Wednesday, 16 March 2016

The Secret of Life in Hindi – जीवन का रहस्य

विश्वास ही सत्य है| अगर भगवान पर विश्वास करते है तो हमें हर पल उनकी अनुभूति होती है और अगर हम विश्वास नहीं करते तो हमारे लिए उनका कोई अस्तित्व नहीं| 


एक अपराधी, अपराध क्यों करता है?? उसका अपराध करने का उद्देश्य क्या होता है??
एक संत, सेवा क्यों करता है ?? उसका सेवा करने का उद्देश्य क्या होता है ??
मैं यह ब्लॉग क्यों लिख रहा हूँ?? मेरा ब्लॉग लिखने का उद्देश्य क्या है??
आप यह ब्लॉग क्यों पढ़ रहें है?? आपका यह ब्लॉग पढ़ने का उद्देश्य क्या है??

एक अपराधी, एक संत, मैं, आप या इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति जो कुछ भी करता है उसका अंतिम उद्देश्य होता है – ख़ुशी| हर कोई व्यक्ति हमेशा, खुश रहना चाहता है|
एक चोर, चोरी करता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे इससे पैसे मिलेंगे जिससे उसे ख़ुशी मिलेगी|
एक संत, दूसरों की भलाई के लिए अपना पूरा जीवन लगा देता है, क्योंकि उसे लगता है की उसे इससे ख़ुशी मिलेगी|
आप आज यह ब्लॉग पढ़ रहे है क्योंकि आपको लगता है कि इससे आपका जीवन बेहतर होगा और आप और अधिक खुश रहेंगे|
एक संत और एक अपराधी दोनों खुश रहना चाहते है, लेकिन दोनों के रास्ते अलग-अलग क्यों??

The Secret of Life in Hindi  

क्या आप जानते है, हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा रहस्य क्या है – What is the Secret of our life??
हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि “हम खुद को ही नहीं जानते”, शायद हम अपनी प्रकृति या मूल स्वभाव को ही नहीं जानते या फिर शायद जानते हुए भी अनजान है|
जिस तरह हमें पता है कि पानी का स्वभाव तरल होता है, उसी तरह क्या हमें पता है कि मनुष्य का मूल स्वभाव क्या है??

क्या है हमारा मूल स्वभाव – Self Realization

हर व्यक्ति के अन्दर एक शांत शक्ति मौजूद है जिसे हम अपनी अंतरआत्मा कहते है| यह अंतरात्मा हर परिस्थति में सही होती है| यह अंतरात्मा हमेशा हमें सही रास्ता दिखाती है|
जब भी हम कुछ गलत कर रहे होते है, तब हमें बड़ा अजीब सा लगता है जैसे कोई यह कह रहा कि वह कार्य मत करो| यह हमारे अन्दर मौजूद आतंरिक शक्ति ही होती है जो हमें बुरा कार्य करने से रोकती है|
कहा जाता है कि हर मनुष्य के अन्दर ईश्वर का अंश होता है, यह ईश्वर का अंश हमारी अंतरआत्मा ही होती है|
हमारी प्रकृति या स्वभाव – शांत, शक्ति, प्रेम, निडर, सद्भाव, दूसरों की सहायता और अच्छाई है|
हर मनुष्य के अन्दर यह शांत और अद्भुत शक्ति मौजूद है, चाहे वह एक अपराधी हो या संत या और कोई व्यक्ति|
लेकिन फिर क्यों एक संत सही मार्ग पर चलता है और अपराधी गलत मार्ग पर ???
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि संत को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनाई देती है लेकिन अपराधी को वह आवाज अब सुनाई नही देती|
दरअसल जब हम अपनी अंतरात्मा की आवाज को अनसुना कर देते है तो हमारा अपनी अंतरात्मा से संपर्क कमजोर हो जाता है|
जब हम दूसरी बार कुछ बुरा करने जा रहे होते है तो हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज फिर महसूस होती है लेकिन इस बार वह आवाज इतनी मजबूत नहीं होती क्योंकि हमारा अपनी अंतरात्मा से संपर्क कमजोर हो चुका होता है|
जैसे जैसे हम अपनी अंतरात्मा की आवाज को अनसुना करते जाते है वैसे वैसे हमारा अपनी अंतरात्मा के साथ संपर्क कमजोर होता जाता है और एक दिन ऐसा आता है कि हमें वो आवाज बिल्कुल नहीं सुनाई देती|
जैसे जैसे हमारा अपनी अंतरात्मा के साथ संपर्क कमजोर होता जाता है वैसे वैसे हम उदास रहने लगते है और खुशियाँ भौतिक वस्तुओं में ढूंढने लगते है| हम समस्याओं को हल करने में असक्षम हो जाते है जिससे “तनाव” हमारा हमसफ़र बन जाता है|

हम कहाँ जा रहे है ??

