Tuesday, 23 February 2016

Yog क्या है ?

21वीं सदी में सभी अपने अापको स्वस्थ रखने के लिये सभी नुस्खे अपना चुके है। कुछ अपने आदर्श फिल्मस्‍टारों के जैसे 6 पैक, 8 पैक एब्स बना रहे है तो कुछ युवा जिम (व्यायामशाला) जाकर घण्टों की मेंहनत के बाद अपने शरीर को सुडोल बना रहे है। लेकिन एक नौकरी पैशा आदमी के लिये ये सब मुमकिन ही नही है उसके पास इतना समय ही नही है कि वो रोज सुबह उठकर जिम मे जा सके या शाम को नौकरी के बाद थका हारे बन्दे में व्यायाम करने की तो हिम्मत ही नही होती । परिणाम स्वरूप हमारा शरीर आज के खान-पान से दिन पर दिन कमजोर होता जा रहा है हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता दिन पर दिन कम होती जा रही है आज कल आपने सुना होगा कि एक दिन की बारिश में उसको जुकाम या बुखार हो गया ये प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण है कि आपको नही पता लेकिन आपका शरीर दिन पर दिन कमजोर होता जा रहा है और इसका एक कारण प्रदुषण भी है जो कि हमें हर क्षण महसुस करना पडता है।
आदमी कितना भी तकनिकी क्यों ना हो जाये परन्‍तु जो उसकी जड़े है उनको नही भुलना चाहिये। अगर आपके पास जिम जाने का समय नही है तो कोई बात नही आप घर पर ही कुछ ही समय देकर एक स्वस्थ शरीर की कामना कर सकते है। आपमें में बहुत से लोग सोच रहे होगे कि कैसे : , योग से । जी हॉ आप योग के द्वारा कुछ ही मिनट्स देकर एक स्वस्थ शरीर पा सकते है ।
आईये जानते है कि योग क्या है और इससे हमारा शरीर कैसे स्वस्थ रहता है

योग क्या है ?

योग संस्कृत धातु ‘युज’  से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन। योग 5000 वर्ष प्राचीन  भारतीय ज्ञान का समुदाय है। यद्यपि कई लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम  ही मानते हैं जहाँ लोग शरीर को तोड़ते – मरोड़ते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं | वास्तव में देखा जाए तो ये क्रियाएँ मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमताओं की तमाम परतों को खोलने वाले ग़ूढ विज्ञान के बहुत ही सतही पहलू से संबंधित हैं|
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सामान्य शब्दों में योग दो शब्दो से मिलकर बना है। पहला शब्द है जोड़ एवं दुसरा शब्द है समधि। जब तक हम स्वय को परमात्मा के चरणों में अर्पित नही कर देते तक समाधि की स्थिति में होना। ये मानना ही बेमानी है। अर्थात हमें पूर्ण रूप से अपने आप को उस परम पिता परमात्मा के सानिध्य में लेना होगा । तभी हम योग के वास्तविक अर्थ को पहचान पायेगे ।

योग का कोई धर्म नही :

योग दर्शन या योग को कोई धर्म नही है इसको किसी भी देश, किसी भी धर्म के लोग कर सकते है। ये सोचना कि योग किसी धर्म विशेष कि सम्पत्ति है ये सरासर गलत है। योग तो एक तकनीक है जिसके जरीये हम अपने आप को स्वस्थ रखने की इच्छा रखते है। और मैं ये बात जरूरी कहूँगा कि और ये वैज्ञ‍ानिको द्वारा सिद्ध भी किया जा चुका है कि जिम करने की अपेक्षा जो लोग रोजाना 5 मिनट योग करते है वो अधिक स्वस्थ रहते है।

याेग सभी के लिये :

योग सभी के लिये है मतलब के इसको सभी प्रकार के मनुष्य कर सकते है चाहे वो पुरूष हो, स्त्री हो या बच्चे हो। सही तरीके से किया हुआ योग किसी को नुकसान नही पहूँचा सकता । योग हमारे लिए कभी भी पराया नहीं रहा है। हम योग तब से कर रहे हैं जब से हम शिशु थे चाहे वह ‘बिल्ली खिचाव’ आसन हो जो मेरुदंड बनता हो या ‘पवन मुक्त’ आसन  जो पाचन को बढ़ावा देता है। आप देखेंगे कि शिशु दिन भर में कोई न कोई आसन कर रहा होता है। विभिन्न लोगों के लिए योग के विभिन्न रूप हो सकते हैं । हम दृढ़ संकल्पित हैं कि हम आपको अपनी योग – जीवन की राह को खोजने में सहायक होंगे |

