरक को हजारों सालों से प्राचीन सभ्यताओं द्वारा एक पाचक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसके वात को दूर करने वाले तत्व पेट की गैस को दूर करके पेट फूलने और उदर वायु की समस्या से बचाव करते हैं। साथ ही पेट में मरोड़ को ठीक करने वाले इसके तत्व मांसपेशियों को आराम पहुंचाते हुए अजीर्णता में राहत पहुंचाते हैं।

भोजन से पहले नमक छिड़क कर अदरक के टुकड़े खाने से लार बढ़ता है, जो पाचन में मदद करता है और पेट की समस्याओं से बचाव करता है। भारी भोजन के बाद अदरक की चाय पीने से भी पेट फूलने और उदर वायु को कम करने में मदद मिलती है। अगर आपको पेट की समस्याएं ज्यादा परेशान कर रही हैं, तो आप फूड प्वायजनिंग के लक्षणों को दूर करने के लिए भी अदरक का सेवन कर सकते हैं।

स्थायी अपच (डिस्पेप्सिया) के उपचार, बच्चों में पेट दर्द से राहत और बैक्टीरिया जनित दस्त के उपचार में अक्सर अदरक लेने की सलाह दी जाती है।

अदरक मोशन सिकनेस को कम करती है

अलग-अलग तरह की मतली और उल्टी को ठीक करने में अदरक बहुत मददगार होती है। गर्भवती स्त्रियों में मॉर्निंग सिकनेस, सफर पर रहने वाले लोगों में मोशन सिकनेस और कीमोथैरेपी के मरीजों में भी मितली की समस्या में यह राहत देती है। कीमोथैरेपी के दौरान वमन रोकने वाली दवाएं दिए जाने के बावजूद 70 फीसदी मरीजों को मितली की परेशानी होती है। वयस्क कैंसर रोगियों पर किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि रोजाना कीमो से पहले आधा से एक ग्राम अदरक की डोज दिए जाने पर अध्ययन में हिस्सा लेने वाले 91 फीसदी मरीजों में तेज मितली की गंभीरता काफी हद तक कम हुई।

अदरक चक्कर आने के साथ आने वाली मितली को भी कम करने में मदद करती है। इस संबंध में हुए शोध से पता चलता है कि इस मसाले के उपचारात्मक रसायन, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र में काम करते हुए उबकाई के असर को कम करते हैं।

अदरक जोड़ों के दर्द और आर्थराइ‍टिस में राहत देती है

अदरक में जिंजरोल नामक एक बहुत असरदार पदार्थ होता है जो जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को कम करता है। एक अध्ययन के मुताबिक, अदरक गंभीर और स्थायी इंफ्लामेटरी रोगों के लिए एक असरकारी उपचार है।

कई और वैज्ञानिक अध्ययन भी जोड़ों के दर्द में अदरक के असर की पुष्टि करते हैं। गठिया के शुरुआती चरणों में यह खास तौर पर असरकारी होता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित बहुत से मरीजों ने नियमित तौर पर अदरक के सेवन से दर्द कम होने और बेहतर गतिशीलता का अनुभव किया।

हांग कांग में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि अदरक और संतरे के तेल से मालिश करने पर घुटने की समस्याओं वाले मरीजों में थोड़ी देर के लिए होने वाली अकड़न और दर्द में राहत मिलती है।

अदरक कसरत से होने वाले सूजन और मांसपेशियों के दर्द को भी कम कर सकती है। जार्जिया यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लगातार 11 दिन तक 34 और 40 वाटंलियरों के दो समूहों को कच्ची और पकाई हुई अदरक खिलाई। अध्ययन के नतीजों से यह निष्कर्ष निकाला गया कि अदरक के सप्लीमेंट्स का रोजाना इस्तेमाल, कसरत से होने वाले मांसपेशियों के दर्द में 25 फीसदी तक राहत देती है।

अदरक माइग्रेन और मासिक धर्म की पीड़ा को कम करती है

शोध से पता चलता है कि अदरक माइग्रेन (सिरदर्द) में राहत दे सकती है। ईरान में किए गए और फाइटोथैरेपी रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि माइग्रेन के लक्षणों के उपचार में अदरक पाउडर माइग्रेन की आम दवा सुमाट्रिप्टन जितना ही असरदार है।