आज हमारी जिंदगी एक मशीन की तरह हो गई है जिसमें हम भागते रहते है, लेकिन हमें यह नहीं पता कि हमें जाना कहाँ है?? अगर हम स्वंय को पैसा इकठ्ठा करने वाला रोबोट कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी|
आज हमारे पास सब कुछ है, फिर भी ज्यादातर लोग खुश नहीं है??
ऐसा क्यों है??
इसका सीधा कारण है कि हमारा अपनी अंतरात्मा से संपर्क कमजोर हो गया है, इसलिए हम केवल बाहरी वस्तुओं में ख़ुशी ढूंढते है|
हमें लगता है कि क्रोध होना स्वाभाविक है| लेकिन क्या एक क्रोधी व्यक्ति खुश हो सकता है?? गुस्सा आने के बाद हमारा पूरा दिन या दो तीन घंटे तो ख़राब हो ही जाते है| ऐसा क्यों??
क्योंकि हमारा स्वभाव शांत रहने का है इसलिए जब हम क्रोध करते है, तो हम अपनी अंतरात्मा कि आवाज को अनसुना करते है|
दरअसल हम जितना अपनी अंतरात्मा की आवाज को अनसुना करते जाते है, उतना हम मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर होते जाते है|
हमारा स्वभाव बिल्कुल पवित्र है यानि क्रोध, ईष्या और लालच का कोई स्थान नहीं है| लेकिन जब हम क्रोध, लालच और ईष्या को अपना स्वभाव बनाने की कोशिश करने लगते है तो हम दुखी हो जाते है|
एक चोर को भले ही यह लगता है कि वह चोरी करके खुश हो जाएगा, लेकिन वास्तव में वह चोरी करके अपनी समस्याओं को बढ़ाता है|
जब हम किसी दूसरे व्यक्ति की बुराई करते है, तब हम सबसे अधिक स्वयं को नुकसान पहुंचाते है क्योंकि हमने अपनी अंतरात्मा की आवाज नहीं सुनी|
गौतम बुद्ध ने एक बहुत अच्छी बात कही है –
“त्तुम्हे अपने क्रोध के लिए सजा नहीं मिलती बल्कि तुम्हे अपने क्रोध से ही सजा मिलती है|”
ज्यादातर लोगों को लगता है कि अगर हम क्रोध, ईष्या या लालच करेंगे तो हमें ईश्वर सजा देंगे, लेकिन ऐसा नहीं है| दरअसल जब हम क्रोध, ईष्या, लालच या और कुछ भी बुरा करते है तो हमारा अंतरात्मा से संपर्क कमजोर हो जाते है और यही हमारी सजा होती है|
हम अपने दुखों और समस्याओं के लिए स्वंय जिम्मेदार होते है| मनुष्य का खुश रहना इस बात पर निर्भर करता है कि उसका अपनी अंतरात्मा के साथ संपर्क कितना मजबूत है| अंतरात्मा की आवाज को अनसुना करके हम अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते है

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने के ये हैं 5 फायदे(They are kept in a copper vessel for drinking water 5 Advantages)

आपने लोगों को ये कहते सुना होगा कि तांबे के बर्तन में पानी रखकर पीने के कई फायदे होते हैं. पर शायद आपको पता न हो कि आयुर्वेद भी इसकी पुष्टि करता है. तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से कई तरह की बीमारियां खुद ही समाप्त हो जाती हैं और कई बीमारियां शरीर में पनपने ही नहीं पाती हैं.
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पर ऐसा नहीं है कि तांबे के बर्तन में तुरंत पानी रखा और पी लिया. इससे कोई लाभ नहीं होगा. अगर तांबे के बर्तन में रखे पानी का फायदा लेना है तो इसे कम से कम छह से आठ घंटे का समय दें या फिर रात को रखकर सुबह पिएं.
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तांबे के बर्तन में पानी रखने से तांबे के सारे गुण पानी में आते हैं. ये पानी न केवल स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है बल्कि खूबसूरती बढ़ाने में भी मददगार होता है.
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1. पाचन क्रिया में फायदेमंद
खाना खाने के बाद अपच का हो जाना एक आम समस्या है. तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से कब्ज, गैस और अपच की समस्या में आराम मिलता है. इसके साथ ही इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो नुकसानदायक बैक्टीरिया को समाप्त करने का काम करते हैं. तांबे के बर्तन में रखे पानी का खाली पेट सेवन करना सबसे अधिक फायदेमंद होता है.
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2. वजन घटाने में
अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो तांबे के बर्तन में रखा पानी आपके लिए बहुत फायदेमंद है. ये शरीर की अतिरिक्त चर्बी को गलाने का काम करता है.
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3. घाव और चोट में
तांबे में एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं. जिसकी वजह से घाव जल्दी भर जाता है. साथ ही रोग प्रतिरक्षा क्षमता को मजबूत बनाने के लिए भी तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए.
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4. बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने के लिए
बढ़ती उम्र का सबसे अधिक असर हमारे चेहरे पर नजर आता है. ऐसे में तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से बढ़ती उम्र के असर को कम किया जा सकता है. इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है.
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5. दिमागी विकास के लिए
हमारे मस्तिष्क को तंत्रिका के माध्यम से सूचना मिलती है. तंत्रिका मायलिन नाम के एक आवरण से ढकी होती हैं और तांबें में रखा पानी पीने से इस आवरण के निर्माण को बल मिलता है