मानसिक विकारों को रखता है दूर ।

योग को सबसे महत्वपुर्ण कार्य यह है कि वह दिन प्रतिदिन होने वाले हमारे मानसिक विकारों को दूर रखता है। आज के समय में नौकरी करने में बुहत सी समस्यायें आती रहती है जिसका हमारे शरीर, मष्तिक एवं हमारे परिवार पर भी प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है। योग हमें इन सभी विकारों को दूरे रखने में सहायता करता है। योग का एक अर्थ यह भी हो सकता है कि आत्मा में परमात्मा का मिलन। जब हम योग कर सकते होते है तो हमारी इन्द्रीयॉं सगठिंत होती है तथा हमारा ध्यान एकग्रचित होता है एवं हमें एक आधात्मिक शाक्ति के दर्शन होते है जो पूरे दिन हमारे साथ रहती है । तथा हमारा शरीर भी एक आधात्मिक ऊर्जा से सचंरित रहता है।
विश्व विख्‍यात योग गुरू बाबा रामदेव कहते है कि
आपको ईश्वर को जानना है, सत्य को जानना है, सिद्धियाँ प्राप्त करना हैं या कि सिर्फ स्वस्थ रहना है, तो पतंजलि कहते हैं कि शुरुआत शरीर के तल से ही करना होगी। शरीर को बदलो मन बदलेगा। मन बदलेगा तो बुद्धि बदलेगी।
अंतत : सर्वप्रथम आप अपनी इंद्रियों को बलिष्ठ बनाओ। शरीर को आकर्षक बनाओ। और इस मन को स्वयं का गुलाम बनाओ। और यह सब कुछ करना बहुत सरल है।
आशा करते है कि हमारी ये कोशिश आपको पंसद आयी होगी तथा आपके ज्ञान में वृद्धि हुई होगी। अगर आपके कुछ सुझाव हो तो हमें अवश्य लिखें। हम उन सुझावों को निश्चित तौर पर प्राथमिकता देगे ।

Keep ears intact, then read 7 Tips (कान रखना है सलामत, तो पढ़ें यह 7 टिप्स)

1 कान की सफाई का विशेष ध्यान रखें और इनमें किसी प्रकार से बैक्टीरिया को पनपने का मौका न दें। इसके लिए कान में तेल डालना या सर्टि‍फाइट ईयर ड्रॉप का प्रयोग करना सही होगा। इस प्रकार आप अपने कानों में जमा होने वाले मैल को आसानी से बाहर निकाल सकते हैं।

2 कान को खुजाने या साफ करने के लिए कभी भी किसी नुकीली वस्तु का प्रयोग बिल्कुल न करें। यह कान के अंदरूनी हिस्से को क्षतिग्रस्त कर सकता है या फिर कान का पर्दा भी फट सकता है। रूई का बना ईयर बड इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसमें नमी होना जरूरी है।
 
3 कान की सफाई के लिए हमेशा नहाने के बाद वाला समय ही सही होता है। इस समय आपके कानों में नमी बनी रहती है जिसे कान का मैल आसानी से साफ हे जाता है। सप्ताह में एक बार नहाने के बाद कान की सफाई जरूर करें।

 यदि आप संगीत सुनने का शौक रखते हैं और अक्सर इसे सुनने के लिए ईयर फोन का प्रयोग करने हैं, तो ध्यान रखें कि 2 घंटे से अधि‍क समय तक तेज आवाज को न सुनें। यह आपके कानों को क्षति पहुंचा सकता है।
 
  अपना ईयर फोन किसी और को प्रयोग न करने दें और ना ही किसी और का ईयर फोन खुद इस्तेमाल करें। यह आपके कानों में बैक्टीरियल इंफेक्शन या अन्य समस्या की रिस्क को कम करेगा।

 धूम्रपान - अत्यधि‍क धूम्रपान करना आपकी सुनने की क्षमता को कम कर सकता है। इससे बचने के लिए बेहतर होगा कि आप धूम्रपान की आदत कम कर दें या छोड़ ही दें।


7 अगर आप तैरने का शौक रखते हैं तो हर बार तैरने के बाद अपने कानों को ठीक तरीके से पोंछें और साफ करें। कानों में गीलापन बने रहने पर बैक्टीरिया पनपने का खतरा अधि‍क होता है जो सुनने की क्षमता कम कर सकता है।


सफेद बालों को काला करेंगे यह 5 उपाय

1 ब्लैक कॉफी - ब्लैक कॉफी का इसतेमाल आप बालों को काला करने के लिए कर सकते हैं। यह बगैर किसी साइड इफेक्ट के सफेद बालों से निजात दिलाएगा। इसके लिए ब्लैक कॉफी को पूरे बालों में लगाएं और कुछ समय तक रखने के बाद बाल धो लें। लगातार ऐसा करते रहने से आपके बाल प्राकृतिक तरीके से काले होंगे।

