सबसे पहले आप हमेशा ये बात याद रखें कि शरीर मे सारी बीमारियाँ वात-पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं !अब आप पूछेंगे ये वात-पित्त और कफ क्या होता है ???बहुत ज्यादा गहराई मे जाने की जरूरत नहीं आप ऐसे समझे की सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं ! छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं ! और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगड़ने के कारण होतेहैं !हमारे हाथ की कलाई मे ये वात-पित्त और कफ की तीन नाड़ियाँ होती हैं !भारत मे ऐसे ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ रहे हैं जो आपकी नाड़ी पकड़ कर ये बता दिया करते थे कि आपने एक सप्ताह पहले क्या खाया एक दिन पहले क्या खाया -दो पहले क्या खाया !! और नाड़ी पकड़ कर ही बता देते थे कि आपको क्या रोग है ! आजकल ऐसी बहुत ही कम मिलते हैं!शायद आपके मन मे सवाल आए ये वात -पित्त कफ दिखने मे कैसे होते हैं???तो फिलहाल आप इतना जान लीजिये ! कफ और पित्त लगभग एक जैसे होते हैं ! आम भाषा मे नाक से निकलने वाली बलगम को कफ कहते हैं ! कफ थोड़ा गाढ़ाऔर चिपचिपा होता है ! मुंह मे से निकलने वाली बलगम को पित्त कहते हैं ! ये कम चिपचिपा और द्रव्य जैसा होता है !! और शरीर से निकले वालीवायु को वात कहते हैं !! ये अदृश्य होती है !कई बार पेट मे गैस बनने के कारण सिर दर्द होता है तो इसे आप कफ का रोग नहीं कहेंगे इसे पित्त का रोग कहेंगे !! क्यूंकि पित्त बिगड़ने से गैस हो रही है और सिर दर्द हो रहा है ! ये ज्ञान बहुत गहरा है खैर आप इतना याद रखें कि इस वात -पित्त और कफ के संतुलन के बिगड़ने से हीसभी रोग आते हैं !और ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं ! बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है !बार बार खांसी ,सर्दी ,छींके आना आदि होगा ! 14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं बार बार पेट दर्द करना ,गैस बनना,खट्टी खट्टी डकारे आना आदि !! और उसके बाद बुढ़ापे मे वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं घुटने दुखना ,जोड़ो का दर्द आदि_________________________भारत मे 3 हजार साल पहले एक ऋषि हुए है उनका नाम था वाग्बट्ट ! उन्होने ने एक किताब लिखी जिसका नाम था अष्टांग हृदयं !! वो ऋषि 135 साल तक की आयु तक जीवित रहे थे ! अष्टांग हृदयं मे वाग्बट्टजी कहते हैं की जिंदगी मे वात्त,पित्त और कफ संतुलित रखना ही सबसे अच्छी कला है और कौशल्य है सारी जिंदगी प्रयास पूर्वक आपको एक ही काम करना है की हमारा वात्त,पित्त और कफ नियमित रहे,संतुलित रहे और सुरक्षित रहे|जितना चाहिए उतना वात्त रहे,जितना चाहिए उतना पित्त रहे और जितना चाहिए उतना कफ रहे|तो जितना चाहिए उतना वात्त,पित्त और कफ रहे उसके लिए क्या करना हैउसके लिए उन्होने 7000 सूत्र लिखे हैं उस किताब मे !उसमे सबसे महत्व पूर्ण और पहला सूत्र है :भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है | )अब समझते हैं क्या कहा वाग्बट्टजी ने !!कभी भी खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना !! अब आप कहेंगे हम तो हमेशा यही करते हैं ! 99% लोग ऐसे होते है जो पानी लिए बिना खाना नहीं खाते है |पानी पहले होता है खाना बाद मे होता है |बहुत सारे लोगतो खाना खाने से ज्यादा पानी पीते है दो-चार रोटी के टुकडो को खाया फिर पानी पिया,फिर खाया-फिर पानी पिया ! ऐसी अवस्था मे वाग्बट्टजी बिलकुल ऐसी बात करते हे की पानी ही नहीं पीना खाना खाने के बाद ! कारण क्या ? क्यों नहीं पीना है ?