If so, can we ??(इतना तो हम कर ही सकते है??)


क्या आप जानते हैं ब्रेड खाना स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है?(o you know how much bread food is harmful to health?)

सुबह की भागदौड़ ने ब्रेड को हम सभी के घर का अभिन्न हिस्सा बना दिया है. ब्रेकफास्ट तैयार करने की हड़बड़ी और खाने की जल्दबाजी में ब्रेड से बेहतर दूसरा कोई विकल्प हमें नजर ही नहीं आता है.
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चाहे वो फटाफट से तैयार हो जाने वाला सैंडविच हो, ब्रेड-जैम हो या फिर ब्रेड-मक्खन, ये हम सभी के जीवन का हिस्सा बन चुका है. पर क्या आप जानते हैं ब्रेड खाना कितना अधिक नुकसानदायक हो सकता है!
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1. पोषक तत्वों का अभाव
दूसरी चीजों की तुलना में ब्रेड में बहुत कम पोषक तत्व होते हैं. खासतौर पर व्हाइट ब्रेड में. न तो ब्रेड खाने से फाइबर मिलता है, न तो ग्रेन्स का पूरा फायदा. एक तरीके से कोई भी पोषक तत्व हमारे शरीर में नहीं जाता है. अगर आप ब्रेड की आदत को छोड़ नहीं सकते हैं तो व्हाइट ब्रेड की जगह होल-ग्रेन ब्रेड खाना शुरू कर दीजिए. ये तुलनात्मक रूप से बेहतर है.
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2. नमक की अत्यधिक मात्रा
ज्यादातर ब्रेड में बहुत अधिक मात्रा में नमक होता है. इससे शरीर में सोडियम की मात्रा के संतुलन पर असर पड़ता है. आप चाहे तो घर पर ब्रेड तैयार कर सकते हैं और उसमें नमक की मात्रा को संतुलित रख सकते हैं.
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3. वजन बढ़ाता है
अगर आप ब्रेड के बहुत शौकीन हैं तो आपका वजन बढ़ना लगभग तय है. इसमें मौजूद नमक, चीनी और प्रीजरवेटिव्स वजन बढ़ाने वाले कारक हैं.
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4. ये कोई पूर्ण आहार नहीं है
अगर आपने ध्यान दिया हो तो पाया होगा कि ब्रेड खाने के बाद भी भूख शांत नहीं होती है. ये फिलर की तरह काम करता है लेकिन इसे एक वक्त के आहार के रूप में लेना सही नहीं है. वैसे भी ब्रेकफास्ट सबसे अधिक हेल्दी होना चाहिए. ऐसे में आपके लिए ब्रेड का विकल्प तलाशना बेहद जरूरी है.