2 आंवला - बालों को काला करने के लिए आंवले का प्रयोग पुराने जमाने से किया जाता है। इसके लिए आंवले को पानी में उबालकर उसका पेस्ट बना लें और बालों की जड़ों में लगाएं। इस उपाय को महीने में कम से कम 3 बार करें। कुछ ही समय में आप पाएंगे काले और खूबसूरत बाल।

3 ओट्स - ओट्स का प्रयोग भले ही खाने के लिए किया जाता हो, लेकिन इसमें मौजूद बायोटिन आपके बालों को काला करने में मददगार हो सकता है। इतना ही नहीं यह बालों में डैंड्रफ को भी खत्म करने में सहायक है। इसके लिए आप ओट्स को भि‍गोकर या उबालकर हेयर मास्क के रूप में प्रयोग करें

4 चाय पत्त‍ी - चाय पत्त‍ी को उबालकर इस पानी से बालों को धोना सफेद बालों को धीरे-धीरे काला करने में मददगार है। यह तरीका आपके सफेद बालों को काला तो करेगा ही, बालों में प्राकृतिक चमक पैदा करने के साथ ही उन्हें खूबसूरत बनाने में भी कारगर साबित होगा।
 



5 मेहंदी - बालों में मेहंदी का इस्तेमाल प्राकृतिक कलर का काम करता है। बालों में कालापन लाने के लिए आप इसमें त्रिफला, शि‍काकाई, आंवला, चाय या ब्लैक कॉफी का प्रयोग भी कर सकते हैं। यदि इससे आप बालों में रूखापन महसूस करते हैं, तो मेहंदी को पानी की जगह दही से घोल लीजिए।

