Monday, 4 April 2016

गर्मी में पुदीना खाएंगे तो इन बीमारियों की छुट्टी हो जाएगी(These diseases will eat peppermint summer vacation)


गर्मी में पुदीना खाने का टेस्ट बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। बहुत ही कम लोग जानते हैं कि ये एक बहुत अच्छी औषधि भी है साथ ही इसका सबसे बड़ा गुण यह है कि पुदीने का पौधा कहीं भी किसी भी जमीन, यहां तक कि गमले में भी आसानी से उग जाता है। यह गर्मी झेलने की शक्ति रखता है। इसे किसी भी उर्वरक की आवश्यकता नहीं पडती है।
थोड़ी सी मिट्टी और पानी इसके विकास के लिए पर्याप्त है। पुदीना को किसी भी समय उगाया जा सकता है। इसकी पत्तियों को ताजा तथा सुखाकर प्रयोग में लाया जा सकता है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं पुदीने के कुछ लाजवाब गुण
1.मुंहासे दूर करता है
2.श्वांस संबंधी परेशानियों में रामबाण
3.कैंसर में भी है उपयोगी
4. मुंह की दुर्गंध मिटाता है
5. खांसी खत्म करता है
6. गर्मी दूर कर ठंडक पहुंचाता है
7.बुखार में राहत देता है

- हरा पुदीना पीसकर उसमें नींबू के रस की दो-तीन बूँद डालकर चेहरे पर लेप करें। कुछ देर लगा रहने दें। बाद में चेहरा ठंडे पानी से धो डालें।
- कुछ दिनों के प्रयोग से मुँहासे दूर हो जाएँगे तथा चेहरा निखर जाएगा।
- हरे -पुदीने की 20-25 पत्तियां, मिश्री व सौंफ 10-10 ग्राम और कालीमिर्च 2-3 दाने इन सबको पीस लें और सूती, साफ कपड़े में रखकर निचोड़ लें।
-इस रस की एक चम्मच मात्रा लेकर एक कप कुनकुने पानी में डालकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
- एक चम्मच पुदीने का रस, दो चम्मच सिरका और एक चम्मच गाजर का रस एकसाथ मिलाकर पीने से श्वास संबंधी विकार दूर होते हैं।
- इतना ही नहीं अधिक गर्मी या उमस के मौसम में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और -आधी छोटी इलायची के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है।
- एक रिसर्च से पता चला है कि यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में लाभकारी है ।
- इसलिए हमें अपने घर के बगीचे में पुदीने का पौधा जरूर लगाना चाहिए,पुदीने का ताजा रस शहद के साथ सेवन करने से ज्वर दूर हो जाता है।
- पेट में अचानक दर्द उठता हो तो अदरक और पुदीने के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करे।
- नकसीर आने पर प्याज और पुदीने का रस मिलाकर नाक में डाल देने से नकसीर के रोगियों को बहुत लाभ होता है।
- सलाद में इसका उपयोग स्वास्थ्यवर्धक है। प्रतिदिन इसकी पत्ती चबाई जाए तो दुत क्षय, मसूडों से रक्त निकलना, पायरिया आदि रोग कम हो जाते हैं। यह एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है और दांतों तथा मसूडों को जरूरी पोषक तत्व पहुंचाता है। एक गिलास पानी में पुदीने की चार पत्तियों को उबालें। ठंडा होने पर फ्रिज में रख दें। इस पानी से कुल्ला करने पर मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है।
- एक टब में पानी भरकर उसमें कुछ बूंद पुदीने का तेल डालकर यदि उसमें पैर रखे जाएं तो थकान से राहत मिलती है और बिवाइयों के लिए बहुत लाभकारी है।पानी में नींबू का रस, पुदीना और काला नमक मिलाकर पीने से मलेरिया के बुखार में राहत मिलती है। इसके अलावा हकलाहट दूर करने के लिए पुदीने की पत्तियों में काली मिर्च पीस लें तथा सुबह शाम एक चम्मच सेवन करें।पुदीने की चाय में दो चुटकी नमक मिलाकर पीने से खांसी में लाभ मिलता है। हैजे में पुदीना, प्याज का रस, नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
- हरे पुदीने की 20-25 पत्तियां, मिश्री व सौंफ 10-10 ग्राम और कालीमिर्च 2-3 दाने इन सबको पीस लें और सूती, साफ कपड़े में रखकर निचोड़ लें। इस रस की एक चम्मच मात्रा लेकर एक कप कुनकुने पानी में डालकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है। इतना ही नहीं अधिक गर्मी या उमस के मौसम में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और आधी छोटी इलायची के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है।
- पुदीने का ताजा रस शहद के साथ सेवन करने से ज्वर दूर हो जाता है तथा न्यूमोनिया से होने वाले विकार भी नष्ट हो जाते हैं। पेट में अचानक दर्द उठता हो तो अदरक और पुदीने के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें। नकसीर आने पर प्याज और पुदीने का रस मिलाकर नाक में डाल देने से नकसीर के रोगियों को बहुत लाभ होता है।

मलाई कुल्फी


आवश्यक सामग्री -
फूल क्रीम दूध - 1 लीटर
पाउडर चीनी - ½ कप (80-90)ग्राम
काजू - 8-10
छोटी इलायची - 4
पिस्ते - 10-12


विधि -

सबसे पहले दूध को गरम करने के लिए एक भारी तले वाले बर्तन में डाल दीजिए, और दूध में उबाल आने दीजिये.
काजू को छोटे छोटे टुकड़ों में काट कर तैयार कर लीजिये. पिस्ते को पतले टुकड़ों में काट लीजिये. छोटी इलाइची को छील कर दरदरा पाउडर बना लीजिये.

दूध में उबाल आने के बाद दूध को हर 1-2 मिनिट में चमचे को बर्तन के तले तक ले जाते हुये चलाते हुये, गाढ़ा होने और दूध को आधा रहने तक पकाते रहिये, दूध के आधा रहने के बाद कटे हुये काजू और पिस्ते डालकर मिला दीजिए, दूध को थोड़ा और गाढा़ होने दीजिये, इलायची पाउडर और पाउडर चीनी डाल कर मिक्स कर लीजिए और दूध 1-2 मिनिट तक थोडा़ उबाल लीजिये

दूध को गैस से उतार दीजिए तथा दूध को ठंडा होने के लिए रख दीजिए. दूध के ठंडा हो जाने पर इसे कंटेनर में डाल कर, ढककर फ्रिजर में 6-8 घंटों के लिए जमने के लिए रख दीजिए.
कुल्फी के जमने पर इसे फ्रिजर से निकाल कर लीजिए और ठंडी ठंडी कुल्फी को 10 मिनिट के अन्दर ही सर्व कीजिये और खाइये.

सुझाव:
मलाई कुल्फी बनाने में दुध उबालते समय दूध को अच्छी तरह चलाते हुये गाढ़ा करना है, दूध बर्तन के तले में लगे नही, वरना कुल्फी का स्वाद खराब हो जायेगा.

सुचना : देशी गाय का दूध ही प्रयोग करें | चीनी की जगह भूरा अथवा शक्कर का प्रयोग करें | फ्रिज का प्रयोग नियमित करने से ह्रदय के रोग हो सकते है इसलिए महीने में एक दो बार ही हिमक्रीम खाएं

सिल बट्टा का विज्ञान




प्राचीन भारत के ऋषियों ने भोजन विज्ञानं, माता और बहनों की स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए सिल बट्टा का अविष्कार किया ! यह तकनीक का विकास समाज की प्रगति और परियावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया। आधुनिक काल में भी सिल बट्टे का प्रयोग बहुत लाभकारी है -

१. सिल बट्टा पत्थर से बनता है, पत्थर में सभी प्रकार की खनिजों की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए सिल बट्टे से पिसा हुआ मसाले से बना भोजन का स्वाद सबसे उत्तम होता है।


२. सिल बट्टे में मसाले पिसते वक्त जो व्यायाम होता है उससे पेट बाहर नही निकलता और जिम्नासियम का खर्चा बचता है।

३. माताए और बहने जब सिल बट्टे का प्रयोग करते है तो उनके यूटेरस का व्यायाम होता है जिससे कभी सिजेरियन डिलीवरी नही होती, हमेशा नोर्मल डिलीवरी होती है।

४. सिल बट्टे का प्रयोग करने से मिक्सर चलाने की बिजली का खर्चा भी बचता है।

अभी एक मिक्सर की नुन्यतम मूल्य 2000 रूपए है जो 500 वाट की होती है, इसको अगर हरदिन आधा घंटा चलाया जाये तो एक साल में नुन्यतम 333 (3.70 रूपए प्रति यूनिट) रूपए का बिजली का बिल आता है। तो कुल हुआ 2333 रूपए। अब किसी भी अछे जिम्नासियम का प्रति महीने नुन्यतम खर्चा है 350 रूपए, तो साल का हुआ 4200 रूपए, तो कुल हुआ 6533 रूपए। आजकल सिजेरियन डिलीवरी का नुन्यतम खर्चा है 15000 रूपए, इसको अगर जोड़ा जाये तो हुआ 21533 रूपए। तो सिल बट्टे का उपयोग करके आप साल में 21533 रूपए बचाके स्वस्थ रह सकते है।

धन्यवाद
वन्देमातरम

ज्ञान स्त्रोत:- हुतात्मा राजीव दीक्षित

ऐसे बनाएं बचे हुए चावल का स्वादिष्ट पराठा(Construct Leftover rice delicious paratha)

खाने के लिए पकाए चावल बच गए हैं तो इन्हें दें पराठे का ट्विस्ट.
बचे हुए चावल का पराठा स्वाद में मजेदार और बनाने में आसान है.
तो अगर आप भी एक मां हैं और आपके बच्चे का स्कूल खुल गया है तो,
आप उन्हें लंच या ब्रेकफास्ट में बचे हुए चावल का पराठा बना कर खिला सकती हैं।


यह पराठा खाने में बहुत ही टेस्टी लगता है।
आप इसे सुबह ब्रेकफास्ट में या फिर कभी भी पका कर खा और खिला सकते हैं।
पर हां अगर आप डाइट पर हैं तो आपको यह कम तेल और घी में पकाना होगा।

घरों में तरह-तरह के स्वादिष्ट पराठे बनाए जाते हैं। जिसमें से आलू का पराठा सबसे आम है।
आज आपको बचे हुए चावल का
पराठा बनाना सिखाएंगे जो कि दही, अचार या चटनी के साथ सर्व किया जा सकता है।

आप चाहें तो पराठे के आटे से पूड़ी भी तैयार कर सकती हैं।

बचे हुए चावल का पराठा ब्रेकफास्त में खाने के लिये अति उत्तम माना जाता है।
यह पराठा बच्चों को काफी भाता है।
यह पराठा भी ठीक आलू के पराठे के तरीके से ही बनता है।
आप इस चावल पराठे को बच्चों को टिफिन में दे सकती हैं।

बचे हुए चावल का पराठा घर में सभी को पसंद आएगा इस लिये ज्यादा देर न करें और झट पट बनाएं इस पराठे को।
इसकी आसान सी विधि नीचे दी हुई है।

रेसिपी क्विज़ीन : इंडियन
कितने लोगों के लिए :1 - 2
समय : 15 से 30 मिनट
मील टाइप : वेज

सामग्री:

2 कप बचे या पके हुए चावल
एक कप गेहूं का आटा
एक छोटा चम्मच भुना जीरा पाउडर
एक चुटकी हल्दी पाउडर
एक छोटा चम्मच धनिया पाउडर
स्वादानुसार लाल मिर्च पाउडर
स्वादानुसार नमक
तेल

विधि:

बर्तन में चावल, हल्दी, धनिया,लाल मिर्च, भुना जीरा पाउडर और नमक डाल कर अच्छी तरह मिक्स करे लें.
चावल के मिश्रण को हल्का मैश करते हुए मिक्स करें.
अब आटा छानें.
इस में पानी डाल कर नर्म गूंद लें.
इस के बाद आटे से लोईयां बनाएं.
फिर एक लोई लें इसकी छोटी पूरी बनाएं.पूरी के बीच में चावल का मिक्सचर रखें.
पूरी को चारों तरफ से पलट कर मिश्रण को इस में बंद कर के पराठा बेल लें.
गैस पर तवा गर्म करें.
तवे पर थोड़ा तेल डालकर चिकना कर लें.
अब पराठा तवे पर डाल कर मध्यम आंच पर सेंकें.
पराठे के ऊपर तेल लगा कर पलट कर दूसरी तरफ से भी सेंक लें.
अब इसे प्लेट में निकाल लें.इसी तरह सभी पराठे बनाएं

लीजिए तैयार हैं चावल के पराठे.
इन्हें दही,
सब्जी या चटनी के साथ गर्मागर्म सर्व करें.