Mango

कुछ दिनों में आम यानी की फलों का राजा बाजार में मिलना शुरु हो जाएगा। आम की महक हर किसी का मन मोह लेती है और भूख बढा देती है। क्‍या आप जानते हैं कि आम आपको खूबसूरत बनाने के लिये भी बहुत काम आ सकता है। अगर आप आम खा कर उसके छिलके को फेक देते हैं तो आपको बता दें कि छिलका भी बडे़ काम का होता है। इसे धूप में सुखा कर इसका पाउडर बना सकते हैं और फेस पैक बना सकते हैं। आम त्‍वचा को चमकदार और सुदंर बना सकता है। आम के पल्‍प को चेहरे पर लगाने से चेहरे पर से ब्‍लैकहेड्स, झाइयां, डार्क सपॉट आदि मिटती है। आइये और जानते हैं आम के सौंदर्य वर्धक फायदे।
आम के सौंदर्य वर्धक फायदे--
1. स्‍क्रब-
एक टी स्‍पून आम का पल्‍प लें, उसमें आधा चम्‍मच दूध या मि‍ल्क पाउडर, शहद मिलाएं और अपने चेहरे पर गोलाई में मले। इससे डेड स्‍किन और ब्‍लैकहेड्स साफ होते हैं साथ ही चेहरे का ग्‍लो भी बढ़ता है।
2. फेस पैक-
आम तौर पर हम आम के छिलके को फेक देते हैं, पर आप इसे धूप मे सुखा कर पाउडर बना सकती हैं। इसमें दही मिलाएं और फेस पैक बना लें। इससे चेहरे के डार्क स्‍पॉट, झाइयां हटती हैं।
3. कच्‍चे आम का रस-
कच्‍चे आम का टुकड़ा कर के उसे पानी में उबाल लें। इस पानी को चेहरे के पिंपल हटाने में इस्‍तमाल कर सकती हैं। इस पानी से अपने मुंह को दिन में दो बार धोएं।
4. क्‍लींजर-
1 चम्‍मच गेहूं का आटा ले कर उसमें आम का गूदा मिलाएं और त्‍वचा पर प्रयोग करें। यह चेहरे के पोर्स के अंदर जा कर उसे साफ करेगा।
5. टैनिंग हटाए-
कच्‍चे या पके आम के छिलके को अपने हाथ और पैरों पर मलें, इसके बाद उस पर दूध की मलाई लगाएं। 15 मिनट के बाद ठंडे पानी से त्‍वचा को धो लें। इससे टैनिंग दूर होती है

ऐसी जानकारी जो शायद आपने पहले कभी नही पढ़ी होगी ||(You will probably never before read such information )

1. दही को जल्दी और अच्छी जमाने के
लिए रात को जमाते वक्त दूध में
हरी मिर्च का डंठल तोड़ कर डाल दे !
दही जबरदस्त जमेगी||
2. अगर सब्जी में नमक
ज्यादा हो गया हो तो आटे को गूंथ
कर उसके छोटे - छोटे पेड़े ( लोइयां )
बना कर डाल दे नमक कम हो जायेगा||
3. प्याज को काट कर बल्ब या ट्यूब
लाईट के साथ बाँधने से मच्छर व
छिपकिली और मोर का पंख घर में
कहीं भी लगाने से केवल
छिपकिली नही आती यह आजमाए हुए
हैं.||
4. यदि फ्रिज में कोई भी खुशबू या बदबू
आती है तो आधा कटा हुआ निम्बू रखने
से ख़त्म हो जायेगी एक हज़ार बार
अजमाया हुआ है जी.||
5. चावल के उबलने के समय २ बूँद निम्बू के
रस की डाल दे चावल खिल जायेंगे और
चिपकेंगे नही||
6. चीनी के डब्बे में तीन या चार लौंग
डालने से चींटी नहीं आती ||
7. बरसातों के दिनों में अक्सर नमक
सूखा नही रह पाता वह सिल
( गीला गीला सा) जाता है आप नमक
की डिबिया में ४-५ चावल के दाने
डाल दें बहुत कम उसमे सीलापन आता है
तब.||
8. मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये
थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर
के लिये अलग रख दें||
9. आटा गूंधते समय पानी के साथ
थोड़ा सा दूध मिलाये। इससे
रोटी और पराठे का स्वाद बदल जाएगा ||
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ठंडी चाय - Iced Tea Recpie

जब भी गर्मी का पारा चढे, मचचाहे फ्लेवर व स्वाद में ठंडी चाय बना कर पीजिये. फ्लेवर के लिये छोटी इलाइची, दाल चीनी, जायफल, पोदीना और तुलसी जो भी पसन्द हो वह डाला जा सकता है. चाय में अलग अलग स्वाद के लिये नीबू, आम का क्रस, पाइन एपल क्रस या संतरे का जूस या पाइनएपल जूस लिया जा सकता है.