क्लीनिकल ट्रायल में तीव्र लक्षणों वाले 100 माइग्रेन पीड़ितों में से कुछ को सुमाट्रिप्टन दिया गया और बाकियों को अदरक पाउडर। शोध में पाया गया कि दोनों की प्रभावक्षमता एक जैसी थी और अदरक पाउडर के दुष्प्रभाव सुमाट्रिप्टन के मुकाबले बहुत कम थे। इससे यह पता चलता है कि यह माइग्रेन का अधिक सुरक्षित उपचार है।

माइग्रेन का हमला शुरू होते ही अदरक की चाय पीने से प्रोस्टेग्लैंडिन दब जाते हैं और असहनीय दर्द में राहत मिलती है। इससे माइग्रेन से जुड़ी उबकाई और चक्कर की समस्याएं भी नहीं होतीं।

अदरक डिस्मेनोरिया (पीड़ादायक मासिक धर्म) से जुड़े दर्द को भी काफी कम करने में मददगार है। ईरान में किए गए एक शोध में 70 महिला विद्यार्थियों को दो समूहों में बांटा गया। एक समूह को अदरक के कैप्सूल और दूसरे को एक प्लेसबो दिया गया। दोनों को उनके मासिक चक्र के पहले तीन दिनों तक ये चीजें दी गईं। शोधकर्ताओं ने पाया कि अदरक के कैप्सूल लेने वाली 82.85 फीसदी महिलाओं ने दर्द के लक्षणों में सुधार बताया जबकि प्लेसबो से सिर्फ 47.05 फीसदी महिलाओं को ही राहत मिली।

बहुत सी संस्कृतियों में जलन के उपचार के लिए त्वचा पर ताजे अदरक का रस भी डालने की परंपरा है और अदरक का तेल जोड़ों तथा पीठ के दर्द में काफी असरकारी पाया गया है।

अदरक श्वास की समस्याओं और दमा के उपचार में असरकारी

श्वास संबंधी समस्याओं के उपचार में अदरक के तत्वों के सकारात्मक नतीजे दिखे हैं। शोध से पता चलता है कि दमा से पीड़ित मरीजों के उपचार में इसका प्रयोग आशाजनक रहा है। दमा एक स्थायी बीमारी है जिसमें फेफड़ों की ऑक्सीजन वाहिकाओं के स्नायुओं में सूजन आ जाती है और वे विभिन्न पदार्थों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे दौरे पड़ते हैं।

हाल में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि अदरक दो तरीके से दमा के उपचार में लाभदायक होता है। पहला हवा के मार्ग की मांसपेशियों को संकुचित करने वाले एंजाइम को अवरुद्ध करते हुए और दूसरे हवा के मार्ग को आराम पहुंचाने वाले दूसरे एंजाइम को सक्रिय करते हुए।

अदरक अपने शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, सूजन रोधी (एंटी-इंफ्लामेटरी) और दर्दनिवारक तत्वों के कारण असरकारी होती है। इसके गुण नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं के समान होते हैं मगर इसके नकारात्मक दुष्प्रभाव नहीं होते। जबकि दमा की बीमारी के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के चिंताजनक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए अदरक जैसे वैकल्पिक, सुरक्षित उपचार का मिलना इस रोग के उपचार में एक आशाजनक खोज है।

अदरक सर्दी-खांसी में लाभदायक

अदरक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है जिससे यह सर्दी-खांसी तथा फ्लू का जाना-माना उपचार है। ऊपरी श्वास मार्ग के संक्रमण में आराम पहुंचाने के कारण यह खांसी, खराब गले और ब्रोंकाइटिस में भी काफी असरकारी होती है।

अदरक सर्दी के समय उत्तेजित होने वाले दुखदायी साइनस सहित शरीर के सूक्ष्म संचरण माध्यमों को भी साफ करती है। सर्दी-खांसी और फ्लू में नींबू तथा शहद के साथ अदरक की चाय पीना बहुत लोकप्रिय नुस्खा है जो पूर्व और पश्चिम दोनों में कई पीढ़ियों से हमें सौंपा जाता रहा है।

अदरक में गर्मी लाने वाले गुण भी होते हैं, इसलिए यह सर्दियों में शरीर को गरम कर सकती है और सबसे अहम बात यह है कि यह सेहत के लिए हितकारी पसीने को बढ़ा सकती है। शरीर को विषमुक्त करने और सर्दी-जुकाम के लक्षणों में लाभदायक इस तरह का पसीना बैक्टीरियल और फंगल संक्रमणों से भी लड़ने में मददगार साबित होती है।