बात ऐसी है की हमारा जो शरीर है शरीर का पूरा केंद्र है हमारा पेट|ये पूरा शरीर चलता है पेट की ताकत से और पेट चलता है भोजन की ताकत से|जो कुछ भी हम खाते है वो ही हमारे पेट की ताकत है |हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने रोटी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी कुछ भी दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करताहै |आप कुछ भी खाते है पेट उसके लिए उर्जा का आधार बनता है |अब हम खाते है तो पेट मे सब कुछ जाता है|पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है अमाशय|उसी स्थान का संस्कृत नाम है जठर|उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है epigastrium |ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है ये |बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|अब अमाशय मे क्या होता है खाना जैसे ही पहुँचता है तो यह भगवान की बनाई हुई व्यवस्था है जो शरीर मे है की तुरंत इसमें आग(अग्नि) जल जाती है |आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे जठराग्नि|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है |ये आग ऐसी ही होती है जेसे रसोई गेस की आग|आप की रसोई गेस की आग है ना कीजेसे आपने स्विच ओन किया आग जल गयी|ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है |आपने खाना खाया और अग्नि जल गयी अब अग्नि खाने को पचाती है |वो ऐसे ही पचाती है जेसे रसोई गेस|आपने रसोई गेस पर बरतन रखकर थोडा दूध डाल दिया और उसमे चावल डाल दिया तो जब तक अग्नि जलेगी तब तक खीर बनेगी|इसी तरह अपने पानी डाल दिया और चावल डाल दिए तो जब तक अग्नि जलेगी चावल पकेगा|अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |अब होने वाला एक ही काम है जो आग(जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|अब हमेशा याद रखें खाना पचने पर हमारे पेट मे दो ही क्रिया होती है |एक क्रिया है जिसको हम कहते हे Digation और दूसरी है fermentation|फर्मेंटेशन का मतलब है सडना और डायजेशन का मतलब हे पचना|आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उसका रस बनेगा|जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|ये तभी होगा जब खाना पचेगा|अब ध्यान से पढ़े इन् शब्दों को मांस की हमें जरुरत है हम सबको,मज्जा की जरुरत है ,रक्त की भी जरुरत है ,वीर्य की भी जरुरत है,अस्थि भी चाहिए,मेद भी चाहिए|यह सब हमें चाहिए|जो नहीं चाहिए वो मल नहीं चाहिए और मूत्र नहीं चाहिए|मल और मूत्र बनेगा जरुर ! लेकिन वो हमें चाहिए नहीं तो शरीर हर दिन उसको छोड़ देगा|मल को भी छोड़ देगा और मूत्र को भी छोड़ देगा बाकि जो चाहिए शरीर उसको धारण कर लेगा|ये तो हुई खाना पचने की बात अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?अगर आपने खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी लिया तो जठराग्नि नहीं जलेगी,खाना नहीं पचेगा और वही खाना फिर सड़ेगा|और सड़ने के बाद उसमे जहर बनेंगे|खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड(uric acid )|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है ,मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ,वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|यह यूरिक एसिड विष (जहर ) है और यह इतना खतरनाक विष है की अगर अपने इसको कन्ट्रोल नहीं किया तो ये आपके शरीर को उस स्थिति मे ले जा सकता है की आप एक कदम भी चल ना सके|आपको बिस्तर मे ही पड़े रहना पड़े पेशाब भी बिस्तर मे करनी पड़े और संडास भी बिस्तर मे ही करनी पड़े यूरिक एसिड इतना खतरनाक है |इस लिए यह इतना खराब विष हे नहीं बनना चाहिए |और एक दूसरा उदाहरण खाना जब सड़ता है तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे LDL (Low Density lipoprotive) माने खराब कोलेस्ट्रोल(cholesterol )|जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )हाय बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ? तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ? तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |इससे भी ज्यादा खतरनाक विष हे वो है VLDL(Very Low Density lipoprotive)|येभी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है |अगर VLDL बहुत बढ़गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका triglycerides बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,कोईLDL – VLDL के नाम से कहे समज लीजिए की ये विष हे और ऐसे विष 103 है |ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,कोई कहता हे मेराtriglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|खाना पचने पर जोबनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड,कोलेस्ट्रोल,LDL-VLDL| और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं !तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग(जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|क्योंकि बिना आग केखाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है |रसोई मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पका सकते और पेट मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पचा सकते|महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे कोई कहता हे मैंने 100 ग्राम खाया,कोईकहता है मैंने 200 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 300 ग्राम खाया वो कुछ महत्व का नहीं है लेकिन आपने पचाया कितना वो महत्व है |आपने 100 ग्राम खाया और 100 ग्राम पचाया बहुत अच्छा है |और अगर आपने 200 ग्राम खाया और सिर्फ 100 ग्राम पचाया वो बहुत बेकार है |आपने 300 ग्राम खाया और उसमे से 100 ग्राम भी पचा नहीं सके वो बहुत खराब है !!खाना पच नहीं रहा तो समझ लीजिये विष निर्माण हो रहा है शरीर में ! औरयही सारी बीमारियो का कारण है ! तो खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये !अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना ! अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??बात ऐसी है ! जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मेमिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है ! पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है ! उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है ! (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है )पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है ! तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले !! उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको एकघंटे बाद पानी पीना चाहिए !खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!1) जूस2) छाज (लस्सी) या दहीं !3) दूधसुबह खाने के बाद अगर तुरंत कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !और दूध हमेशा रात को पिये !!इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं या लस्सी दोपहर को दूध रात को ही पिये !जूस या फल सुबह ,दहीं या लस्सी दोपहर , और दूध हमेशा रात को क्यूँ पीना चाहिए ??ज्यादा विस्तार मे न जाते हुए आप बस इतना समझे कि इन तीनों को पचानेके लिए शरीर मे अलग अलग इंजाएम उत्पन होते है !जूस या फल सुबह को पचाने के इंजाईम हमेशा सुबह उत्पन होते है इसी तरह दहीं और छाझ को पचाने वाले दोपहर को और दूध को पचाने वाले रात को !!शाम या रात को पिया हुआ जूस अगले दिन सिर्फ मूत्र के साथ flesh out होता है !_________________ये तो हुआ खाने के बाद पानी पीने के बारे मे अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं ! अब आप पूछेंगे ये 45 मिनट का calculation ????बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है ! और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है ! तो पानी – पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है ! तो आप खानाखाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !तो यहाँ एक सूत्र समाप्त हुआ ! आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
Wednesday, 13 April 2016
आपका स्टील चम्मच