आवश्यक सामग्री - Ingredients for Ice Tea
चाय की पत्ती - 1 छोटी चम्मच
चीनी - 2 - 3 छोटी चम्मच
छोटी इलाइची - 2 छील कर पाउडर बना लीजिये
मेन्गो क्रस - 3-4 टेबल स्पून
नीबू - 1/2 नीबू का रस निकाल लीजिये और 4 नीबू के पतले कटे वेजेज
विधि - How to make Iced Tea at home?
किसी बर्तन में 2 कप पानी डालकर उबलने रख दीजिये. पानी में उबाल आने पर चीनी, चाय की पत्ती, और इलाइची पाउडर डालिये, गैस बन्द कर दीजिये. ढककर 2-3 मिनिट चाय को बर्तन में ही रख कर, चाय को ब्रू कर लीजिये. अब चाय को किसी बर्तन में छान कर निकाल लीजिये और फ्रिज में रखकर ठंडी कर लीजिये


चाय ठंडी हो जाने पर, चाय में आधा नीबू का रस मिला लीजिये. 2 लम्बे गिलास लीजिये, प्रत्येक गिलास में 7-8 टुकड़े बर्फ के डालिये, 1.5- 2 टेबल स्पून मेन्गो क्रस डाल दीजिये, ठंडी की हुई चाय को दोंनो गिलास में आधा आधा डाल दीजिये. नीबू के वेजेज 2 प्रत्येक गिलास में डाल दीजिये, तैयार है कार्डामोम मेन्गो आइस्ड टी. ठंडी चाय पीजिये और तराबट लीजिये.

सुझाव:

चाय को ब्रू करते समय चाय को ज्यादा देर तक न उबालें चाय का स्वाद अच्छा नहीं रहता.
ठंडी चाय अगर नीबू के स्वाद में बना रहे हैं तो 2 गिलास ठंडी चाय में 1 नीबू का रस डालकर मिलायें और चीनी 3-4 छोटी चम्मच कर दीजिये.
ठंडी चाय को अगर संतरे का स्वाद में बना रहे हैं तो 2 कप ब्रू की हुई चाय में, आधा नीबू का रस और आधा कप संतरे का जूस डालिये.
ठंडी चाय को अगर पाइन एपल के स्वाद में बना रहे हैं तो 2 कप ब्रू की हुई चाय में, आधा नीबू का रस और आधा कप पाइन एपल जूस डालें या 3-4 टेबल स्पून पाइन एपल क्रस डाल कर बनायें.

पालक पनीर बिरयानी(Palak paneer biryani)

आवश्यक सामग्री -
पालक - 250 ग्राम (बारीक कटी हुई)
बासमती चावल - 1 कप (200 ग्राम)
टमाटर - 2 (150 ग्राम)
पनीर - 200 ग्राम
दही - ½ कप
तेल - 4-5 टेबल स्पून
हरा धनिया - 4-5 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)
नमक - 1.5 छोटी चम्मच य स्वादानुसार
साबुत गरम मसाला - काली मिर्च 12, इलायची 3, लौंग 4, दालचीन 1 इंच टुकडा़,
हरी मिर्च - 2 (बारीक कटी हुई)
लाल मिर्च - ¼ छोटी चमच
अदरक - 1 छोटी चम्मच
जीरा - ½ छोटी चम्मच
धनिया पाउडर - 1 छोटी चम्मच
हल्दी पाउडर - ¼ छोटी चम्मच
घी - 2 छोटे चम्मच


विधि -
चावलों को साफ करके अच्छी तरह धो कर आधा घन्टे के लिये पानी में भिगो कर रख दीजिए.
आधा घंटे के बाद एक बड़े बरतन में 4-5 कप पानी डालकर उबलने के लिए रख दीजिए. पानी में उबाल आने पर इसमें भीगो कर रखे हुए चावल डाल दीजिए, साथ ही 2 छोटे चम्मच तेल और 3/4 छोटा चम्मच नमक डाल कर मिक्स कर दीजिए और चावलों को ढककर पकने दीजिए. चावलों को बीच में चैक करते रहें (चावलों को 90% तक पकाएं इन्हें पूरी तरह से नहीं पकाना). चावलों के पक जाने पर इन्हें छान लीजिए और अतिरिक्त पानी को हटा दीजिए, और थोड़ा ठंडा होने दीजिये.

टमाटर को बारीक काट लीजिए, पनीर को भी छोटे-छोटे आध इंच के चौकोर टुकड़ों में काट कर तैयार कर लीजिए .

पैन में तेल डाल कर गरम कीजिये, तेल के हल्का गरम होने पर पनीर के टुकड़े पैन में सिकने के लिये लगा दीजिये और दोनों ओर पलट-पलट कर हल्के ब्राउन होने तक सेक कर निकाल लीजिये. अब इस बचे तेल में जीरा, लौंग, काली मिर्च, इलाइची के दानों और दाल चीनी को डाल कर मसाले को हल्का सा भून लीजिए. अब हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, कटे हुए टमाटर के टुकड़े, कद्दूकस किया हुआ अदरक, कटी हुई हरी मिर्च, लाल मिर्च पाउडर डालकर थोड़ा सा भूनिये और ढककर के 3-4 मिनिट पकने दीजिए.