एक नास्तिक की भक्ति

हरिराम नामक आदमी शहर के एक छोटी सी गली में रहता था। वह एक मेडिकल दुकान का मालिक था।
सारी दवाइयों की उसे अच्छी जानकारी थी,
दस साल का अनुभव होने के कारण उसे अच्छी तरह पता था कि कौन सी दवाई कहाँ रखी है।
वह इस पेशे को बड़े ही शौक से बहुत ही निष्ठा से करता था।
दिन-ब-दिन उसके दुकान में सदैव भीड़ लगी रहती थी,
वह ग्राहकों को वांछित दवाइयों को सावधानी और इत्मीनान होकर देता था।
पर उसे भगवान पर कोई भरोसा नहीं था वह एक नास्तिक था,
भगवान के नाम से ही वह चिढ़ने लगता था।
घरवाले उसे बहुत समझाते पर वह उनकी एक न सुनता था,
खाली वक्त मिलने पर वह अपने दोस्तों के संग मिलकर घर या दुकान में ताश खेलता था।
एक दिन उसके दोस्त उसका हालचाल पूछने दुकान में आए और अचानक बहुत जोर से बारिश होने लगी,बारिश की वजह से दुकान में भी कोई नहीं था।
बस फिर क्या, सब दोस्त मिलकर ताश खेलने लगे।
तभी एक छोटा लड़का उसके दूकान में दवाई लेने पर्चा लेकर आया। उसका पूरा शरीर भीगा था।
हरिराम ताश खेलने में इतना मशगूल था कि बारिश में आए हुए उस लड़के पर उसकी नजर नहीं पड़ी।
ठंड़ से ठिठुरते हुए उस लड़के ने दवाई का पर्चा बढ़ाते हुए कहा- "साहब जी मुझे ये दवाइयाँ चाहिए, मेरी माँ बहुत बीमार है, उनको बचा लीजिए. बाहर और सब दुकानें बारिश की वजह से बंद है। आपके दुकान को देखकर मुझे विश्वास हो गया कि मेरी माँ बच जाएगी। यह दवाई उनके लिए बहुत जरूरी है।
इस बीच लाइट भी चली गई और सब दोस्त जाने लगे।
बारिश भी थोड़ा थम चुकी थी,
उस लड़के की पुकार सुनकर ताश खेलते-खेलते ही हरिराम ने दवाई के उस पर्चे को हाथ में लिया और दवाई लेने को उठा,
ताश के खेल को पूरा न कर पाने के कारण अनमने से अपने अनुभव से अंधेरे में ही दवाई की उस शीशी को झट से निकाल कर उसने लड़के को दे दिया।
उस लड़के ने दवाई का दाम पूछा और उचित दाम देकर बाकी के पैसे भी अपनी जेब में रख लिया।
लड़का खुशी-खुशी दवाई की शीशी लेकर चला गया। वह आज दूकान को जल्दी बंद करने की सोच रहा था।
थोड़ी देर बाद लाइट आ गई और वह यह देखकर दंग रह गया कि उसने दवाई की शीशी समझकर उस
लड़के को दिया था, वह चूहे मारने वाली जहरीली दवा है,
जिसे उसके किसी ग्राहक ने थोड़ी ही देर पहले लौटाया था,
और ताश खेलने की धुन में उसने अन्य दवाइयों के बीच यह सोच कर रख दिया था कि ताश की बाजी के बाद फिर उसे अपनी जगह वापस रख देगा।
अब उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
उसकी दस साल की नेकी पर मानो जैसे ग्रहण लग गया। उस लड़के बारे में वह सोच कर तड़पने लगा। सोचा यदि यह दवाई उसने अपनी बीमार माँ को देगा, तो वह अवश्य मर जाएगी।
लड़का भी बहुत छोटा होने के कारण उस दवाई को तो पढ़ना भी नहीं जानता होगा। एक पल वह अपनी इस भूल को कोसने लगा और ताश खेलने की अपनी आदत को छोड़ने का निश्चय कर लिया
पर यह बात तो बाद के बाद देखा जाएगी।
अब क्या किया जाए ?
उस लड़के का पता ठिकाना भी तो वह नहीं जानता।
कैसे उस बीमार माँ को बचाया जाए?
सच कितना विश्वास था उस लड़के की आंखों में।
हरिराम को कुछ सूझ नहीं रहा था।
घर जाने की उसकी इच्छा अब ठंडी पड़ गई। दुविधा और बेचैनी उसे घेरे हुए था। घबराहट में वह इधर-उधर देखने लगा।
पहली बार उसकी दृष्टि दीवार के उस कोने में पड़ी, जहाँ उसके पिता ने जिद्द करके भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर दुकान के उदघाटन के वक्त लगाई थी,
पिता से हुई बहस में एक दिन उन्होंने हरिराम से भगवान को कम से कम एक शक्ति के रूप मानने और पूजने की मिन्नत की थी।
उन्होंने कहा था कि भगवान की भक्ति में बड़ी शक्ति होती है, वह हर जगह व्याप्त है और हमें सदैव अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देता है।
हरिराम को यह सारी बात याद आने लगी। आज उसने इस अद्भुत शक्ति को आज़माना चाहा।
उसने कई बार अपने पिता को भगवान की तस्वीर के सामने कर जोड़कर, आंखें बंद करते हुए पूजते देखा था।
उसने भी आज पहली बार कमरे के कोने में रखी उस धूल भरे कृष्ण की तस्वीर को देखा और आंखें बंद कर दोनों हाथों को जोड़कर वहीं खड़ा हो गया।
थोड़ी देर बाद वह छोटा लड़का फिर दुकान में आया।
हरिराम को पसीने छूटने लगे।
वह बहुत अधीर हो उठा।
पसीना पोंछते हुए उसने कहा- क्या बात है बेटा तुम्हें क्या चाहिए?
लड़के की आंखों से पानी छलकने लगा। उसने रुकते-रुकते कहा- बाबूजी...बाबूजी माँ को बचाने के लिए मैं दवाई की शीशी लिए भागे जा रहा था, घर के करीब पहुँच भी गया था, बारिश की वजह से ऑंगन में पानी भरा था और मैं फिसल गया। दवाई की शीशी गिर कर टूट गई।
क्या आप मुझे वही दवाई की दूसरी शीशी दे सकते हैं बाबूजी?
लड़के ने उदास होकर पूछा।
हाँ! हाँ ! क्यों नहीं?
हरिराम ने राहत की साँस लेते हुए कहा। लो, यह दवाई!
पर उस लड़के ने दवाई की शीशी लेते हुए कहा,
पर मेरे पास तो पैसे नहीं है,
उस लड़के ने हिचकिचाते हुए बड़े भोलेपन से कहा।
हरिराम को उस बिचारे पर दया आई।
कोई बात नहीं- तुम यह दवाई ले जाओ और अपनी माँ को बचाओ।
जाओ जल्दी करो, और हाँ अब की बार ज़रा संभल के जाना।
लड़का, अच्छा बाबूजी कहता हुआ खुशी से चल पड़ा।
अब हरिराम की जान में जान आई।
भगवान को धन्यवाद देता हुआ अपने हाथों से उस धूल भरे तस्वीर को लेकर अपनी धोती से पोंछने लगा और अपने सीने से लगा लिया।
अपने भीतर हुए इस परिवर्तन को वह पहले अपने घरवालों को सुनाना चाहता था।
जल्दी से दुकान बंद करके वह घर को रवाना हुआ।
उसकी नास्तिकता की घोर अंधेरी रात भी अब बीत गई थी और अगले दिन की नई सुबह एक नए हरिराम की प्रतीक्षा कर रही थी।