Sunday 1 November 2015

Human stometch

मित्रो हमारा जो शरीर है शरीर का पूरा केंद्र है हमारा पेट|ये पूरा शरीर चलता है पेट की ताकत से और पेट चलता है भोजन की ताकत से|जो कुछ भी हम खाते है वो ही हमारे पेट की ताकत है |हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने रोटी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी कुछ भी दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |
आप कुछ भी खाते है पेट उसके लिए उर्जा का आधार बनता है |अब हम खाते है तो पेट मे सब कुछ जाता है|पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है अमाशय|उसी स्थान का संस्कृत नाम है जठर|उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है epigastrium |ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है ये |बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|
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अब अमाशय मे क्या होता है खाना जैसे ही पहुँचता है तो यह भगवान की बनाई हुई व्यवस्था है जो शरीर मे है की तुरंत इसमें आग(अग्नि) जल जाती है |आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे जठराग्नि|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है |ये आग ऐसी ही होती है जेसे रसोई गेस की आग|आप की रसोई गेस की आग है ना की जेसे आपने स्विच ओन किया आग जल गयी|ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई
|ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है |आपने खाना खाया और अग्नि जल गयी अब अग्नि खाने को पचाती है |वो ऐसे ही पचाती है जेसे रसोई गेस|आपने रसोई गेस पर बरतन रखकर थोडा दूध डाल दिया और उसमे चावल डाल दिया तो जब तक अग्नि जलेगी तब तक खीर बनेगी|इसी तरह अपने पानी डाल दिया और चावल डाल दिए तो जब तक अग्नि जलेगी चावल पकेगा|
अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |अब होने वाला एक ही काम है जो आग(जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|अब हमेशा याद रखें खाना पचने पर हमारे पेट मे दो ही क्रिया होती है |एक क्रिया है जिसको हम कहते हे Digation और दूसरी है fermentation|फर्मेंटेशन का मतलब है सडना और डायजेशन का मतलब हे पचना|
आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उसका रस बनेगा|जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|ये तभी होगा जब खाना पचेगा|
अब ध्यान से पढ़े इन् शब्दों को मांस की हमें जरुरत है हम सबको,मज्जा की जरुरत है ,रक्त की भी जरुरत है ,वीर्य की भी जरुरत है ,अस्थि भी चाहिए,मेद भी चाहिए|यह सब हमें चाहिए|जो नहीं चाहिए वो मल नहीं चाहिए और मूत्र नहीं चाहिए|मल और मूत्र बनेगा जरुर ! लेकिन वो हमें चाहिए नहीं तो शरीर हर दिन उसको छोड़ देगा|मल को भी छोड़ देगा और मूत्र को भी छोड़ देगा बाकि जो चाहिए शरीर उसको धारण कर लेगा|
ये तो हुई खाना पचने की बात अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?
अगर आपने खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी लिया तो जठराग्नि नहीं जलेगी,खाना नहीं पचेगा और वही खाना फिर सड़ेगा|और सड़ने के बाद उसमे जहर बनेंगे|
खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड(uric acid )|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है ,मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ,वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|यह यूरिक एसिड विष (जहर ) है और यह इतना खतरनाक विष है की अगर अपने इसको कन्ट्रोल नहीं किया तो ये आपके शरीर को उस स्थिति मे ले जा सकता है की आप एक कदम भी चल ना सके|आपको बिस्तर मे ही पड़े रहना पड़े पेशाब भी बिस्तर मे करनी पड़े और संडास भी बिस्तर मे ही करनी पड़े यूरिक एसिड इतना खतरनाक है |इस लिए यह इतना खराब विष हे नहीं बनना चाहिए |
और एक दूसरा उदाहरण खाना जब सड़ता है तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे LDL (Low Density lipoprotive) माने खराब कोलेस्ट्रोल(cholesterol )|जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )हाय बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ? तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ? तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |
इससे भी ज्यादा खतरनाक विष हे वो है VLDL(Very Low Density lipoprotive)|ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है |अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|
खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका triglycerides बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |
तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,कोई LDL - VLDL के नाम से कहे समज लीजिए की ये विष हे और ऐसे विष 103 है |ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |
मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,कोई कहता हे मेराtriglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |
क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड,कोलेस्ट्रोल,LDL-VLDL| और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !
पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं !
तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग(जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है |रसोई मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पका सकते और पेट मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पचा सकते|
महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे कोई कहता हे मैंने 100 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 200 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 300 ग्राम खाया वो कुछ महत्व का नहीं है लेकिन आपने पचाया कितना वो महत्व है |आपने 100 ग्राम खाया और 100 ग्राम पचाया बहुत अच्छा है |और अगर आपने 200 ग्राम खाया और सिर्फ 100 ग्राम पचाया वो बहुत बेकार है |आपने 300 ग्राम खाया और उसमे से 100 ग्राम भी पचा नहीं सके वो बहुत खराब है !!
खाना पच नहीं रहा तो समझ लीजिये विष निर्माण हो रहा है शरीर में ! और यही सारी बीमारियो का कारण है ! तो खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!
भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )
इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये !
अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???
तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना ! अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??
बात ऐसी है ! जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है ! पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है ! उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है ! (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है )
पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है ! तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!
जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले !! उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए !
खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!
1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध
सुबह खाने के बाद अगर तुरंत कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!
इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं या लस्सी दोपहर को दूध रात को ही पिये !
जूस या फल सुबह ,दहीं या लस्सी दोपहर , और दूध हमेशा रात को क्यूँ पीना चाहिए ??
ज्यादा विस्तार मे न जाते हुए आप बस इतना समझे कि इन तीनों को पचाने के लिए शरीर मे अलग अलग इंजाएम उत्पन होते है !
जूस या फल सुबह को पचाने के इंजाईम हमेशा सुबह उत्पन होते है इसी तरह दहीं और छाझ को पचाने वाले दोपहर को और दूध को पचाने वाले रात को !!
शाम या रात को पिया हुआ जूस अगले दिन सिर्फ मूत्र के साथ flesh out होता है !
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ये तो हुआ खाने के बाद पानी पीने के बारे मे अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???
तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं ! अब आप पूछेंगे ये 45 मिनट का calculation ????
बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है ! और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है ! तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है ! तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !
तो यहाँ एक सूत्र समाप्त हुआ ! आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
इसका जरूर पालण करे ! अधिक अधिक लोगो को बताएं post share करे !!
बहुत बहुत धन्यवाद !
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वन्देमातरम ,अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !

संस्कृत

जिस भाषा को आप गये बीते जमाने की मानते हैं उस संस्कृत को सीखने में लगे हैं अनेक विकसित देश....

आओ देखें क्यों : संस्कृत के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य !


1. कंप्यूटर में इस्तेमाल के लिए सबसे अच्छी भाषा। संदर्भ: – फोर्ब्स पत्रिका 1987.


2. सबसे अच्छे प्रकार का कैलेंडर जो इस्तेमाल किया जा रहा है, भारतीय विक्रम संवत कैलेंडर है (जिसमें नया साल सौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है) संदर्भ: जर्मन स्टेट यूनिवर्सिटी.


3. दवा के लिए सबसे उपयोगी भाषा अर्थात संस्कृत में बात करने से व्यक्ति… स्वस्थ और बीपी, मधुमैह , कोलेस्ट्रॉल आदि जैसे रोग से मुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश(Positive Charges) के साथ सक्रिय हो जाता है।संदर्भ: अमेरीकन हिन्दू यूनिवर्सिटी (शोध के बाद).


4. संस्कृत वह भाषा है जो अपनी पुस्तकों वेद, उपनिषदों, श्रुति, स्मृति, पुराणों, महाभारत,रामायण आदि में सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी (Technology) रखती है।संदर्भ: रशियन स्टेट यूनिवर्सिटी.


5.नासा के पास 60,000 ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों है जो वे अध्ययन का उपयोग कर रहे हैं. असत्यापित रिपोर्ट का कहना है कि रूसी, जर्मन, जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्र पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं. !


6.दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए है, लेकिन संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विश्वविद्यालय इंडिया (भारत) में नहीं है।


7. दुनिया की सभी भाषाओं की माँ संस्कृत है। सभी भाषाएँ (97%) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस भाषा से प्रभावित है। संदर्भ: – यूएनओ


8. नासा वैज्ञानिक द्वारा एक रिपोर्ट है कि अमेरिका 6 और 7 वीं पीढ़ी के सुपर कंप्यूटर संस्कृत भाषा पर आधारित बना रहा है जिससे सुपर कंप्यूटर अपनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जा सके। परियोजना की समय सीमा 2025 (6 पीढ़ी के लिए) और 2034 (7 वीं पीढ़ी के लिए) है, इसके बाद दुनिया भर में संस्कृत सीखने के लिए एक भाषा क्रांति होगी।


9. दुनिया में अनुवाद के उद्देश्य के लिए उपलब्ध सबसे अच्छी भाषा संस्कृत है। संदर्भ: फोर्ब्स पत्रिका 1985.


10. संस्कृत भाषा वर्तमान में “उन्नत किर्लियन फोटोग्राफी” तकनीक में इस्तेमाल की जा रही है। (वर्तमान में, उन्नत किर्लियन फोटोग्राफी तकनीक सिर्फ रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका में ही मौजूद हैं। भारत के पास आज “सरल किर्लियन फोटोग्राफी” भी नहीं है )


11. अमेरिका, रूस, स्वीडन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रिया वर्तमान में भरत नाट्यम और नटराज के महत्व के बारे में शोध कर रहे हैं। (नटराज शिव जी का कॉस्मिक नृत्य है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने शिव या नटराज की एक मूर्ति है ).


1२. ब्रिटेन वर्तमान में हमारे श्री चक्र पर आधारित एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है |तो आने वाला समय अंग्रेजी का नही संस्कृत का है , इसे सीखे और सिखाएं, देश को विकास के पथ पर बढ़ाएं. —


13 अमेरिका की सबसे बड़ी संस्था NASA (National Aeronautics and Space Administration )ने संस्कृत भाषा को अंतरिक्ष में कोई भी मैसेज भेजने के लिए सबसे उपयोगी भाषा माना है ! नासा के वैज्ञानिकों की मानें तो जब वह स्पेस ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलटे हो जाते थे। इस वजह से मेसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंने दुनिया के कई भाषा में प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई। आखिर में उन्होंने संस्कृत में मेसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नहीं बदलते हैं। यह रोचक जानकारी हाल ही में एक समारोह में दिल्ली सरकार के प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. जीतराम भट्ट ने दी।


मित्रो संस्कृत भाषा के बरें और अधिक विस्तार से जाने !

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शुगर का सबसे बढ़िया इलाज !

भारत में 5 करोड़ 70 लाख से ज्यादा लोगों को डाइबटीज है और 3 करोड़ से ज्यादा को हो जाएगी अगले कुछ सालों में (सरकार ऐसा कह रही है ) , हर 2 मिनट में एक आदमी डाइबटीज से मर जाता हैं ! और complications बहुत है !
किसी की किडनी खराब हो रही है ,किसी का लीवर खराब हो रहा है , किसी को paralisis हो रहा है किसी को brain stroke हो रहा है ,किसी को heart attack आ रहा है ! कुल मिलकर complications बहुत है diabetes के !!
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https://www.youtube.com/watch?v=qAF4sj0uiUs
मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है। रक्त ग्लूकोज (blood sugar level ) स्तर बढा़ हूँआ मिलता है, यह रोग मरीजों के (रक्त मे गंदा कोलेस्ट्रॉल,) के अवयव के बढने के कारण होता है। इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है।
भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है। ग्लूकोज हमारे रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है। pancreas (अग्न्याशय) ग्लूकोज उत्पन्न करता है इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है।
मधुमेह बीमारी का असली कारण जब तक आप लोग नही समझेगे आपकी मधुमेह कभी भी ठीक नही हो सकती है जब आपके रक्त में वसा (गंदे कोलेस्ट्रोल)LDL की मात्रा बढ जाती है तब रक्त में मोजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के चारों तरफ चिपक जाता है !और खून में मोजूद जो इन्सुलिन है कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है (इंसुलिन की मात्रा तो पर्याप्त होती है किन्तु इससे द्वारो को खोला नहीं जा सकता है, अर्थात पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है)
वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है जिस कारण जब हम शुगर level चैक करते हैं शरीर में हमेशा शुगर का स्तर हमेशा ही बढा हुआ होता है क्यूंकि वो कोशिकाओ तक नहीं पहुंची क्योंकि वहाँ (गंदे कोलेस्ट्रोल)LDL VLDL जमा हुआ है जबकि जब हम बाहर से इन्सुलिन लेते है तब वो इन्सुलिन नया-नया होता है तो वह कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है !
अब आप समझ गये होगे कि मधुमेह का रिश्ता कोलेस्ट्रोल से है न कि शुगर से
जब सम्भोग के समय पति पत्नी आपस में नही बना कर रख पाते है या सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है समझ जाइये मधुमेह हो चूका है या होने वाला है क्योकि जिस आदमी को मधुमेह होने वाला हो उसे सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है क्योकि मधुमेह से पहले जो बिमारी आती वो है सेक्स में प्रोब्लम होना, मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। बार बार बहुत अधिक प्यास लगती है अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्मध्घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।
तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करें ??
राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है कि आप insulin पर ज्यादा निर्भर ना रहें ! क्यूंकि ये insulin डाईब्टीज से भी ज्यादा खराब है side effect इसके बहुत हैं !! तो आप ये आयुर्वेद की दवा का फार्मूला लिखिये !
और जरूर इस्तेमाल करें !!
100 ग्राम (मेथी का दाना )ले ले इसे धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
100 ग्राम (तेज पत्ता ) लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
150 ग्राम (जामुन की गुठली )लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
250 ग्राम (बेलपत्र के पत्ते ) लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
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तो
मेथी का दना - 100 ग्राम
तेज पत्ता ------- 100 ग्राम
जामुन की गुठली -150 ग्राम
बेलपत्र के पत्ते - 250 ग्राम
तो इन सबका पाउडर बनाकर इन सबको एक दूसरे मे मिला लें ! बस दवा तैयार है !! इसे सुबह -शाम (खाली पेट ) 1 से डेड चम्मच से खाना खाने से एक घण्टा पहले गरम पानी के साथ लें !! 2 से 3 महीने लगातार इसका सेवन करें !! (सुबह उठे पेट साफ करने के बाद ले लीजिये )
कई बार लोगो से सीधा पाउडर लिया नहीं जाता ! तो उसके लिए क्या करें ?? आधे से आधा गिलास पानी को गर्म करे उसमे पाउडर मिलाकर अच्छे से हिलाएँ !! वो सिरप की तरह बन जाएगा ! उसे आप आसानी से एक दम पी सकते है ! उसके बाद एक आधा गिलास अकेला गर्म पानी पी लीजिये !!
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अगर आप इसके साथ एक और काम करे तो सोने पे सुहागा हो जाएगा ! और ये दवा का असर बहुत ही जल्दी होगा !! जैसा कि आप जानते है शरीर की सभी बीमारियाँ वात,पित ,और कफ के बिगड़ने से होती हैं !! दुनिया मे सिर्फ दो ही ओषधियाँ है जो इन तीनों के सतर को बराबर रखती है !!
एक है गौ मूत्र , दूसरी है त्रिफला चूर्ण !!
अब आप ठहरे अँग्रेजी मानसिकता के लोग ! गौ मूत्र का नाम सुनते ही आपकी नाक चढ़ गई होगी !! और हमारी मजबूरी ये है कि आपको गौ मूत्र का महत्व बताना हो तो हमको अमेरिका का उदाहरण देना पड़ेगा !
क्यूंकि अंग्रेज़ मेकोले के बनाए indian education system मे पढ़ कर आपकी बुद्धि ऐसी हो गई है कि
आपको सिर्फ अमेरिका(अंग्रेज़ो ) द्वारा किये गए काम मे ही विश्वास होता है ! आपको कहीं ना कहीं लगता ये अमरीकी बहुत समझदार जो करते है सोच समझ के करते हैं !!
तो खैर आपकी जानकरी के लिए बता दूँ कि अमेरिका ने गौ मूत्र पर 6 पेटेंट ले लिए हैं !! उसको इसका महत्व समझ आने लगा है !! और हमारे शास्त्रो मे करोड़ो वर्षो पहले से इसका महत्व बताया है ! लेकिन गौ मूत्र का नाम सुनते हमारी नाक चढ़ती है !
खैर जिसको पीना है वो पी सकता है ! गौ मूत्र बिलकुल ताजा पिये सबसे बढ़िया !! बाहरी प्रयोग के लिए जितना पुराना उतना अच्छा है लेकिन पीने के लिए ताजा सबसे बढ़िया !! हमेशा देशी गाय का ही मूत्र पिये (देशी गाय की निशानी जिसकी पीठ पर हम्प होता है ) ! 3 -4 घंटे से अधिक पुराना मूत्र ना पिये !! और याद रखे गौ मूत्र पीना है अर्क नहीं ! आधे से एक सुबह सुबह कप पिये ! सारी बीमारियाँ दूर !
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अब बात करते हैं त्रिफला चूर्ण की !
त्रिफला अर्थात तीन फल !
कौन से तीन फल !
1) हरड़ (Terminalia chebula)
2) बहेडा (Terminalia bellirica)
3) आंवला (Emblica officinalis)
एक बात याद रखें इनकी मात्रा हमेशा 1:2:3 होनी चाहिए ! 1 अनुपात 2 अनुपात 3 !
बाजार मे जितने भी त्रिफला चूर्ण मिलते है सब मे तीनों की मात्रा बराबर होती है ! बहुत ही कम बीमारियाँ होती है जिसमे त्रिफला बराबर मात्रा मे लेना चाहिए !! इसलिए आप जब त्रिफला चूर्ण बनवाए तो 1 :2
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मे ही बनवाए !!
सबसे पहले हरड़ 100 ग्राम , फिर बहेड़ा 200 ग्राम और अंत आंवला 300 ग्राम !! इन तीनों को भी एक दूसरे मे मिलकर पाउडर बना लीजिये !! और रात को एक से डेड चमच गर्म पानी के साथ प्रयोग करें !!
सीधा पाउडर लिया नहीं जाता ! तो उसके लिए क्या करें ??
आधे से आधा गिलास पानी को गर्म करे उसमे पाउडर मिलाकर अच्छे से हिलाएँ !! वो सिरप की तरह बन जाएगा ! उसे आप आसानी से एक दम पी सकते है ! उसके बाद एक आधा गिलास अकेला गर्म पानी पी लीजिये !!
सावधानियाँ !!
चीनी का प्रयोग कभी ना करें और जो sugar free गोलियां का तो सोचे भी नहीं !! गुड़ खाये , फल खाये ! भगवान की बनाई गई को भी मीठी चीजे खा सकते हैं !! रात का खाना सर्यास्त के पूर्व करना होगा !! मतलब सूर्य अस्त के बाद भोजन ना करें
ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो, High Fiber Low Fat Diet घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली ज्यादा हो रेशेदार चीजे ज्यादा खाए। सब्जिया में बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज ज्यादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है ।
आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
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और जो चीनी खाते है वो तो जरूर click कर देखें !!
वन्देमातरम
अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय !

आँवला

१- आंवले के सेवन से आंखों की ज्योती बढती है। सूखा आंवला रात को पानी में भिगो दें व सुबह छानकर इसके पानी से आंखें धोने से नेत्र ज्योति बढती है




२- आंवले को कूट कर (लगभग २० ग्राम) लगभग आधा किलो पानी में उसे उबालें व धीमी आंच पर दो घंटे तक उस पानी को छानकर आखों में दिन में तीन बार डालने से नेत्र रोग मे लाभ होता है।


३- पीपली आंवला व सौंठ २-२ ग्राम की मात्रा पीसकर शहद के साथ बार- बार प्रयोग करने से श्वास सम्बन्धी रोग दूर होते हैं।


४- पिसा हुआ आंवला एक चम्मच को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर दिन में दो या तीन बार लेने से खांसी दूर होगी।


५- पिसे हुए आंवले को पानी के साथ फंकी लेकर लगातार लेने से आवाज खुल जायेगी।


६- यदि आखों के आगे अंधेरा छा जाता हो, सिर में जलन हो या बार-बार पेशाब आता हो तो आंवले का रस पानी में मिलाकर सुबह शाम लगातार चार दिन पीने से लाभ होगा।

7- सूखा आवला 30 ग्राम 10 ग्राम बहेड़ा व 50 ग्राम आम की गुठली की गिरी को पीसकर रात भर लोहे की कढ़ाई मे भिगोकर रखे ,बालो पर इसका रोज लेप [करीब एक घंटा ]करने से कम उम्र मे सफ़ेद हुए बाल कुछ ही दिनो मे काले होने लगते है !


8- सूखा आंवला व मिस्री दोनो को पीसकर [ समान मात्रा मे ] एक-एक चम्मच रोज फंकी लेकर खाने से हार्ट संबंधी सभी रोग दूर होते है !


9- यदि दांत मे दर्द हो तो आंवले के रस मे कपूर मिला कर दांत मे रखने से दांत दर्द कम होता है 1


10- यदि किडनी मे पथरी हो तो मूली के साथ आंवला खाने से लाभ होता है !

11- यदि गरमियो में जी घबराता हो तो व चक्कर आते हो तो आंवले का शर्बत पिये, कमजोरी दूर होगी व आपका इम्यून सिस्टम ठीक होगा !

दुनिया का सबसे बड़ा डॉक्टर, है केला


केले के पास हर बीमारी का इलाज.....
हमने कभी सोचा भी नही होगा कि आखिर केला खाने वाले बन्दर लम्बी लम्बी छलाँगें कैसे लगा लेते हैं। हमने कभी सोचा भी नही होगा कि आखिर ताकत बन्दर में होती है या केले के अंदर। हमने कभी सोचा भी नही होगा कि केला आखिर बंदरों का सबसे पसंदीदा भोजन क्यों है। कभी कभी आप यह भी देखते होंगे कि कुछ लोग बंदरों को ढूंढ ढूंढ कर केले खिलते हैं लेकिन खुद केले के गुणों से अंजान रहते है। हम अक्सर यह भी देखते हैं की कुछ लोग गैस, अपच, कब्ज होने पर डॉक्टर के पास जाकर हजारों रुपये खर्च कर देते हैं लेकिन सबसे सस्ती दवा केले के पास जाने की सोच ही नहीं पाते। आइये पढ़ते हैं केला खाने से क्या क्या फायदे होते हैं और किन किस बीमारियों से बचा जा सकता है।
केला: इलाज से रोकथाम अधिक अच्छा
सबसे पहले हमें यह जानना चाहिए कि बीमारियों के इलाज से बीमारियों का रोकथाम अधिक अच्छा है। हमें चाहिए की बीमारियां हमारे शरीर में लगने ही ना पाएं। अगर हम केले को अपनी भोजन में नियमित रूप से शामिल कर लें तो सभी बीमारियों से बचा जा सकता है।
बीमारियां केवल दो ही कारणों से होती हैं।
1. शरीर में खून की कमी
2. पेट में गैस, अपच, कब्ज
ध्यान दीजिये, अगर हमारे शरीर में खून की कमी है तो पेट में गैस और कब्ज की समस्या जरूर होती है और अगर पेट में गैस और कब्ज की समस्या है तो शरीर में खून की कमी होने लगती है। केला खून में हीमोग्लोबिन बढ़ाने का सबसे बढ़िया श्रोत है।नियमित रूप से केले का सेवन करते रहने पर पेट में गैस और कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है। ध्यान दीजिये, शरीर की सभी बीमारियां पेट से ही शुरू होती हैं। चाहे फेफड़े और सांस की बीमारी हों, चाहे दिल और दिमाग की बीमारी हों, चाहे किडनी और आहारनाल की बीमारी हों और चाहे हड्डियों और गठिया की बीमारी हों। पेट में कब्ज और गैस से शरीर में खून बनना कम हो जाता है और हमारे खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसका नतीजा यह होता है कि हमारी साँसों, फेफड़ों, ह्रदय, किडनी आदि में कमी आनी शुरू हो जाती है। इन अंगों के ढीले पड़ने से और सही ढंग से काम ना करने से हमें धीरे धीरे डायबिटीज या कैंसर की बीमारी होनी शुरू हो जाती है। इसके बाद ही टेंशन, तनाव, रक्तचाप आदि की समस्या शुरू होती है और हम डॉक्टरों के पास भागते रहते हैं।
याद रखिये, पक्के केले के सेवन से अधिक फायदे होते हैं। केला जितना अधिक पका होगा आपके खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा उतनी अधिक बढ़ाएगा। कच्चे या अधपके खेले के सेवन से भी फायदा होता है लेकिन इन्हें खाने से पेट में गैस और कब्ज में आराम मिलता है। कच्चे केले की सब्जी भी खायी जा सकती है। याद रखिये अगली बार आपको गैस और कब्ज की शिकायत हो तो गैस की दवा खाने के बजाय चार पांच केले जरूर खाएं। इससे भूख तो शांत होगी ही, आपके शरीर में ब्लड बनेगा और पेट की गैस और कब्ज से छुटकारा मिलेगा। यह भी याद रखें, यह मत सोचिये कि केवल एक दो केले खाने से आप हमेशा के लिए स्वस्थ हो जाएंगे, नियमित रूप से या हफ्ते में तीन बार केले का सेवन जरूर करें।
याद रखिये, अगर आपका पेट सही है, खाना सही ढंग से पच रहा है, गैस और कब्ज की समस्या नहीं है तो आपके शरीर में खून की मात्रा सामान्य बनी रहेगी। अगर आपके शरीर में खून की मात्रा सामान्य रहेगी तो खून में उपस्थित हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को आपके शरीर की हर सेल में बराबर मात्रा में पहुंचाते रहेंगे और आपके फेफड़े स्वस्थ बने रहेंगे रहेंगे। फेफड़ों के स्वस्थ रहने से आप सांस की बीमारियों से दूर रहेंगे। शरीर में खून की मात्रा सामान्य रहेगी तो आपके ह्रदय और किडनी जैसे अंग भी सही ढंग से काम करते रहेंगे और खून में पाए जाने वाले अवशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर करते रहेंगे शरीर में खून की मात्रा सामान्य रहेगी तो आपकी सेल और हड्डियों को कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम और आयरन बराबर मात्रा में मिलता रहेगा।
यह सब केवल केले को नियमित रूप से आहार में शामिल करने से हो सकता है। याद रखिये केला सिर्फ बंदरों का भोजन नहीं है बल्कि हमारे लिए भी कुदरत का वरदान है। केला ना सिर्फ सस्ता होता है बल्कि यह गुणों की खान होता है। केला अमीर भी खा सकते हैं और गरीब भी इसलिए केला खाइए और सभी बीमारियों को दूर भगाइए। याद रखिये कुछ लोग हमारी बातों से असहमत होकर कह सकते हैं कि केला खाने से डायबिटीज हो सकता है, या डायबिटीज वालों को केला खाने से नुकसान हो सकता है। बता दें कि डायबिटीज बीमारी पेट में लम्बे समय तक गैस और कब्ज की समस्या रहने के बाद होती है और इस बीमारी में लीवर के बगल में पाया जाने वाला अंग पैंक्रियाज काम करना बंद कर देता है। अगर नियमित रूप से केले का सेवन किया जाए तो ना तो पेट में गैस और कब्ज होगी और ना ही डायबिटीज जैसे जानलेवा बीमारी होगी।

दुबलापन दूर करने के 4 कारगर तरीके

मोटापे की तरह ही दुबलापन भी कई बार परेशानी का कारण बन जाता है। अक्सर ये समस्या उन लोगों के साथ होती है, जिन्हें भूख नहीं लगती है। भूख कम लगने के कारण भोजन करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इससे शरीर की धातुओं का पोषण नहीं होता। ऐसे में शरीर दुबलेपन का शिकार हो जाता है। यदि आप भी दुबलेपन के शिकार हैं तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे सिंपल फंडे जिनसे दुबलापन दूर हो जाता है....
1. दुबलेपन के रोगी को जठराग्नि का ध्यान रखते हुए दूध, घी आदि का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। इस समस्या से परेशान व्यक्ति को चिंता, मैथुन और व्यायाम को पूरी तरह त्याग देना चाहिए।
2. भरपूर नींद लेनी चाहिए। गेहूं, जौ की चपाती, मूंग या अरहर की दाल, पालक, पपीता, लौकी, मेथी, बथुआ, परवल, पत्तागोभी, फूल गोभी का सेवन अधिक करना चाहिए।
3. रोजाना सेब, अनार, मौसम्मी आदि फलों के रस के अलावा सूखे मेवों में अंजीर, अखरोट, बादाम, पिस्ता, काजू, किशमिश आदि का सेवन भी भरपूर मात्रा में करना चाहिए।
धा चूर्ण भी डाल लें तो बहुत जल्दी फायदा होगा।
4. लवणभास्कर चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण, अग्निकुमार रस, आनंदभैरव रस, लोकनाथ रस, संजीवनी वटी, कुमारी आसव, द्राक्षासव, लोहासव, भृंगराजासन, द्राक्षारिष्ट, अश्वगंधारिष्ट, सप्तामृत लौह, नवायस मंडूर, आरोग्यवर्धिनी वटी, च्यवनप्राश, मसूली पाक, बादाम पाक, अश्वगंधा पाक, शतावरी पाक, लौहभस्म, शंखभस्म, स्वर्णभस्म, आदि का प्रयोग किसी वैद्य के मार्गदर्शन में करें। दुबलेपन से बहुत जल्दी छुटकारा मिल जाएगा।
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* महत्वपूर्ण व रोचक *

1.हमारी हड्डियाँ स्टील की धातु से 5 गुना ज्यादा मजबूत होती है तथा जाँघ एक कंक्रीट जितना मजबूत
2.ओसामा बिन लादेन अमेरिकी एजेंसी CIA का एजेंट रह चुका था।
3.दवाई लेने के बाद अंगूर खाने से आपकी मौत हो सकती है।
4.सेब पानी में तैरने लगते है क्योंकि उनमें 25% हवा होती है।
5.विटामिन B हमारे शरीर के लिए बहुत जरुरी होता है ये हमारे खून को साफ करने में मदद करता है तथा इसके ज्यादा सेवन से हमारे शरीर से एक गंध आती है जो मच्छरो को पसंद नहीं और वो नहीं काटेंगे।
6.इंटनेट में पोर्ट सर्च करने में पाकिस्तान शीर्ष पर है और वो सुअर,कुत्ते,गधे,बिल्ली आदि जानवरो का वीडियो अधिक देखते है।
7.पृथ्वी पर सारे मनुष्य 1 वर्ग कि0मी0 के घन में समा सकते है।
8.पृथ्वी के केन्द्र में इतना सोना है कि जो 1.5 फीट की गहराई तक इसकी पूरी सतह को ढक सकता है।
9.सोना बहुत ही लचीली धातु है।मात्र 28ग्राम सोने की 8 कि0मी0 लम्बी एक बहुत ही बारिक तार बनायी जा सकती है।
10.सोना 1064.43॰c पर पिघलना शुरु कर देता है।इसमें जंग नहीं लग सकती।
11.बीजगणित,त्रिकोणमितीय और कलन की जन्म भारत में ही हुआ।
12.कुंग फू,कराटे,जुडो के जनक "तत्मोह" या बोधि धर्म नामक एक भारतीय बौद्ध भिक्षु थे जो उ00 ई0 के आसपास भारत से चीन गये।
13.जैसलमेर का किला संसार का एकमात्र ऐसा अनोखा किला है जिसमें शहर की 25% आबादी ने अपना घर बना लिया है।
14.5000 साल पहले जब विश्व में ज्यादातर सभ्यताएँ खानाबदोश जीवन जीते थे तब हम भारत में सिंधुघाटी उन्नति के शिखर पर था।
15.17वीं सदी में भारत विश्व में सबसे ज्यादा अमीर देश था।कोल्मबस ने भारत का मार्ग खोजने चला लेकिन गलती से अमेरिका को ढुँढ लिया।

चेचक


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चेचक से अधिकतर बच्चे ग्रसित होते है।यह रोग जब किसी को होता है तो 10 से 15 दिन बाद ही ठीक होता है।यह रोग अधिकतर बसंत रितु या ग्रीष्मकाल में होता है।इस रोग को किसी छाड-फूँक से नहीं ठीक किया जा सकता।
लक्षण:-
रोगी को बेचैनी होती है।उसे बहुत ज्यादा प्यास लगती है और पूरी शरीर में दर्द होने लगता है।दिल की धडकन तेज व जुकाम भी हो जाता है।शरीर लाल रंग के दाने निकलने लगती है।
कारण:- चेचक को घरेलुभाषा में "माता जी" या "शीतला" भी कहते है।इस रोग के फैलने का कारण जीवाणु,थूक,मलमूत्र और नाखूनो में पाया जाता है।
सावधानियाँ:-
रोगी को जब नहलाये तो उस पानी में नीम की पत्तियों को उबाले।
आयुर्वेद में चेचक में नीम से ज्यादा किसी पर भी भरोसा नहीं करते है।
रोगी के घर वालो को खाना बनाते समय सब्जी आदि में छोंका न लगाये।
ध्यान रखे रोगी उन छालो को फोडने न पाये।
उसके आगे पीछे,दाये-बाँये नीम की पत्तियाँ लटकाकर रखें।
उपाय:-
*तुलसी की 12 से 15 पत्तियों को 3 या 4 काली मिर्च के साथ पीसकर गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार पिलायें।
*पीपल की 3 से 5 पत्तियाँ लें। पत्तियों की डंडी तोड दें।इन पत्तों को 1 गिलास पानी में उबालें और एक चौथाई रहने पर इसको गुनगुना ही रोगी को पिलायें।ये प्रयोग 3 से 5 दिन तक लगातार सुबह और शाम को करें।

असली दूध और नकली दूध की पहचाने करें।


1.असली दूध को हाथों के बीच में रगडने से चिकनाई महसूस होती है जबकि नकली दूध से डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होती है।
2.असली दूध को उबलाने पर इसका रंग वही सफेद ही रहेगा लेकिन नकली दूध हल्का पीला हो जायेगा।
3.दूध में पानी की मिलावट की जाँच के लिए किसी चिकनी लडकी या पत्थर की सतह पर दूध की एक या दो दूध टपकाकर देखिये अगर दूध बहते हुए नीचे की तरफ गिरे और सफेद धार का निशान बन जाये तो दूध शुद्ध है।
4.नकली दूध को पहचानने के लिए कुछ मिली दूध को एक छोटी सी शीशी में डालकर हिलाये अगर छाग बहुत देर तक बना रहे तो ये नकली दूध है।
5.असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है जबकि नकली दूध का कडवा।

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SCIENCE

क्या कहता है विज्ञान
1.जर्सी नस्ल की गाय का दूध पीने से 30 प्रतिशत कैंसर बढने की संभावना हैं
- नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट आॅफ अमेरिका
2.गाय अपने सींग के माध्यम से काॅस्मिक पाॅवर ग्रहण करती हैं
- रूडल स्टेनर,जर्मन वैज्ञाानिक
3.गोबर की खाद की जगह रासायनिक खाद का उपयोग करने के कारण महिलाओं का दूध दिन प्रतिदिन विषैला होता जा रहा हैं
- डाॅ. विजयलक्ष्मी सेन्टर फाॅर इण्डियन नोलिज सिस्टम
4.गौमूत्र के उपयोग से हदय रोग दूर होता है तथा पेशाब खुलकर होता है कुछ दिन तक गौमूत्र सेवन से धमनियों में रक्त का दबाव स्वाभाविक होने लगता हैं, गौमूत्र सेवन से भूख बढती है, यह पुराने चर्म रोग की उत्तम औषधि है
- डाॅ. काफोड हैमिल्टन, ब्रिटेन
5.गौमूत्र रक्त में बहने वाले दूषित कीटाणुओं का नाश करता है
- डाॅ.सिमर्स, ब्रिटेन
6.विश्व में केवल गौमाता ही ऐसा दिव्य प्राणी है जो अपनी निश्वास में आॅक्सीजन छोडती हैं
- कृषि वैज्ञानिक डाॅ. जूलिशस एवं डाॅ. बुक जर्मन
7.शहरों से निकलने वाले कचरे पर गोबर के घोले को डालने से दुर्घन्ध पैदा नहीं होती है व कचरा खाद के रूप में परिवर्तित हो जाता हैं
- डाॅ.कान्ति सेन सर्राफ मुम्बई
8.गौ दूध में विद्यमान सेरिब्रासाइय मस्तिक और स्मरण शक्ति के विकास में सहायक होती हैं साथ ही एम.डी.जी.आई. प्रोटीन के कारण रक्तर्कोँणकाओं में कैंसर प्रवेश नहीं कर सकता हैं
- प्रो. रानाल्ड गौ रायटे कारनेल विश्व विद्यालय
9.समस्त दुधारू प्राणियों में गाय ही एक ऐसा प्राणी हे जिसकी बडी आंत 180 फीट लम्बी होती है इसकी विशेषता यह है कि जो चारा ग्रहण करती है उससे दुग्ध में केरोटीन नामक पदार्थ बनता है यह मानव शरीर में पॅंहूचकर विटामीन ए तैयार करता है तो नेत्र त्योति के लिए आवश्यक है।
10.गौमाता के गोबर में हैजे के कीटाणुओं को समाप्त करने की अद्भूत क्षमता होती है
- प्रसिद्ध डाॅ. किंग मद्रास
11.जिन घरों में गौमाता के गोबर से लिपाई-पुताई होती है वह घर रेडियों विकिरण से सुरक्षित रहते है
- प्रसिद्ध वैज्ञानिक शिरोवीच, रूस

गौ माता




1. गौमाता का दूध अमृत के समान है इसलिए जिन नवजात बच्चों की मां दूध नहीं पिला पाती हैं उन्हें गाय का दूध पिलाया जाता है।


2. गौमाता का दूध, मूत्र, गोबर के अलावा दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन सभी पौष्टिक होता है।


3. गौमाता को मां तुल्य कहा जाता है इसी कारण इतिहास के ऐसे बहुत सारे राजा हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में गौ-वध पर पाबंदी लगाकर हिंदुओं का दिल जीता था।


4. पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान राज्य में गौहत्या पर मृत्युदंड का कानून बनाया था।


5. भारत में सोए हुए हिन्दुओ के कारण गाय की 30 नस्लें पाई जाती हैं जो रेड सिन्धी, साहिवाल, गिर, देवनी, थारपारकर आदि नस्लें भारत में दुधारू गायों की प्रमुख नस्लें हैं।

(1952 में 150 प्रकार की नस्ले थी और 1857 से पहले 350 प्रकार की नस्ल थी)

अभी भी हिन्दू नहीं जागे तो ये 30 नस्ल भी नहीं रहेंगी।


6. गोमूत्र (गाय का मूत्र) पंचगव्यों में से एक है। कुछ आधुनिक शोधों में इसके अत्यन्त गुणकारी औषधीय गुण बताये जा हैं।


7. गौमाता के दूध में 7 एमीनोएसिड के प्रोटीन को पाया जाता है जिससे हड्डियों का रोग नहीं होता है।


8. हाल ही में हुए शोध में यह बात सामने आई है कि भारतीय गाय के दूध में मिलने वाले प्रोट्रीन से हृदय घात, डायबिटीज और मानसिक रोग को ठीक करने में अहम होता है।


9. नई रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि भारतीय नश्ल की गाय में सन ग्लैंडस होती है जो उसके दूध को पौष्टिक्ता के साथ औषिधी में बदल देती है।


10. लाल रंग की गाय के दूध के सेवन से शरीर उर्जावान होता है तो काले रंग की गाय का दूध पेट की गैस संबंधी बीमारियों से बचाता है।


11. गाय को लाल और हरे रंग का अंतर नहीं आता है। गाय का दिल एक मिनट में 60 से 70 बार धड़कता है।


12. गाय के सुनने की शक्ति मानवों से अच्छी होती है।

13. आमतौर पर गाय का वजन 1,200 पौंड होता है।

14. गाय का नार्मल तापमान 101.5°F होता है।

15. एक दिन में गाय करीब 14 बार बैठती है और उठती है।


16. गाय करीब 40,000 बार जुगाली करती है, वो दांतों से घास को नहीं खाती है।


17. गाय के पास एक ही पेट होता है लेकिन उसमें चार तरह से डाइजेस्टिव कंपार्टमेंट होता है।


18. गाय 8 घंटे सोती है।

19. गाय उल्टी नहीं कर सकती।

20. गाय आमतौर पर 30-40 गैलन पानी पी जाती है।

21. गाय के केवल नीचले जबड़े में दांत होते हैं।

22. गाय के पास सूंघने की खासियत होती है


तिल के लाभ

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6 तरीकों से ठंड में खाएं तिल, इन बीमारियों की हो जाएगी छुट्टी
तिल का सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। सर्दियों में तिल व उसके तेल दोनों का ही सेवन करना चाहिए। भारत में तो सर्दियों में तिल को ठंड में खाने की परंपरा बहुत प्राचीन है क्योंकि सर्दियों में इसे खाने से न केवल पेट के रोग बल्कि अन्य कई रोग भी दूर होते हैं। तिल में कैल्शियम, आयरन, ऑक्जेलिक एसिड, अमीनो एसिड, प्रोटीन, विटामिन बी, सी तथा ई की प्रचुर मात्रा होता है। काले तिल व सफेद तिल दोनों का ही उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ठंड में तिल के उपयोग व इसे खाने से होने वाले फायदों के बारे में.... - ठंड में तिल गुड़ दोनो समान मात्रा में लेकर मिला लें।उसके लड्डू बना ले। प्रतिदिन 2 बार 1-1 लड्डू दूध के साथ खाने से मानसिक दुर्बलता एंव तनाव दूर होते है। शक्ति मिलती है। कठिन शारीरिक श्रम करने पर सांस फूलना जल्दी बुढ़ापा आना बन्द हो जाता है। तिल व तिल के तेल के सेवन से व सिर में इसकी मालिश करने से न केवल बाल घने और चमकदार होते हैं बल्कि बालों का गिरना भी कम हो जाता है। - प्रतिदिन दो चम्मच काले तिल को चबाकर खाइए और उसके बाद ठंडा पानी पीजिए। इसका नियमित सेवन करने से पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है। बच्चा सोते समय पेशाब करता हो़ तो भुने काले तिलों को गुड़ के साथ मिलाकर उसका लड्डू बना लीजिए। बच्चे को यह लड्डू हर रोज रात में सोने से पहले खिलाइए, बच्चा सोते वक्त पेशाब नही करेगा। - तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। वाइरस, एजिंग और बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करता है। इसीलिए ठंड में तिल का सेवन जरूर करना चाहिए। यदि सर्दी के कारण सूखी खांसी हो तो 4-5 चम्मच मिश्री एंव इतने ही तिल मिश्रित कर ले। इन्हे एक गिलास मे आधा पानी रहने तक उबाले। इसे दिनभर में तीन बार लें।एक स्टडी के मुताबिक ठंड में तिल व तिल के तेल का सेवन डायबिटीज के पेशेन्ट्स के लिए दवा का काम करता है। - पेट दर्द- 20-25 ग्राम साफ चबाकर उपर से गर्म पानी पिलाने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।कब्ज होने पर 50 ग्राम तिल भूनकर उसे कूट लीजिए, इसमें चीनी मिलाकर खाइए। इससे कब्ज दूर हो जाती है। खांसी आने पर तिल का सेवन कीजिए खांसी ठीक हो जाएगी। तिल व मिश्री को पानी में उबाल कर पीने से सूखी खांसी भी दूर हो जाती है। - रोज सुबह अच्छे से चबा चबाकर काले तिल खाने से दांत और मसुड़े स्वस्थ रहते हैं। तिल खांसी से भी निजात दिलाता है। अदरक वाली चाय में दो ग्राम तिल मिलाकर कुछ देर उबालें। इस चाय के सेवन से खांसी ठीक हो जाती है। - तिल, सोंठ, मेथी, अश्वगंधा सभी बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। रोज सुबह इस चूर्ण के सेवन से आर्थराइटिस की समस्या ठीक हो जाती है। ठंड में तिल के सेवन से कफ व सूजन से भी राहत मिलती है।

हार्ट अटैक से बचे

भगवान न करे
कि आपको कभी जिंदगी मे
heart attack आए !लेकिन अगर आ
गया तो आप जाएँगे डाक्टर
के पास ! और आपको मालूम ही है एक
angioplasty आपरेशन
आपका होता है ! angioplasty
आपरेशन मे डाक्टर दिल
की नली मे एक spring डालते हैं !
उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और
इसका cost of production सिर्फ 3
डालर का है ! और
यहाँ लाकर लाखो रुपए मे
बेचते है आपको ! आप इसका आयुर्वेदिक
इलाज करे बहुत बहुत ही सरल
है ! पहले आप एक बात जान
ली जिये ! angioplasty आपरेशन
कभी किसी का सफल
नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring
दिल की नली मे डालता है !!
वो spring बिलकुल pen के spring
की तरह होता है ! और कुछ
दिन बाद उस spring
की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू
हो जाएगी ! और फिर
दूसरा attack आता है ! और
डाक्टर आपको फिर
कहता है ! angioplasty आपरेशन
करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लुट जाते है और
आपकी ज़िंदगी इसी मे
निकाल जाती है ! ! ! अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक
इलाज !! हमारे देश भारत मे 3000 साल
एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे
उनका नाम
था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक
लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक
मे उन्होने ने
बीमारियो को ठीक करने
के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये
उनमे से ही एक सूत्र है !! वागवट जी लिखते है
कि कभी भी हरद्य
को घात हो रहा है ! मतलब
दिल की नलियो मे blockage
होना शुरू हो रहा है !
तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई
है ! अमलता आप समझते है !
जिसको अँग्रेजी मे कहते है
acidity !! अमलता दो तरह
की होती है !
एक होती है पेट
कि अमलता ! और एक
होती है रक्त (blood)
की अमलता !! आपके पेट मे अमलता जब
बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे
जलन सी हो रही है !!
खट्टी खट्टी डकार आ
रही है ! मुंह से
पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़
जाये ! तो hyperacidity होगी !
और यही पेट
की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब
रक्त मे आती है तो रक्त
अमलता(blood acidity) होती !! और जब blood मे acidity बढ़ती है
तो ये अमलीय रकत (blood) दिल
की नलियो मे से निकल
नहीं पाता ! और नलिया मे
blockage कर देता है ! तभी heart
attack होता है !! इसके बिना heart attack
नहीं होता !! और ये आयुर्वेद
का सबसे बढ़ा सच है
जिसको कोई डाक्टर
आपको बताता नहीं !
क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !! इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब
रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़
गई है ! तो आप
ऐसी चीजों का उपयोग
करो जो छारीय है ! आप जानते है दो तरह
की चीजे होती है ! अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline ) अब अमल और छार
को मिला दो तो क्या
होता है ! ?????
((acid and alkaline
को मिला दो तो क्या
होता है )????? neutral होता है सब जानते है !! तो वागबट जी लिखते है !
कि रक्त
कि अमलता बढ़ी हुई है
तो छारीय(alkaline) चीजे
खाओ ! तो रकत
की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और फिर heart
attack की जिंदगी मे
कभी संभावना ही नहीं !! ये
है सारी कहानी !! अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन
सी चीजे है जो छारीय है
और हम खाये ????? आपके रसोई घर मे सुबह से शाम
तक ऐसी बहुत सी चीजे है
जो छारीय है ! जिनहे आप
खाये तो कभी heart attack न
आए ! सबसे ज्यादा आपके घर मे
छारीय चीज है वह है
लोकी !! english मे इसे कहते है
bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के
रूप मे खाते है ! इससे
ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप
रोज लोकी का रस
निकाल-निकाल कर
पियो !!
या कच्ची लोकी खायो !! स्वामी रामदेव
जी को आपने कई बार कहते
सुना होगा लोकी का जूस
पीयों- लोकी का जूस
पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने
ठीक कर
दिया लोकी का जूस
पिला पिला कर !! और उसमे
हजारो डाक्टर है !
जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते
है लोकी का रस पी पी कर
आते है !! 3 महीने 4 महीने
लोकी का रस पीकर
वापिस आते है आकर फिर clinic
पर बैठ जाते है ! वो बताते नहीं हम कहाँ गए
थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए
थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन
करवाने ! वो राम देव जी के
यहाँ गए थे ! और 3 महीने
लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने
लग गए है ! और
वो आपको नहीं बताते
कि आप भी लोकी का रस
पियो !! तो मित्रो जो ये रामदेव
जी बताते है वे भी वागवट
जी के आधार पर ही बताते
है !! वागवतट जी कहते है रकत
की अमलता कम करने की सबे
ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस
का सेवन करे !! कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम
पियो !! कब पिये ?? सुबह खाली पेट (toilet जाने के
बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद
पी सकते है !! इस लोकी के रस को आप और
ज्यादा छारीय बना सकते
है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के
डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके
साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत
छारीय है ! इसके साथ आप
काला नमक या सेंधा नमक
जरूर डाले ! ये भी बहुत
छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले !
वो दूसरा आयोडीन युक्त
नमक कभी न डाले !! ये
आओडीन युक्त नमक अम्लीय
है !!!! तो मित्रो आप इस
लोकी के जूस का सेवन जरूर
करे !! 2 से 3 महीने
आपकी सारी heart की blockage
ठीक कर देगा !! 21 वे दिन
ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू
हो जाएगा !!! कोई आपरेशन
की आपको जरूरत
नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे
भारत के आयुर्वेद से
इसका इलाज हो जाएगा !!
और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के
बच जाएँगे !!