मसाले को चैक कीजिए, टमाटर नरम होने पर दही डालकर मिला दीजिए, मसाले में उबाल आने पर इसमें पनीर के टुकड़े डाल दीजिये और नमक डाल कर मिला दीजिए. अब इसमें पालक डालकर मिक्स करें और 2-3 मिनिट के लिए पका लीजिए.एक बडा़ बर्तन लीजिए इसमें चावलों को दम दिलवाएं. बर्तन के तले में 1-2 छोटी चम्मच घी डाल दीजिये, और थोडी़ सी सब्जी डालकर फैला दीजिए. अब इसके ऊपर आधा चावल डालकर चावल की एक परत बिछा दीजिये, अब फिर से सब्जी को चावल के ऊपर डाल दीजिये और एक जैसा फैला कर चावलों को ढक दीजिये.

बचे हुये चावल सब्जी के ऊपर डालकर एक जैसा करके परत जमा दीजिये, अब बची हुई सब्जी को चावलों के ऊपर डाल दीजिए साथ ही हरा धनिया और 2-3 चम्मच घी के डाल दीजिए और अब बिरयानी का ढक्कन अच्छी तरह बन्द करके, धीमी गैस पर 15 मिनिट तक दम दीजिये.

गैस बंद कर दीजिए, बिरयानी बन कर तैयार है. बर्तन का ढक्कन खोलिये, और बिरयानी को प्लेट में निकाल लीजिए. गरमा गरम पालक पनीर बिरयानी तैयार है, इसे हरे धनिये की पत्तियों से गार्निश कर दीजिए. स्वादिष्ट पालक पनीर बिरयानी को, दही, रायते, चटनी या अचार के साथ परोसिये और खाइये.

Thyroid gland disease and treatment(थायरायड ग्रंथि : रोग और उपचार)

मानव शरीर में दो प्रकार की ग्रंथियां होती हैं, एक वे
जो हार्मोन्स को नलिकाओं के माध्यम से शरीर के विभिन्न
अवयवों तक पहुंचाती हैं| दूसरी वे ग्रंथियां हैं जिनके हार्मोन सीधे
रक्त के साथ मिलकर शरीर के आन्तरिक अवयवों तक पहुंचकर
विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का नियमन एवं संचालन करते हैं |
इन्हें अन्तःस्रावी ग्रंथि कहा जाता है |
****** अन्तःस्रावी ग्रंथियों का कार्य *******
जिस प्रकार किसी रासायनिक क्रिया में किसी उत्प्रेरक
[ CATALYST ] को मिला दिया जाये
तो उसकी प्रतिक्रिया तुरंत व् आसान हो जाती है; ठीक
उसी प्रकार अन्तःस्रावी ग्रंथियों से जो हार्मोन निकलते हैं वे
सीधे रक्त में मिलकर ‘ उत्प्रेरक ‘ का कार्य करते हैं तथा शरीर
में होने वाली रासायनिक क्रियाओं को बेहद आसान बना देते हैं |