सबसे अच्छी बात यह है कि अदरक में सक्रिय पदार्थ होते हैं, जो आसानी से शरीर द्वारा सोख लिए जाते हैं इसलिए आपको उसका फायदा उठाने के लिए उसे ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती।

अदरक एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है

दुनिया में हुए बहुत से अध्ययनों में पाया गया है कि अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो लिपिड पेरोक्सिडेशन और डीएनए क्षति को रोकती है।

एंटीऑक्सीडेंट बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे फ्री रेडिकल्स के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे उम्र के साथ आने वाली तमाम तरह की बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, आर्थराइटिस, अल्जाइमर्स और बाकी रोगों से बचाव में मदद मिलती है।

हालांकि सभी मसालों में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, अदरक उनमें ज्यादा प्रभावशाली है। इसमें अपनी 25 अलग-अलग एंटीऑक्सीडेंट विशेषताएं हैं। इसके कारण यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तमाम तरह के फ्री रेडिकल्स से लड़ने में बहुत असरदार है।

ध्यान देने योग्य बातें

दो साल से कम उम्र के बच्चों को अदरक नहीं दी जानी चाहिए।
आम तौर पर, वयस्कों को एक दिन में 4 ग्राम से ज्यादा अदरक नहीं लेनी चाहिए। इसमें खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाने वाला अदरक शामिल है।
गर्भवती स्त्रियों को 1 ग्राम रोजाना से अधिक नहीं लेना चाहिए।
आप अदरक की चाय बनाने के लिए सूखे या ताजे अदरक की जड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं और उसे रोजाना दो से तीन बार पी सकते हैं।
अत्यधिक सूजन को कम करने के लिए आप रोजाना प्रभावित क्षेत्र पर कुछ बार अदरक के तेल से मालिश कर सकते हैं।
अदरक के कैप्सूल दूसरे रूपों से बेहतर लाभ देते हैं।
अदरक खून पतला करने वाली दवाओं सहित बाकी दवाओं के साथ परस्पर प्रभाव कर सकती है।
किसी विशेष समस्या के लिए अदरक की खुराक की जानकारी और संभावित दुष्प्रभावों के लिए हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें।
अदरक-नीबू की चाय – कैसे बनाएं

चाय की यह स्वास्थ्यकर रेसिपी आपको ताजगी और स्फूर्ति से भर देगी। साथ ही इसमें कैफीन के दुष्प्रभाव नहीं होते। एक पतीले में साढ़े चार कप पानी उबालें। पानी के उबलने पर 2 इंच अदरक के टुकड़े को 20-25 तुलसी पत्तों के साथ कूट लें। इस पेस्ट को सूखी धनिया के बीजों (वैकल्पिक) के साथ उबलते पानी में डाल दें। 2-3 मिनट तक उबलने दें।

चाय को कप में छान लें और स्वाद के लिए 1 चम्मच नीबू का रस और गुड़ मिलाएं। गरम-गरम पिएं।

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After eating the 7 to 8 out of 10 people do the work(खाने के तुरंत बाद ये 7 काम 10 में से 8 लोग करते हैं)

हम अपनी सेहत के दुश्मन खुद हैं। हमारी खाने-पीने की गलत आदतें ही हमें बीमारी की शिकार बनाती हैं। अब खाने-पीने की अपनी गलतियों के बारे में ही जान लें जो लोग खाना खाने के तुरंत बाद ही करने बैठ जाते हैं। यहीं गलत आदतें हमारी सेहत के लिए नुकसानदेह होती है।
भले ही आप बहुत ज्यादा हैल्दी फूड खाते हो लेकिन उसका कोई फायदा नहीं अगर वह आपके शरीर को नुकसान पहुंचाएं। अगर आप तंदरुस्त रहना चाहते हैं तो कुछ बुरी आदतों को छोड़ दें।
1. खाने के तुरंत बाद फल खाना
खाने के बाद तुरंत खाया फ्रूट अमाशय में जाकर अटक जाता है और आंतों तक सही समय पर पहुंच नहीं पाता इसलिए खाना खाने के कम-से-कम एक घंटे बाद या एक घंटे पहले फल खाने की सलाह दी जाती है। सबसे महत्वपूर्ण है कि सुबह खाली पेट फलों का सेवन करना चाहिए। इससे दिन की शुरुआत करने के लिए काफी ऊर्जा मिलती है।
2. चाय या कॉफी पीना
बहुत सारे लोगों को खाने के तुरंत बाद ही चाय या कॉफी पीने की आदत होती है अगर आपको भी ऐसी कोई लत लगी हैं तो जरा संभल जाएं चाय की पत्तियों और काफी में एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा पाई जाती है जो शरीर में जाकर प्रोटीन को नुकसान पहुंचाती है और खाने को पचने में दिक्कत आने लगती है। अगर आपको चाय पीनी भी हैं तो
एक घंटे का गैप डालें।
3. धूम्रपान
वैसे तो धूम्रपान हमारी सेहत के लिए हानिकारक है ही लेकिन खाना खाने के तुरंत बाद करने से इसे बचना चाहिए क्योंकि इससे डाइजेशन की प्रॉब्लम होती है। खाना खाने के तुरंत बाद सिगरेट पीने से गैस्ट्रिक और एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
4. बेल्ट लूज करना
ज्यादातर लोग खाना खाते समय बेल्ट लूज कर लेते हैं लेकिन ऐसा करना गलत है। इससे स्वास्थय पर बुरा असर पड़ता है। कहा जाता है कि बेल्ट लूज करने से आंतें ब्लॉक हो जाती है जिससे खाना अधिक मात्रा में खाया जाता है। इस बात को स्मरण में रखें कि जितनी भूख लगेें उससे थोड़ा कम ही खाएं।
5. नहाना
खाना खाने के तुरंत बाद ही न नहाएं क्योंकि इससे हाथ-पैर और शरीर में खून का प्रवाह बढ़ जाता है। और पेट के चारों तरफ प्रवाह कम हो जाता है जिससे डाइजेस्टिव सिस्टम कमजोर हो जाता है।
6. वॉक करना
वॉक करना सेहत के लिए बहुत बढ़िया मानी जाती है लेकिन खाना खाने के बाद सीधे वॉक के लिए जाना गलत है। इससे अपच की परेशानी हो सकती है। हालांकि, खाना खाने के आधे घंटे बाद टहलना स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है।
7. खाने के तुरंत बाद सोना
खाने खाने के बाद तुरंत ही बिस्तर पर लेटना गलत आदत है इससे खाना पचता नहीं है और गैस की परेशानी और आंतों में समस्या होती है।

India is not a poor country. How long will we remain a developing country, we become a developed country when?(भारत एक गरीब देश नहीं है। हम कब तक विकासशील देश बने रहेंगे, हम कब विकसित देश बनेंगे?)

1. हमारे देश में यह प्रचारित किया गया है कि भारत बहुत ही गरीब देश है, यदि यह देश गरीब होता तो क्या जवाहरलाल नेहरू का कपडा पेरिस में धुलने जाता ?
2. दुनिया भर के विदेशी आक्रमण क्या हमारी गुदड़ी चुराने के लिए हुए थे ?
3. चंगेज खान ने ४ करोड़ लोंगो की हत्या करके क्या अपने घोड़ो पर ईट और पत्थर लाद कर ले गया था ?
4. सोमनाथ मंदिर को बार- बार सोने से कौन भर देता था यदि हमारे पुरखे गरीब थे ?
5. श्रम करने वाला कभी गरीब हो ही नहीं सकता है, हमारे किसान औसत १४ घंटे काम करते हैं, फिर वे गरीब क्यों हैं ?
6. आज हमारे देश से विदेशी कंपनिया आधिकारिक रूप से२३२००० करोड़ का शुद्ध मुनाफा लेकर वापस अपने देश जा रही हैं, बाकि सभी तरह का फर्जी हिसाब, उनका आयातित कच्चा मालका भुगतान, चोरी आदि जोड़ा जाय तो एह रकम२५,००,००० करोड़ सालाना बैठता है. क्या कोई गरीब देश इतना टर्न ओवर पैदा करवा सकता है ?
7. हमारे देश से दवाओं का सालाना कारोबार १०,००,०००करोड़ का है, क्या यह गरीब देश का निशानी है ?
8. हमारे देश में सालाना ६,००,००० करोड़ का जहर का व्यापर विदेशी कंपनिया कर रही है,क्या या गरीबी निशानी है ?
9. हमारे देश में १०,००० लाख करोड़ खनिज पाया जाता हैऔर इसका दोहन भी विदेशी कंपनिया बहुत ही सस्ते भाव पर कर रही हैं, तो हम गरीब है ?
10. यदि हमारे बैंक में ५,००,०००/- रूपया है तो हमारे जेब मेंऔसत ५०००/- रूपया से ज्यादा नहीं रहता है यानि पूरे पैसेका १ % तो फिर हमारी सरकार ने २५ लाख करोड़ का नोट क्यों छपवा रखा है और छपवाती ही जा रही है,इसका प्रयोग कौन कर रहा है और कैसे कर रहा है ?
11. जब हम रॉकेट और सैटेलाईट बना कर चाँद पर पहुँच सकते हैं तो नोट छापने का काम उन विदेशी कंपनियों को क्यों दिया गया है जो हमारे पीठ में छुरा घोपकर उसी डिजाइन में थोडा सा न दिखने वाला परिवर्तन करके खरबों रुपये का नकली नोट छापकरविदेशी खुफिया तंत्रों को बेचकर हमें कंगाल बना रही हैं ?
12. यदि हम गरीब होते तो क्या अंग्रेज यहाँ खाक छानने आये थे ? राबर्ट क्लाइव ९०० पानी वाले जहाज भर कर सोना चांदी हीरे सिर्फ कलकत्ता से कैसे ले गया था ?
13. यदि हम गरीब होते तो हमारे देश दे आजादी के बाद ४०० लाख करोड़ रुपया विदेशी बैंको में कैसे जमा हो गया है ?
14. हमें शुरू से ही भीख मांगने की आदत पड़ जाये,इसके लिए हमारे स्वाभिमानी बच्चों को स्कूल में ही कटोरा पकड़ाकर खरबों की लूट जारी है,मिड दे मील दे रहे हैं ?
15. हम काहिल हो जाए, इसके लिए नरेगा योजना में खरबों की लूट का पैसा कौन दे रहा है,हम गरीब इसे दे रहे है ?
16. राजस्व के नाम पर हर गली में शराब की दुकान खोली जा रही, औसत में यदि १०० रुपये की विक्री होती है तो सरकार सिर्फ २ रुपये मिलते हैं,क्या गरीब को शराब परोसी जाती है,भारत में ३५००० शराब की अधिकृत दुकाने हैं,यह लूट का पैसा क्या गरीब दे सकता है ?
17. यदि हम गरीब होते तो विदेशी यहाँ हर प्रकार की वस्तुफ्री में बेचने के लिए आते ? हमारा देश गरीब एकदम नहीं हैं,इसे विदेशी शिकंजे में फंसाकर टीवी और अखबार के जरिये गरीब प्रचारितकिया जाता है, जिससे हमारा रुपया १ डालर में ५० मिले क्योंकि हमारे नेताओं का पैसा विदेशी बैंको मे डालर में जमा है.
भारत के लोगहफ्ते में ९० घन्टा काम करते हैं, अमेरिका के लोग हफ्ते में ३० घंटा काम करते हैं,हमारे १ रुपये में ३ डालर मिलना चाहिए, यह बहुत बड़ी साजिश है कि हम आयात के नाम पर जो भी हथियार,उपकरण आदि खरीदते हैं, उसका ५० गुना दामज्यादा अदा करते हैं और बाद में वह पैसा विदेशी खातों मेंजमा हो जाता है कमीशन के बतौर.चीजो को गहराई से जाने और अपने इस महान देश को बचानेकी मुहीम में शामिल हों, हमारा देश यदि भ्रस्टाचार से मुक्तहो जाए तो हम विकसित ही नहीं, दुनिया के सबसे धनी देश होने के साथ- साथ दुनिया की महाशक्ति भी बन सकते हैं।
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वन्देमातरम

क्या हाथ की लकीरो से भविष्य बताया जा सकता है? ●Why Do We Have Palm Lines?● .

आज सवेरे सवेरे दिलजले की जिद पर ... अपने अनाथाश्रम के नजदीक मौजूद काली कलकत्ते वाली माँ के मंदिर में लंबलेट हो कर निकलते ही... मंदिर के सामने बैठे एक नमूने पे नजर पड़ी
गले में कंठी माला... वनस्पति चचा जैसा चूसे हुए आम माफिक मुह... हाथ में तख्ती लेके खड़ा था... जिसपे लिखा था
"101 रूपए में हाथ दिखा कर भविष्य जानिए"
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कोतूहल में डूबे हुए... हम उस so called त्रिकालदर्शी के पास पहुचे और 100 रूपए निकाल के बोले...
"लो बे हाथ देखो"
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"दिखाइए" सुनते ही... फट से हमारा धनुषटंकार उर्फ़ मोंटो दिलजले के कंधे से कूद कर हस्तरेखा विशेषज्ञ के सामने कूदा... और हाथ आगे कर दिया
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"ये क्या मजाक है" चिल्ला कर हस्तरेखा विशेषज्ञ उठा
"मैं लकीरे देख के इंसानो का भविष्य बताता हूँ... बन्दर का नहीं...."
.
चटाक्क्क्क्क्क् !!!!
(बन्दर सुनते ही मोंटो का रिस्पांस तो आप समझ ही गए होंगे)
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हस्तरेखा महोदय का तो अंटा गाफिल हो गया
हम सुबह से इस "शौच" में पड़े है कि...
जब लकीरो के सहारे इंसान का भविष्य बताया जा सकता है
तो... बंदरो का क्यों नहीं?
आफ्टर आल... लकीरे तो बन्दरो, चिंपैंजी वगेरह सबके हाथ में होती है
तो... क्या है इन लकीरो का सत्य?
Why Do We Have Palm Lines ???
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देखा जाए तो किसी भी तकनीक से इंसान का भविष्य बताना संभव ही नहीं है क्योंकि... भविष्य का तो अभी निर्माण ही नहीं हुआ है
इंसान का भविष्य सुनिश्चित होना तो...सीधे सीधे श्री कृष्ण के "कर्म स्वतंत्रता" के सिद्धांत पर गंभीर आघात करता है
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वास्तव में आपके हाथो में लकीरे... विकास की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण आयाम है और None The Less इन लकीरो के कारण ही आप..
"पृथ्वी के सबसे बुद्धिमान प्राणी कहे जाते हैं"
आज से लाखो वर्ष पूर्व...
जब किसी "एकमात्र पूर्वज" से वानरों,इंसानो, चिंपैंजी की वंश बेल अस्तित्व में आई
तो... इन "Hominid" प्रजातियों को प्रकृति द्वारा प्रदान की गई सबसे महत्वपूर्ण शारीरिक रचनाओ में से एक थी
"हाथ की लकीरे"
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जिन लकीरो के कारण... आप अपने हाथ मोड़-सिकोड़ पाते है तथा मुट्ठी बंद कर ग्रिप बना पाते है
यही कारण है... कि चाहे आपका पेट हो... चाहे पाँव या चाहे मणि बन्ध या चाहे हथेली
शरीर का हर वो अंग... जिसे मोड़ने सिकोड़ने की आवश्यकता पड़ती है... वहां आपकी स्किन पर ये लकीरे अवश्य होगी
क्योंकि ये लकीरे ना हो तो आपकी खाल एक दूसरे के ऊपर "Clump" कर जायेगी
इन लकीरो के कारण ही... आप चीजो को पकड़ पाने और आवश्यकता अनुसार इस्तेमाल करने में समर्थ हो पाये है
इन लकीरो की सहायता से ही... मानव ने इतिहास में औजार बनाने सीखे
और... तकनीक की सहायता से ही मानव पृथ्वी के इतिहास में सर्वोच्च स्थान पर काबिज हो पाया है
अर्थात...
इंसान ने अपने सुनहरे भविष्य का निर्माण अवश्य अपने हाथो की लकीरो के दम पर किया है
लेकिन
अस्तित्व के लिए संघर्ष से भरे इस इतिहास में प्राप्त हुई विजय का कारण कोई लकीरे नहीं
विजय का कारण तो...
मानव के हाथो का सामर्थ्य रहा है !!!
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अंत में किसी फेमस शायर की कुछ पंक्तिया याद आ रही है
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मत इतरा इन हाथो की लकीरो पे ऐ दोस्त
हाथो से किस्मत वो भी लिखते हैं
.............जिनके हाथ नहीं हैं..........
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Thanks For Reading !!!


डिस्क्लेमर: हाथ की लकीरो या बनावट से व्यक्ति का स्वभाव या मानसिक, शारीरिक स्थिति आदि के बारे में वैज्ञानिक अध्ययन से बताया जा सकता है
"भविष्य नहीं