क्या ये रेसिपी आपको पसंद आई

"सृष्टि उत्पत्ति मॉडल्स में ब्रह्मा-नारायण-शिव का योगदान" ●Role Of Brahma-Narayan-Shiv In Creation Theories●

अपने मूल के विषय में खोज करना... अपने पूर्वजो की जानकारी खोजना मानव मन की सहज प्रवत्ति है
और किस्मत से हमारे इतिहास का क्रम बद्ध ब्योरा हमारे पास कुछ ग्रंथो के रूप में मौजूद है जिन्हें हम कहते है
"पुराण"
.
बेशक ये पुराण प्राचीन काल से लेके अब तक हजारो व्यक्तियों के हाथो से हो के गुजरे है और सभी ने अपनी कल्पनाओं और मान्यताओं को इनमे घुसेड इन्हें काफी प्रक्षिप्त कर दिया है
पर
अगर देवी भागवत और ब्रह्मा वैवर्त पुराण जैसे कुछ अति रंजित पुराणों को छोड़ दिया जाए और... कुछ अतिश्योक्ति पूर्ण वर्णन, रूपक अलंकारों और काल खंड वर्णन की त्रुटियों को दूर कर दिया जाए
तो... पुराणों में वर्णित इतिहास 100% सत्य है
.
बचपन से पुराणों को लेके एक सवाल मेरे मन में जरुर घूमता था की पुराणों में सृष्टि का कारण भिन्न भिन्न अर्थात ब्रह्मा-नारायण-रूद्र के होने का लॉजिक क्या है?
धर्म ज्ञानियों से पूछा तो जवाब मिला कि...
"ये तो अलग अलग कल्पो की.... 1,960,853,152 वर्षो की कहानी है बेटे... ईश्वर अलग अलग समय पर अलग अलग नाम से सृष्टि की रचना करता है"
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ठीक बात है... हम सब ईश्वर अथवा ब्रह्माण्ड की परम चेतना के ही विस्तार है
पर... ईश्वर को इस ठलुआगिरी की क्या आवश्यकता आन पड़ी कि... भिन्न भिन्न कल्प के हर युग में देव दानव राक्षस की same कहानिया रिपीट करे?
नहीं ये तो सत्य नहीं हो सकता
इसकी वजह कुछ और ही है
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अब या तो हम इन घपलाबाजियो को दरकिनार कर... "ऊपर वाले की माया वो ही जाने" का नारा लगा इन कहानियो में श्रद्धा व्यक्त कर अपने खाटी धार्मिक होने का परिचय देते
या... इन कहानियो का मजाक उड़ा आज कल के फेसबुक पर बिखरे पड़े विचारको की तरह अपनी संस्कृति का मजाक उड़ाते
पर
जिस संस्कृति में आपने जन्म लिया... उसका मजाक उडाना कृतध्नता कहलाता है... जो की ठीक नहीं
तो आखिर क्यों मानव के इतिहास की इन मानवीय घटनाओं को दिव्यता का चोला पहना इतने भ्रम पैदा कर दिए गए?
well... "सत्य की खोज" इतनी मुश्किल नहीं... सुराग पुराणों में ही बिखरे पड़े है...
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सबसे विश्वसनीय पुराणों में से एक "हरिवंश" में एक घटना का उल्लेख आता है
जिसमे कृष्ण ब्रह्मा से मिलने ब्रह्मलोक जाते है... वहा एक ऐसी घटना का वर्णन है जो बरबस मेरा ध्यान अपनी ओर खीचती है
.
लिखा है कि... जब कृष्ण ब्रह्मलोक में घुसे तो... ब्रह्मलोक में ऋषि गण भिन्न भिन्न ग्रुप्स में बैठे सृष्टि कैसे उत्पन्न हुई विषयक विचारों जैसे एकात्मवाद, नानात्मकवाद, ब्रहावाद, सांख्य, प्रकृतिवाद,पुरुषवाद आदि के शोध तथा "सृष्टि कैसे उत्पन्न हुई" की चर्चा में व्यस्त थे
पर
अगर ब्रह्मा ने ही दुनिया बनाई तो... उन्ही के लोक में लघु विद्यालयों में सृष्टि विषय पर परस्पर विरोधी विचारों पर चिंतन काहे चल रहा था?
अब या तो ब्रह्मा ने दुनिया नहीं बनाई
या फिर....
"दुनिया को समझने में उनके योगदान को हमने गलत तरीके से समझा है"
और इसे बेहतर समझने के लिए हम सन 1986 में जाना होगा
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1986 में मानव नेत्र ने रात के आसमान में पृथ्वी के आस पास घुमने वाले पिंडो में सबसे प्रसिद्द "हैली धूमकेतु" का साक्षात्कार किया था
हर 76 वर्षो में पृथ्वी की ओर लौट कर आने वाले इस धूमकेतु के दिखने की अगली संभावना सन 2062 में है
पर...
एक मिनट...
हमें कैसे पता कि... इस धूमकेतु का नाम.... हैली है??
इस धूमकेतु ने तो अपना विजिटिंग कार्ड कभी हमें थमाया है नहीं?
वास्तव में इस धूमकेतु को खोजने वाले वैज्ञानिक "एडमंड हैली" के नाम पर इस धूमकेतु का नाम दिया गया
इसी तरह "प्लांक डिस्टेंस" "बोसान कण" "चन्द्र शेखर रेखा" आदि ज्यादातर वैज्ञानिक खोजो को नाम... उनके खोज कर्ताओं के नाम पर ही दिया गया है
.
"क्रेडिट्स" देने के लिए खोज को व्यक्ति या संस्था का नाम दे देना... मानव की सहज वृत्ति रही है
ये वृत्ति आज भी है
और
आज से 9000 वर्ष पूर्व भी थी
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8000-9000 वर्ष पूर्व
"स्थान: हिमालय का उत्तरी इलाका"
विश्व के अति प्राचीन आर्य सभ्यता का एक कबीला हिमालय के क्षेत्रो में निवास कर रहा था
.
ये कबीला कहा से आया पता नहीं पर...
इस कबीले के कुछ पूर्वज कभी ना कभी ध्रुवो पर अवश्य रहते थे
वे पूर्वज... जिन्होंने ऋग्वेद में आये वर्णनो के अनुसार "6 माह की रात्रि और 6 माह के दिन" का साक्षात्कार किया था
.
शिकार और कंदमूल पर जीवित रहने वाले इस कबीले के पास दर्शन के नाम पर अपने पूर्वजो का रचित ग्रन्थ "वेद" के कुछ मन्त्र थे जिनमे प्रकृति की शक्तियों (इंद्र-अग्नि आदि) का गुणगान और प्राकृतिक शक्तियों से ऊपर एक सर्वशक्तिमान की कल्पना की गई थी
(तब तक मानवीय रूप वाले इंद्र विष्णु का जन्म नहीं हुआ था... वेदों के प्राकृतिक देवता मानवीय रूप में परिणत कैसे हुए... ये झोल जल्द एक पोस्ट में समझायेगे)
.
ये कबीला खुद को आर्य और अपने कबीले को "ब्रह्म कबीला" और अपने मुखिया को "प्रजापति अथवा ब्रह्मा" बुलाता था... कोई वर्ण व्यवस्था नहीं थी... देव जाति की शुरुआत करने वाले इंद्र का जन्म भी तब नहीं हुआ था...
पुराणों में वर्णित आदिदेव ब्रह्मा से लेके वैवस्वत मनु तक का काल 1,840,320,000 वर्ष नहीं...
वास्तव में ये मोटा मोटा 300-400 वर्ष की कहानी है... और वैवस्वत मनु से अब तक 8-9000 साल व्यतीत हो चुके है... पुराणों में वर्णित सभ्यता का इतिहास अधिक से अधिक 10000 साल पुराना है
(ये झोल भी जल्द समझायेगे)
.
इन 300 सालो में इस सभ्यता ने विकास के कई पायदानो को चढ़ा, नगरीकरण और कृषि तथा वर्ण व्यवस्था का आरम्भ इन 300 वर्ष में हुआ
और कुछ ऐसे मनुष्य भी थे... जिनका मन इस अद्धुत ब्रह्माण्ड के रहस्यों की तलाश में जुटा था
और तभी आया वो दर्शन जो हिन्दू अध्यात्म दर्शन का मील का पत्थर था
.
"सांख्य दर्शन"
.
ब्रह्मा कबीले के मुखिया के पद पर विराजमान तत्कालीन ब्रह्मा "कपिल" नामक मनुष्य ने इस बेहतरीन दर्शन की खोज की जिसके अनुसार...
प्रकृति से महत तत्व(basic particle of universe) बना
महत्तत्व से अहंकार (individual consciousness)
अहंकार से पञ्च महाभूत
1. आकाश(space time)> 2. वायु(hydrogen)> 3. अग्नि(nuclear process of stars through hydrogen collapse) 4. जल (water is generated through electricity) 5. पृथ्वी (carbon turned from burning water)
.
फिर इन महाभूतो के गुण (शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध)
फिर ज्ञानेन्द्रिया और फिर कर्मेन्द्रिया
टोटल 23 तत्व हुए... 24वा तत्व मन माना गया और 25वा तत्व "परमात्मा"
यही सांख्य दर्शन का जूस है !!!
.
और ये दर्शन इतना लोकप्रिय हुआ कि... हर पुराण में सृष्टि विषयक वर्णन में इस दर्शन का वर्णन किया गया है
जिसके प्रवर्तक ब्रह्मा अर्थात "कपिल ऋषि" थे
.
जिस इतिहास को हम सृष्टि वर्णन समझते है वो वास्तव में हमारे पूर्वजो के वंश वर्णन मात्र है... जिन्हें पुराणों में सांख्य दर्शन द्वारा सृष्टि उत्पत्ति वर्णन के बाद बताया जाता है
पुराणों में जो वशिष्ठ, अत्रि, मरीचि,पुलस्त्य,पुलह, क्रतु आदि ऋषियों से सृष्टि वर्णन शुरू हुआ है उसका कालखंड लगभग 9000 वर्ष पुराना है
पर आर्यों का आस्तित्व 9000 वर्ष से बहुत पहले भी था... ऋग्वेद के ज्यादातर मन्त्रो की रचना 8-9000 वर्ष के अंदर ही हुई है पर कुछ मन्त्र स्पष्ट तौर पर 14000-15000 साल पुराने है और 2 मंत्रो का भोगोलिक वर्णन तो कम से कम उन मंत्रो का रचना काल 25000-30000 वर्ष पुराना सिद्ध करता है
.
वास्तव में... कालांतर में खेती और नगरीकरण की शुरुआत के बाद देव जाति के मुखिया इंद्र अथवा उनके भाई विष्णु ने इतिहास क्रम बद्ध करना शुरू किया तब संभव है की लिखित इतिहास की परम्परा ना होने के कारण 300-400 वर्ष पूर्व हुए वशिष्ठ आदि ऋषियों के पूर्वजो का उन्हें ज्ञान नहीं था इसलिए लफड़ेबाजी से बचने के लिए उन्होंने इन ऋषियों को ही डायरेक्ट ब्रह्मा (मूल तत्व) से पैदा दिखा दिया
.
पुराणों में सृष्टि की उत्पत्ति के कारण रूप में वर्णित ब्रह्मा निराकार ब्रह्माण्ड का मूल तत्व है
पर... साथ ही साथ इतिहास के सफ़र की घटनाओं में ब्रह्मा कबीले के मुखिया "ब्रह्मा" की उपस्थिति और संवाद... उस भ्रम को जन्म देते है... जिसके आधार पर पुराणों को दिव्यता प्रदान करने के लिए "सृष्टि रचियता के सशरीर होने की" भ्रामक कथाओं की उत्पत्ति हुई
.
खैर सांख्य दर्शन से ही उस कबीले में जिज्ञासा और वैज्ञानिक सफ़र पर कोई अंकुश नहीं लगा
कुछ ऐसे मनुष्य भी थे जो जीव उत्पत्ति की खोज को नए आयाम देने में जुटे थे
जिनमे से एक थे
"नारायण"
अर्थात ब्रह्मा कबीले से निकली शाखा... एक पुरातन कबीले "धर्म" के सरदार धर्म और उनकी पत्नी रूचि के पुत्र...
जिन्होंने ये सिद्धांत प्रतिपादित किया कि...
प्रथम जीव की उत्पत्ति... "जल में हुई है"
1st micro organism was evolved in water... sea is a big meta bolism itself !!!
(Which is scientifically true!!!!)

और उनके इस सिद्धांत अथवा जीव के जल में उत्पन्न होने के कारण का नामकरण उनके नाम पर कर दिया गया
.
बहरहाल इस यात्रा में एक मील का पत्थर आना बाकी था
आर्यों से अलग..... एक स्वतंत्र गणराज्य अथवा कबीला और विकसित हो रहा था जिसने बाद में देव जाति से गठजोड़ कर तत्कालीन समाज में वर्ण व्यवस्था बनने के बाद "दंडनीति" अथवा आचार संहिता का प्रतिपादन किया... सभी लोगो के कार्य सुनिश्चित किये
और उल्लंघन करने पर "न्यायपालिका" की तरह कार्य कर.... दंड अथवा "संहार" की संस्था के नाम से प्रसिद्द हुआ
.
इस कबीले का नाम था
.
"रूद्र कबीला"
.
"Everything Is Vibration".... ब्रह्माण्ड के मॉडल की इस सबसे सटीक व्याख्या की खोज करने वाले... रूद्र गणराज्य के मुखिया थे
जिनका नाम था...
...देवो के देव...
.
".......महादेव......."