आपका अपना चम्मच कहाँ से लाये है?आपका जवाब होगा बर्तनों की दुकान से। वो शॉपकीपर कहाँ से लाया था?शायद किसी बड़े supplier से।वो कहाँ से लाया था?अरे यार क्या सवाल पर सवाल ठोके जा रहे हो पूछना क्या चाहते हो तुम?तो मैं ये पूछना चाहता हूँ की क्या आपको अपने उस चम्मच की history भी पता है जिससे आप खाना खाते है, आइसक्रीम खाते है।क्या कहा? पता है आपको? तो बताओ नआप कह रहे है ये किसी स्टील इंडस्ट्री में तैयार हुआ होगा।और वहाँ वो अयस्क क form में लाया गया होगाWhich was obtained फ्रॉम earth! Simply!पर कहानी अभी और भी बाकी है।पर ये स्टील क़ अयस्क धरती में कहा से आया जो की आज आपके हांथो का चम्मच बना?True Story begins here♻इसको समझने के लिए हमें ऊपर आसमान में देखना पड़ेगा। कुछ तारे सूरज से भी चार से पांच गुना ज्यादा बड़े होते है, इन्हें supernova तारे कहते है। ये तारे giant state को maintain नहीं रख पाते और इनमे विस्फोट हो जाता है।A BIG BOOOOOMMM MMMसुपरनोवा के विस्फोट के बाद एक ही बार में इसकी बहरी परत अलग हो जाती है। इस महा विष्फोट में उसके प्याज क छिलके की तरह परतो में सेविभिन्न तत्वों के परमाणु नाभिक और 'न्यूट्रिनोंस' नाम के PARTICLE अलग हो जाते हैं।जो सबसे पहले बाहर आते हैं।विस्फोट के दौरान सुपरनोवा में बहुत ज्यादा, अरबों तारो से भी ज्यादा चमक होती हैइस सुपर नोवा के टूटने पर इसके दो भाग हो जाते हैएक भीतरी क्रोड और दूसरा OUTER SURFACE COVERANSWER IS HERE••••विस्फोट के समय इस तारे में हीलियम लोहे आदि के नाभिकों की रचना हो चुकी थी।और इसलिये चूँकि ACCORDING TO THE साइंटिस्ट्स"हमारा सोलर सिस्टम एक सुपरनोवा विस्फोट से बना है इसलिए आपका स्टील का चम्मच उस मटेरियल से बना जो किसी तारे के अंदर तैयार हुआ और किसी सुपरनोवा विस्फोट में वह से निकल कर अंतरिक्ष में फेक दी गयी। ये एक nuclear भट्टी से होकर गुजरा है आपका चम्मच, जिसका तापमान कई अरब डिग्री सेलसियस था।तो next time...जब भी आप खाना खाने बैठे तो इस लंबी प्रक्रिया की कल्पना कर लीजियेगाबड़ी अग्नि तपस्या के बाद ये आपके किचेन में आया है।
Meaning of color
हर जगह रंग है आपके जूतों कपड़ो से लेकर प्रकृति और ब्रम्हाड तक!According to international survey, Blue कलर दुनिया का सबसे फेवरेट रंग है! लोगों की पसंद का क्रम परपल, लाल, हरा, सफेद & आरेँज है।एक नवजात बच्चे को सबसे पहले दिखने वाला कलर लाल होता है due to itslongest wavelength.Except it, Men and women sees the world differently,स्त्रियों मे X-X क्रोमोजोम के कारण वे कलर वैरियेशन देख सकती है जैसे if she sees crimson, burgundy and tomato red while he sees RED.The gene aids women's ability to perceive the red orange color.अगर आपको गुस्सा बहुत आता है तो पिँक एक बेहतर विकल्प हो सकता है येउत्तेजना व गुस्सा शांत करता है। यही कारण है कि जेल व अस्पताल अधिकतर पिँक रंग से पेँट कराये जाते है।The safest car color was determined to be White. क्योंकि ये रंग बर्फीले जगहों को छोड़ कर, रोड पर दिखने वाला बेस्ट कलर होता है।Yellow+Red=HUNGER,yes, अधिकतर फास्टफूड कम्पनिया इस कलर स्कीम को फालो करती है जैसेmcDonald, KFC etc.तो अगर आप डाइट पर हो तो अपने किचन को yellow red के पेँट मेँ कलर न करेँ ये कलर भूख बढ़ाते हैँ।and another thing,Mosquitos love blue color.Red color can hurt your performance on examऔर सबसे रोचक तथ्य तो ये हैकिअगर आप लाल रंग की शर्ट पहन कर सांड के सामने जाने से डरते है तो अब डरना छोड़ देँ क्योकि ये मात्र एक मिथ हैबुल्स रेड कलर को नहीँ बल्कि किसी भी मूविग आब्जेकट को टारगेट करतेहैँMore wonder..वास्तव मेँ रंगो का अस्तित्व नहीँ होता बल्कि ये आपके मस्तिष्क मेँ होते हैँ।yep! You heard it right.Technically. Colors are just results when brain try to make sense of signal it receive from outsid...पहले मुर्गी आई या अण्डा??बताओ??नहीँ पता न!तो आप ये भी नही जानते होगे कि पहले फ्रूट आया या फिर कलर!जी हाँ! सबसे पहले 13वी शताब्दी मेँ आँरेज शब्द लिखा पाया गया था जिसे एक प्रकार के फल के लिये लिखा गया था!पर ये अब तक नहीँ पता चल पाया है कि पहले आंरेज कलर बना कि आंरेज फल यानि कि संतरा!Bye bye..Thankful for reading..
Mystery OF Thunderstruck
(आकाशीय बिजली का रहस्य)नोट:- कमजोर दिल वाले इस पोस्ट को न पढ़े अन्यथा बिजली की तेज गड़गड़ाहट से कुछ उल्टा सीधा हो जाये तो मुझसे मत कहियो!जैसे ही बारिश शुरू होती है शुरु होता है सिलसिला आकाश मे डीजे बजने का! तेज और डरावनी गड़गड़ाहट! और कुछ लोगो के लिये कुछ ज्यादा ही भयावह!बहुत समय तक इन बादलों के गरजनेँ और बिजली चमकनेँ के पीछे के रहस्य से लोग अनजान रहे। कोई इसे प्रकृति का कोप तो कोई इसे भगवान ज्यूपीटर का दण्ड कहते थे। और जो भी व्यक्ति इस बिजली की चपेट मेँ आता तो वह कोप भाजन का भोगी कहलाता।but it will not continue..ये मान्यतायेँ तब तक ही रही जब तक की बेँजामिन फ्रेँकलिन नहीँ थे।Now the Story has a turn...बेँजामिन की प्रेरणा पाकर दो वैज्ञानिकों Dalibard and Delor ने एक experiment किया।ये प्रयोग दो धातुओँ की लम्बी Rods से किया गया था। डालीबार्ड 40 फुट और डेलार का राड 99 फुट का था!and starts a Dangerous EXPERIMENT..(दिल थाम के बैठिये)जब इन छड़ो को आकाश की ओर किया गया तो इनमेँ लगभग डेढ़ इंच का स्पार्क दिखाई दिया! Since this was a dangerous experiment.. परिणाम स्वरूप इस प्रयोग के बाद एक अन्य वैज्ञानिक को ये प्रयोग करते समय अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।अब चूँकि छड़ो की पहुँच बादलों तक तो थी नहीँ इसलिये ये निश्चित न होसका कि ये स्पार्क बादलों द्वारा उत्पन्न है!Yes...story does not end here.इसके बाद खुद बेँजामिन फ्रेँकलिन ने अपना The famous Kite Experiment किया। पंतग को बादलों तक उड़ाया गया और जैसे ही पतंग कीडोर भीगी तो पतंग और डोर दोनों ही तन गये। और इससे ये पता लगा कि ये दोनो विद्युत द्वारा आवेशित यानी Charged हो गये है।डोर के दूसरेछोर मेँ एक key बाँध दी गयी अब चाभी के पास अँगुली ले जाने से अँगुली और चाभी दोनों के बीच तेज आवाज के साथ स्पार्क हुआ! इससे एक बात तो तय हो गई कि ये डिस्चार्ज बादल-बादल और बादल- धरती के बीच हो सकता है!Actually this happens..बादलों का उपरी हिस्सा positively &नीचे का negativaly charged होता है और प्रेरण की सहायता से पृथ्वी को धनावेशित कर देते है। ये पृथ्वी के धनावेश बादलों के साथ साथ गति करते हैऔर रास्ते की चीजों पर चढ़ जाते है& where the distance becomes minimum a big spark Generates! Booommm
15 most intelligent indians ever.
पूरे विश्व मेँ भारतीयों का नाम भी सर्वाधिक इंटेलिजेन्ट पर्सानल्टीस मेँ शुमार है। अलबर्ट आईन्सटाइन के अनुसार," The measure of intelligence is the ability to Change."मतलब बदलते रहनें की प्रवत्ति। भारतीय समय के साथ चलने की अद्भुत क्षमता रखते हैँ। and this make them special.वे केवल जन्मजात बुद्धिमत्ता पर विश्वास नहीँ करते बल्कि वे तो हर क्षेत्र मेँ सीखने, करनेँ की लगन मे यकीन रखते है।There are innumerable indians who have proved to be pioneer of revolutionary thoughts and ideas in different field.वे हर क्षेत्र मेँ प्रखर हैँ चाहेँ वो कोई सा भी होहम भारतीयों को चुनौतियाँ पसन्द हैँ।मैथमेटिक्स फिजिक्स इंजीनियरिग या फिर एस्ट्रोनामी एक्नामिक्स और पालीटिक्स। सब मेँ आगे!एक वेबसाइट के सर्वे के अनुसार इन पन्द्रह व्यक्तित्वों को इंटेलिजेँट आफ इंडिया एवर कहा जा सकता है।________1. अमर्त्य सेन2. डा. अब्दुल कलाम3. सत्येन्द्र नाथ बोस4. सी वी रमन5. श्रीनिवास रामानुजन6. एस चन्द्रशेखर7. मनमोहन सिँह8. पी वी नरसिम्हाराव9. रघुराम जी राजन10. होमी जहाँगीर भाभा11. डा. भीमराव अम्बेडकर12. डा. बिधान चन्द्र राय13. आर्यभट्ट14. चाणक्य15. विवेकानन्द________________+___Incredible India
What is the Brightest object in the UNIVERSE.
जी हाँ! ब्रम्हांड की सबसे चमकीली चीज क्या है???अगर पता हो तो एक अन्यथा दो दबायेँ!Ohhh, just kidding..आप कमरे मेँ बैठे हो अचानक लाईट चली जाये और उजाले के लिये आप अपनी पुरानी दोस्त candle पर depend हों तो पास से देखने पर (0.5 इंच) शायद ये उस अंधकार मेँ सबसे चमकीला लग सकता है!Hello genius, but i m talking about the brightest object in universe.आपका जवाब शायद ये हो-आपका सूर्य(Sun)...नहीँ आप गलत हैँ।या फिर कोई और तारा !तो जनाब फिर से गलत हो गये।दरअसल अगर आप दुनियाँ की सबसे चमकीली चीज जानना चाह रहे हैँ तो आपको सबसे अंधकारयुक्त चीज की ओर ध्यान देना होगा।...और उस रहस्यमयी चीज का नाम हैThe Black hole..जी हाँ यहीँ छिपा है उस चमकीली चीज का राज!ब्लैक होल का ग्रेविटेशन पुल इतना ज्यादा होता है कि इसके खिँचाव से Light भी नहीँ बच पाती.. ब्लैक होल का निर्माण तब होता है जब कोई विशाल तारा अपनी आयु पूरी करने के बाद टूटता है, तो वह अपने भीतर की ओर सिकुड़ने लगता है इतना कि इसकी ओर जाने वाली gases तपने लगती है ये state कहलाती है सिँगुलेटरी।And the story begins now...______जब ये ब्लैक होल किसी गैलेक्सी मेँ अन्य तारों के पास से गुजरते है तो निर्माण होता है तेज Light Energy..& this is called 'QUASAR'._______So technically 'QUASAR' is the Brightest Object in Universe.Quasar3C 273 अपने सूर्य से 4 ट्रिलियन टाइम्स ज्यादा चमकीला है। ये इतनी तेजी से चमकते है कि ये पुरानी आकाशगंगाओँ को अपने प्रकाश से ढक लेते है। ज्यादातर क्वजार हमसे करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर हैँ।its alsotThe powerfull energy source with trillion Electron volt.एक ब्लैक होल के लिये क्वसार का निर्माण करते रहनेँ के लिये ये जरूरी है कि ये साल मेँ लगभग 10 तारो को अपना डिनर बनाये।जैसा कि ऊपर आपने पढ़ा कि ये हमसे बहुत दूर है इसलिये हम इन्हे व अपने तारों को वास्तविक रूप मेँ नही देख पाते बल्कि उनके द्वारा लाखो वर्षो पहले छोड़े गये प्रकाश को देख रहे होतेँ है!HOW FUNNY..The light we see from Quasar including 3C 273 is billions of year old ..फिर मिलते है किसी फैक्ट के साथ!THANKS for reading..
Theory of Sound
why the sound have a Sound??मतलब ध्वनि मेँ ध्वनि (आवाज)क्यूँ होती है?ये आप शायद तब नहीँ सोच रहे होगेँ जब आप इयरफोन लगा कर Yo yo को या लता जी को सुन रहेँ होगेँ शायद तब भी नहीँ जब आप अपने मनपसंद Loud गानेँ पर झूम रहे हो..But funny enough when,आप की नीँदे उड़ाता कोई शोर या मच्छर की भनभनाहट आपको पसंद नहीँ आता and u hated most to litsen this.और आप सोचते हैँ कि ये आवाज आखिर हो क्यूँ रही है! But u can't live without sound also.दरअसल ये साउंड, वाइब्रेशन्स से जनरेट होता है और हमारे कानों के परदे भी ठीक उसी तरह वाइब्रेट करते हैँ जैसे की sound source. लेकिन हर चीज को अपनी डेस्टिनेशन पर पहुँचने के लिये रास्ते की आवश्यकता होती है। ठीक उसी तरह sound अपने source से निकल कर waves के form मेँ किसी मीडियम जैसे हवा या पानी मेँ होकर हम तक पहुँचती है! जब कोई object किसी medium मेँ 1230 km/h से तेज चलता है तो जन्म होता है ध्वनि का! तूफान मेँ चलने वाली हवायेँ जब गर्म होकर चारों ओर फैलती है तो उसकी गति ध्वनि की गति से अधिक हो जाती है और एक तेज शोर शुरू होता है। चाबुक की आवाज भी उसके tip की गति अधिक होने से पैदा होती है। हमनेँ तूफान को तो परिभाषित कर लिया पर संगीत को एक pleasent arrangment of sound ही बता पाये।सिक्के को हवा मेँ उछालने से लेकर एक चीँटी के चलने तक मेँ sound है। इस समय 1860 मेँ आये QWERTY किबोर्ड को टाईप करनेँ मेँ भी साउंड है!Yeah..और अब the most beautiful fact is that 110 km/sec की गति से हमारी पड़ोसी गैलेक्सी एंड्रोंमेडा हमारी अपनी गैलैक्सी milky way से गले मिलने आ रही है और आज से 5-6 अरब वर्षों के बाद हम-आप अपनी छतों पर इनके महामिलन को अपनी आँखों से देख रहे होगेँ तो उस समय एक ऐसा अद्भुत, अतुलनीय, अपूर्व और इतना melodius संगीत सुनाई देगा जो उससे पहले कभी नहीँ सुना गया होगा।और तब जो आकाश मे तारों का best dancing performance होगा वो अपनी आँखो से देखना fortunating होगा!Sooo....Start your camera charging to record that incredible and beautiful event.
Subscribe to:
Posts (Atom)