हमारे शरीर में निम्न अन्तःस्रावी ग्रंथियां होती हैं
—-
१- पियुष [ PITUITARY ]
२- अवटुका [ THYROID ]
३- परावटुका [ PARATHYROID ]
४- अधिवृक्क [ ADRENAL ]
५- बाल ग्रंथि [ THYMUS GLAND ]
६- क्लोम की द्वीपिका [ ISLETS OF LANGERHANS ]
७- अंड ग्रंथि [ TESTES ] पुरुषों में
८- डिम्ब ग्रंथि [ OVARY ] स्त्रियों में
***** अन्तःस्रावी ग्रंथियों का महत्व *****
मनुष्य के पुरे जीवन काल में अन्तःस्रावी ग्रंथियां बहुत
ही सीमित मात्रा में हार्मोन स्रवित करती हैं, परन्तु यह हमारे
जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तथा आवश्यक हैं | उदहारण
स्वरुप एक सामान्य स्त्री की ” डिम्ब ग्रंथि ” से जीवन पर्यंत –
एक डाक टिकट जितना आकार के कागज के भार के बराबर हार्मोन
निकलता है , परन्तु यही हार्मोन एक बालिका को स्त्री एवं
स्त्री को माँ बनाने के लिए जिम्मेदार होता है |
इसी प्रकार -” थायरायड ग्रंथि “ से जीवन भर में मात्र चाय के
एक चम्मच जितना हार्मोन निकलता है, परन्तु
इसकी कमी या अधिकता – बौनापन या अत्यधिक लम्बाई के साथ
ही शरीर में अन्य अनेक परेशानियाँ उत्पन्न कर देता है | इस लेख
में हम थायरायडग्रंथि एवं इस से उत्पन्न रोगों की प्राकृतिक,
योग एवं एक्युप्रेशर चिकित्सा की जानकारी दे रहे हैं —-
******* थायरायड/पैराथायरायड ग्रंथियां ********
थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं
स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है | एक
स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक
होता है | यह ‘ थाइराक्सिन ‘ नामक हार्मोन का उत्पादन
करती है | पैराथायरायड ग्रंथियां, थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं
मध्य भाग की ओर
एक-एक जोड़े [ कुल चार ] में होती हैं | यह ” पैराथारमोन ”
हार्मोन का उत्पादन करती हैं |
इन ग्रंथियों के प्रमुख रूप से निम्न कार्य हैं-
******* थायरायड ग्रंथि के कार्य ******
थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग
सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है |
थायरायड ग्रंथि के प्रमुख कार्यों में -
•बालक के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान है |
•यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में उत्प्रेरक
का कार्य करती है |
•शरीर के ताप नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका है |
•शरीर का विजातीय द्रव्य [ विष ] को बाहर निकालने में
सहायता करती है |
थायरायड के हार्मोन असंतुलित होने से निम्न रोग लक्षण
उत्पन्न होने लगते हैं – अल्प स्राव [ HYPO THYRODISM ]
थायरायड ग्रंथि से थाईराक्सिन कम बन ने की अवस्था को ”
हायपोथायराडिज्म ” कहते हैं,
इस से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं -
•शारीरिक व् मानसिक वृद्धि मंद हो जाती है |
•बच्चों में इसकी कमी से CRETINISM नामक रोग हो जाता है |
•१२ से १४ वर्ष के बच्चे की शारीरिक वृद्धि ४ से ६ वर्ष के
बच्चे जितनी ही रह जाती है |
•ह्रदय स्पंदन एवं श्वास की गति मंद हो जाती है |
•हड्डियों की वृद्धि रुक जाती है और वे झुकने लगती हैं |
•मेटाबालिज्म की क्रिया मंद हो जाती हैं |
•शरीर का वजन बढ़ने लगता है एवं शरीर में सुजन भी आ जाती है
|
•सोचने व् बोलने ki क्रिया मंद पड़ जाती है |
•त्वचा रुखी हो जाती है तथा त्वचा के नीचे अधिक मात्रा में
वसा एकत्र हो जाने के कारण आँख की पलकों में सुजन आ जाती है
|
•शरीर का ताप कम हो जाता है, बल झड़ने लगते हैं तथा ” गंजापन
” की स्थिति आ जाती है |
थायरायड ग्रंथि का अतिस्राव - इसमें थायराक्सिन हार्मोन
अधिक बनने लगता है |
इससे निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होते हैं —-
•शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है |
•ह्रदय की धड़कन व् श्वास की गति बढ़ जाती है |
•अनिद्रा, उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं
|
•शरीर का वजन कम होने लगता है |
•कई लोगों की हाँथ-पैर की उँगलियों में कम्पन उत्पन्न
हो जाता है |
•गर्मी सहन करने की क्षमता कम हो जाती है |
•मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है |
•घेंघा रोग उत्पन्न हो है |
•शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है |
पैराथायरायड ग्रंथियों के असंतुलन से उत्पन्न होने वाले रोग
जैसा कि पीछे बताया है कि पैराथायरायड ग्रंथियां ” पैराथार्मोन
“ हार्मोन स्रवित करती हैं | यह हार्मोन रक्त और हड्डियों में
कैल्शियम व् फास्फोरस की मात्रा को संतुलित रखता है |
इस हार्मोन की कमी से – हड्डियाँ कमजोर
हो जाती हैं, जोड़ों के रोग भी उत्पन्न हो जाते हैं |
पैराथार्मोन की अधिकता से – रक्त में, हड्डियों का कैल्शियम
तेजी से मिलने लगता है,फलस्वरूप हड्डियाँ अपना आकार खोने
लगती हैं तथा रक्त में अधिक कैल्शियम पहुँचने से गुर्दे
की पथरी भी होनी प्रारंभ हो जाती है |
विशेष :-
थायरायड के कई टेस्ट जैसे - T -3 , T -4 , FTI , तथा TSH
द्वारा थायरायड ग्रंथि की स्थिति का पता चल जाता है | कई बार
थायरायड ग्रंथि में कोई विकार नहीं होता परन्तु पियुष ग्रंथि के
ठीक प्रकार से कार्य न करने के कारण थायरायड
ग्रंथि को उत्तेजित करने वाले हार्मोन -TSH [ Thyroid
Stimulating hormone ] ठीक प्रकार नहीं बनते और
थायरायड से होने वाले रोग लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं |
थायरायड की प्राकृतिक चिकित्सा :-
1 – गले की गर्म-ठंडी सेंक साधन :– गर्म पानी की रबड़
की थैली, गर्म पानी, एक छोटा तौलिया, एक भगौने में
ठण्डा पानी |
विधि :— सर्वप्रथम रबड़ की थैली में गर्म पानी भर लें | ठण्डे
पानी के भगौने में छोटा तौलिया डाल लें | गर्म सेंक बोतल से एवं
ठण्डी सेंक तौलिया को ठण्डे पानी में भिगोकर , निचोड़कर निम्न
क्रम से गले के ऊपर गर्म- ठण्डी सेंक करें -
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– ३ मिनट ठण्डी
इस प्रकार कुल 18 मिनट तक यह उपचार करें |
इसे दिन में दो बार – प्रातः – सांय कर सकते हैं|
2- गले की पट्टी लपेट :-
साधन :- १- सूती मार्किन का कपडा, लगभग ४ इंच चौड़ा एवं
इतना लम्बा कि गर्दन पर तीन लपेटे लग जाएँ |
२- इतनी ही लम्बी एवं ५-६ इंच चौड़ी गर्म कपडे की पट्टी |
विधि :- सर्वप्रथम सूती कपडे को ठण्डे पानी में भिगोकर निचोड़
लें, तत्पश्चात गले में लपेट दें इसके ऊपर से गर्म कपडे
की पट्टी को इस तरह से लपेटें कि नीचे वाली सूती पट्टी पूरी तरह
से ढक जाये | इस प्रयोग को रात्रि सोने से पहले ४५ मिनट के
लिए करें |
3 -गले पर मिटटी कि पट्टी:-
साधन :- १- जमीन से लगभग तीन फिट नीचे की साफ मिटटी |
२- एक गर्म कपडे का टुकड़ा |
विधि :- लगभग चार इंच लम्बी व् तीन इंच चौड़ी एवं एक इंच
मोटी मिटटी की पट्टी को बनाकर गले पर रखें तथा गर्म कपडे से
मिटटी की पट्टी को पूरी तरह से ढक दें | इस प्रयोग को दोपहर
को ४५ मिनट के लिए करें |
विशेष :- मिटटी को ६-७ घंटे पहले पानी में भिगो दें, तत्पश्चात
उसकी लुगदी जैसी बनाकर पट्टी बनायें |
4 – मेहन स्नान विधि :-
एक बड़े टब में खूब ठण्डा पानी भर कर उसमें एक बैठने
की चौकी रख लें | ध्यान रहे कि टब में पानी इतना न भरें
कि चौकी डूब जाये | अब उस टब के अन्दर चौकी पर बैठ जाएँ |
पैर टब के बाहर एवं सूखे रहें | एक सूती कपडे की डेढ़–दो फिट
लम्बी पट्टी लेकर अपनी जननेंद्रिय के अग्रभाग पर लपेट दें एवं
बाकी बची पट्टी को टब में इस प्रकार डालें कि उसका कुछ
हिस्सा पानी में डूबा रहे | अब इस पट्टी/ जननेंद्रिय पर टब से
पानी ले-लेकर लगातार भिगोते रहें | इस प्रयोग को ५-१० मिनट
करें, तत्पश्चात शरीर में गर्मी लाने के लिए १०-१५ मिनट
तेजी से टहलें |
आहार चिकित्सा ***
सादा सुपाच्य भोजन,मट्ठा,दही,नारियल का पानी, मौसमी फल,
तजि हरी साग – सब्जियां, अंकुरित गेंहूँ, चोकर सहित आंटे
की रोटी को अपने भोजन में शामिल करें |
परहेज :-
मिर्च-मसाला,तेल,अधिक नमक, चीनी, खटाई, चावल, मैदा, चाय,
काफी, नशीली वस्तुओं, तली- भुनी चीजों, रबड़ी,मलाई, मांस,
अंडा जैसे खाद्यों से परहेज रखें |
योग चिकित्सा ***
उज्जायी प्राणायाम :-
पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें |
अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस
प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व् कम्पन उत्पन्न होने लगे | इस
प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें |
प्राणायाम प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें |