Thursday, 24 March 2016

Politics shayari

1.वोटों के खातिर निकले हैं ,
कुछ सौदागर लेके बण्डल नोटों के ,………….
बिकती है हर चीज यहाँ ,
खरीदार है यहाँ कुछ नेता वोटों के ,………….
भ्रष्टाचार को भ्रष्टाचार के नाम से ही बेच रहे है ,
काले धन के है ये वेपारी वोटों के। ………….
गरीबी वो क्या मिटायेंगे ? मिटाकर गरीबों को ,
जमीन भी बेच खायी , ये सौदागर हैं वोटों के……………..
वोटों के खातिर निकले हैं ,
कुछ सौदागर लेके बण्डल नोटों के
2.मिलते रहे हैं मंत्री ऐसे , देखो तो जरा ये , देश को मंतर रहे हैं कैसे …………..
चुनाव में खड़े हैं संत्री ऐसे , देखों तो ज़रा , जैसे देश का पेरा ये ही दे रहे हो जैसे ………….
कुछ तो हैं ठेकेदार ऐसे , चले हैं लेने ठेका ५ साल का देश का जैसे …………….
दिखा रहे हैं चाँद ऐसे , मांगते हैं लेके कटोरा वोटों की भीखों का जैसे ………………..
दिखा रहे हैं झाड़ू ऐसे , निकले हो करने देश को साफ़ जैसे ……………….
खिला रहे हैं कमल ऐसे , कीचड़ की चाय पिलाने देश को निकले हो जैसे ………………….
दिखा रहे हो पंजा ऐसे , जकड लिया हो दम घोटने को देश को जैसे …………………….
मिलते रहे हैं मंत्री ऐसे , देखो तो जरा ये , देश को मंतर रहे हैं कैसे ……………………
काश मिलजाए इस देश को मंत्री ऐसे , राम ने भी देश कभी चलाया था जैसे 
3.कितने ही वादे करवालो, नेताओं का क्या जाने वाला
अभी जैसा चाहो उन्हें नचाओ, उनका क्या जाने वाला
कुछ दिन और बचे हैं जितनी चाहो खुशी मनालो
फिर तो रोना ही रोना है ईश्वर भी नहीं बचाने वाला
4.आज कल हर जगह वोटों के भिखारी निकल पड़े हैं
कुटिल राजनीति के मझे हुए खिलाडी निकल पड़े हैं
गलतियों का दोष औरों पर मढने का जो चलन है
उसे निभाने के लिये बहुत से अनाड़ी निकल पड़े हैं
जनता को वो झूंठे वादे अब फिर से मिलने वाले हैं
हम जनता के सेवक हैं झांसे फिर से मिलने वाले हैं
दुनिया की सारी सुख सुबिधायें अब जनता की हैं
सावधान जनता अब वोटों के भिक्षुक मिलने वाले हैं
5.इंडिया की राजनीति में मचा हुआ घमासान है
लोक सभा की सीट ही जैसे हर नेता का अरमान है
टिकेट पाने होड़ में रिश्ते नाते भूल रह्रे है
पुरानी पार्टी छोड़ कर नए गठबंधन जोड़ रहे हैं
महाराष्ट्र हो या बिहार हर रिश्ते पड़ी दरार
वोट पाने की चाह में कर रहे एक दूजे पर वार
6.वो मौतों का खेल खेलते हैं बस राजनीति चमकाने को
वो जनता को गोट समझते हैं अपनी शतरंज बिछाने को
वो क्या जाने जनता की पीढ़ा,
जो जनता को केवल मोहरा समझें, जो होते हैं पिटवाने को

Happy Holi 2016.(होली के रंगों से बचने के घरेलू नुस्खे)

होली के दिन अक्सर आप सभी को इस बात की चिंता रहती है कि यदि चेहरे पर गाढ़ा रंग लग जाए तो यह जल्दी से कैसे छूटेगा। ऐसे में अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। होली के रंगों को कैसे हटाना है चेहरे से वैदिक वाटिका आपको बता रही है कुछ आसान घरेलू टिप्स। जितना हो सके पहले तो अच्छे रंगों को प्रयोग करें। क्योंकि अक्सर कुछ लोग कैमिकल रंगों को इस्तेमाल जान बूझकर करते हैं जिससे सीधे आपकी त्वचा खराब हो सकती है।


होली में आपको यदि गहरे रंग लग जाएं तो आप कुछ उपायों को करें।

दालों का स्क्रब

घर में मौजूद दालों और चावलों को आपस में मिला लें और इसे मोटा-मोटा यानि दरदरा पीस लें। और अब इसमें दही, दूध और नींबू की बूंदे मिलाए। और आखिर में तेल की कुछ बूंदे भी डाल दें। और इस स्क्रब को चेहरे पर या शरीर के किसी भी अंग जहां पर रंग अधिक लगा हो वहां पर लगाएं।

खीरा

आप खीरे के इस्तेमाल कर के भी गहरे रंगों को शरीर से हटाया जा सकता है।

पपीता

पपीता भी चेहरे पर लगे गहरे रंग को आसानी से हटा सकते है। कच्चे पपीते के छिलके को उतार कर चेहरे पर मलें। एैसा करने से गाढा रंग आसानी से उतर जाता है।

नींबू का स्क्रब

यदि रंग हल्का लगा हो तो आप नींबू को काटकर उसे नमक या चीनी में मिलाकर चेहरे और शरीर पर लगा सकते हों। इस तरीके से भी होली का रंग आसानी से छूट जाता है।

दही

होली के हल्के गहरे रंग को हटाने के लिए आप दही को लगाएं। इससे आपकी त्वचा को भी पोषण मिलेगा और रंग भी आसानी से निकल जाएगा।

Virat Kohli Success Story in Hindi | विराट कोहली ने सफलता कैसे पायी????

indian Test Captain Virat Kohli के बारे मे कोन नहीं जनता लेकिन उनके इस Success की Story बहुत कम लोग ही जानते है। विराट कोहली का जन्म दिल्ली मे 5 नवम्बर 1988 को हुआ था। उन्होने अपनी शिक्षा विशाल भारती स्कूल से हासिल की थी। उनके माता का नाम सरोज कोहली और पिता का नाम प्रेम कोहली था। इसके अलावा उनकी एक बड़ी बहन और एक बड़ा भाई भी है। उनके पिता एक वकील थे और उनकी मौत दिसम्बर 2008 मे हो गई थी।
विराट कोहली के करियर की सुरुवात :
विराट कोहली को गहरा सदमा तब लगा जब वो कर्नाटक के खिलाफ, दिल्ली के और से एक रणजी मैच खेल रहे थे, और Team को उनकी जरूरत थी। उसी दोरान उनको पता चला की उनके पिता की मौत हो गई है। इतना बड़ा सदमा लगने के बावजूद उन्होने अपना Confidence नहीं खोने दिया, उन्होने हिम्मत दिखते हुवे अपने Team के लिए एक अच्छी पारी खेलकर अपने Team को मुसीबतों से उबारा। उसके बाद वो सीधे घर गए और अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। तब उनकी उम्र मात्र 18 साल ही थी।
इस घटना के बाद उन्होने ऐसी Commitment दिखाई की वो success की सीढ़ी चढ़ते गए। विराट कोहली ने Indian Team के लिए बड़ी – बड़ी पारियाँ खेलकर Team को जीत दिलाई है। विराट कोहली 2008 विश्व कप विजयी Under 19 टीम के कप्तान भी रह चुके है। विराट कोहली का एकदिवसीय अंतर्रास्त्रीय मैचो मे पदार्पण 18 अगस्त 2008 को श्रीलंका के खिलाफ हुआ था। इसके अलावा वो IPL मैचो मे बंगलौर Team की और से खेलते है।


विराट का अनतर्रास्त्रीय कैरियर :
विराट का सबसे पहला अंतरारस्तरीय दौरा 2008 मे Idea Cup के लिए चुना गया था। जब सचिन और सहवाग चोट के कारण नहीं खेल पाये थे तो विराट को Idea Cup श्रीलंका दौरे के लिए Team मे जगह मिली थी। उन्होने अपने पहले मैच मे मात्र 12 रन बनाए थे। लेकिन चौथे एकदिवसीय मैच मे उन्होने सतक जड़ कर Team मे अपनी जगह बनाई। कोहली को जून 2010 मे जीम्ब्बाबे के खिलाफ टी20 श्रिंखला मे पहली बार खेलने का मौका मिला था।

Indian Test Team मे विराट का पदार्पण :
विराट का टेस्ट क्रिकेट मे पदार्पण 20 जून 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ हुआ था। उनको 288वा कैप मिला था। कोहली को टेस्ट क्रिकेट के सुरुवात मे काफी संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन धीरे – धीरे उन्होने अपने प्रदर्शन को सुधारा और आज वे Indian Test Team के Captain है। हाल ही मे उन्होने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सिरीस भी जीती है।
विराट कोहली Indian Cricket Team की वो कड़ी है जो Indian Cricket को नई बुलंदियों तक पहुंचाएगी, और इनसे हम युवा वर्ग के लोंगों को प्रेरणा मिलती रहेगी।

इस कहानी से हमे यही प्रेरणा मिलती है की परेशानिया हर किसी के जीवन मे आती है, ये हम पे Dippend करता है की हम उस परेशानी को कैसे लेते है। उस परेशानी से हार मान कर बैठ जाते है या उसी को अपनी मंजिल की सीढ़ी बना कर ऊपर उठते है।

मित्रो आशा करता हूँ की ये कहानी आपको पसंद आई होगी और इस से आपको प्रेरणा भी मिली होगी।
आप इस कहानी को दूसरों तक भी पहुंचाए इसे Share कर के ताकि दूसरे भी इसका लाभ ले सके।

दिल लगाकर काम करने से मिलेगी सफलता

एक गाँव में घोड़े की दौड़ का आयोजन किया गया | सभी
लोग घोड़े खरीद कर लाये | एक व्यक्ति भी race comptition में भाग लेने के लिए comptition
के 2 महीने पहले एक बहुत तेज दोड़ने वाला घोड़ा ले आया | लाने के बाद उसे बहुत जोशों के साथ अस्तबल
में बांधा और अस्तबल पर एक बोर्ड लगा दिया – ‘’दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला घोड़ा
‘’
लेकिन इसके बाद न तो उस घोड़े की सही से
देखभाल की ,न ही नियमित व्यायाम कराया और न ही उसे चुस्त दुरुस्त रहने के लिए
प्रशिक्षित किया | कुछ दिनों बाद जब दौड़ का आयोजन हुआ तो वह घोड़ा जो first place पर
होता ,लेकिन अभ्यास न कर पाने की वजह से वो सबसे पीछे रहा |
इससे यह स्पष्ट है कि यदि सही कोशिश न की
जाये , तो प्रतिभा में भी जंग लग जाती है ,उसमे निखार आने की बात करना भी बेईमानी
है |
race comptiton में जब कोई खिलाड़ी स्वर्ण पदक
जीतता है तो उस आप और हम यही सोचते हैं कि 20 सेकेंड की दौड़ से उसे कितना कुछ मिल
गया ,पर यह क्या सच है इस जीत के पीछे उसकी कई महीनो,सालो की मेहनत होती है |
दृढ संकल्प और मेहनत के बिना जीत को सोचना भी
एक बुरी संकल्पना है | सिर्फ खेल के क्षेत्र में ही नही पढाई के क्षेत्र में यदि
आप अपने अपनी मेहनत को अभ्यास करके आप को अपने आप को sharp बनाना होगा |
अगर आप आधे मन से कोशिश करते हैं तो मेरा एक
टिप्स आप ध्यान में ले लीजिये आप कोशिश भी न कीजिये | अगर कोई भी काम हमें करना है
तो हम क्यों न पूरे मन से करें |

और एक बात , जीवन में कोई भी लक्ष्य सिर्फ
सोचने से हासिल नही होता ,बल्कि योजना बद्ध तरीके से की गई कोशिश ही आप को मंजिल
तक पहुंचाती है |

हमारी टीम बड़ी ही मेहनत से एक-एक पोस्ट बनाती है,और आपके सुझाव हमारे लिए बहुत ही उपयोगी हैं |आप अपनी राय हमें आपने comment के माध्यम से जरुर दे |
अपना अमूल्य समय देकर पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद |
आपका दिन मंगलमय हो

ऊंट और सियार | Unth aur Siyar – Intreasting Story

एक गाँव मे एक ऊंट रहा
करता था। वह प्रतिदिन पास ही के एक हरे-भरे जंगल मे चरने जाता था। ऊंट बड़ा
सीधा-साधा था।
  एक सियार उसका मित्र था।
सियार बड़ा चालाक था। वह ऊंट की सवारी भी करता था और वक्त-बेवक्त उसके लिए संकट भी
पैदा करता था। ऊंट को चूँकि आज तक कोई बड़ा नुकसान बही हुआ था,
इसलिए वह भी उसके उल्टी-सीधी हरकतों पे ज्यादा ध्यान नहीं देता था।
एक दिन सियार ने उस से
कहा- “ऊंट भाई! पास ही में एक बड़ा खेत है, जिसमे मोटी-मोटी ककड़िया लगी हुई हैं। चलो खाने
चलें, इधर मे भी सड़ा-गला स्वादधीन भोजन कर के उकता चुका हूँ। इसी बहाने
खान-पान में बदलाव हो जाएगा।“
सियार ने कुछ इस ढंग से
ककड़ियो की तारीफ की कि ऊंट ककड़ियाँ खाने को बैचेन हो उठा और उसके साथ चल दिया।
ककड़ियों के बारे मे
सोच-विचार कर रास्ते भर ऊंट के मुह में पानी आता रहा।
खेत पार पहुँच कर सियार ने ककड़ियाँ खाना सुरू कर दीं। छोटा जीव होने के कारण उसका पेट जल्दी भर गया, किन्तु ऊंट को पेट भरने में अधिक समय लग रहा था।
इधर, पेटभर खाना खाने के बाद सियार अपने आदत के अनुसार ‘हुंवा-हूंवा’ की आवाज़ कर के चिलाने लगा।
   ऊंट ने उसे माना किया, मगर वह बोला- “क्या करू ऊंट भाई! कुछ खा कर जब तक मैं हुवास न कर लू मुझे चैन नहीं मिलता। मैं अपनी आदत से मजबूर हूँ। “कह कर वह फिर से ‘हुआ-हुआ’ करने लगा।
उसकी आवाज़ सुन कर खेत का मालिक कुछ ही देर मे लाठी लेकर वहाँ आ पहुंचा। सियार ने उसे देख लिया। छोटा होने के कारण वह झड़ियों के बीच होता हुआ फुर्ती से भाग निकला, किन्तु बचते-बचते भी ऊंट बेचारा उसकी पकड़ मे आ गया।
किसान ने उसके चार-पाँच लट्ठ जमा दिये। इस घटना से ऊंट सियार से नाराज हो गया और सियार से बात करना तथा मिलना-जुलना छोड़ दिया।
कुछ दिन सियार भी उससे मिलने नहीं आया, किन्तु उसे किसान के हनथो लट्ठ खाते देख बहुत मज़ा आया था। सियार के लिए बस इतना ही काफी नहीं था, वह फिर किसी अवसर की प्रतीक्षा करने लगा की कोई अवसर और मिले जिससे ऊंट के पिटाई का मज़ा फिर से लिया जाए।
एक दिन वह ऊंट से मिला और बड़ी विनम्रता से बोला- “ऊंट भाई, उस दिन की घटना के लिए मैं क्षमा मांगता हूँ, वो क्या है की मुझे कुछ खाने के बाद हुवास की आदत है, किन्तु अब तुम नाराजगी छोड़ो, उस दिन की नाराजगी को भूल जाओ और मेरे साथ स्वादिस्त ककड़ियों का आनंद लेने चलो। मैं वादा करता हूँ की अब नहीं चीलउगा। तुम चलो मेरे साथ और भरपेट खाने का लुफ्ट उठाओ। इस बार हम उस पुराने खेत में नहीं चलेंगे। उधर नदी के पार मैंने और एक खेत देखा है, वहाँ चलेंगे।”
ऊंट बड़ा भोला था। वह सियार के चिकनी-चुपड़ी बातों मे फिर से आ गया और उसके साथ नदी पर कर के उस खेत मे चला गया। सियार ने जल्दी-जल्दी अपना पेट भरा और फिर वही अपनी पुरानी हरकत पे उतर आया यानि लगा ‘हूंवा-हूंवा’ करने। वहाँ भी किसान आ पहुंचा। उसे आता देख सियार तो निकाल भागा, मगर ऊंट बेचारा फंस गया। वहाँ भी उसकी जाम कर धुनाई हुई। ऊंट बेचारा बुरी तरह जख्मी हो गया और उसने फैसला किया की वो दुस्ट सियार को उसके करनी का दंड जरूर देगा। यह उसके स्वभाव के वीरुध जरूर था, लेकिन सियार को सबक सीखना भी जरूरी था।
जब वे लोटते समय नदी पार करने लगे तो सियार भी उसके पीठ पर सवार था। अचानक ऊंट को एक युक्ति सूझी और वो पानी मे लेटने लगा।
“अरे…अरे ऊंट भाई क्या करते हो। मैं डूब जाऊंगा।” सियार घबरा कर बोला।
“तू डूब या तैर, लेकिन मुझे तो पीटने के बाद पानी दिखते ही लुटास आती है। इसलिए मुझे तो लेते बिना चैन नहीं मिलेगा।” कहकर ऊंट पानी में लैट गया और दुष्ट सियार तेज़ धार मे बह गया। उसे अपने करनी की सज़ा मिल गया था।
इस कहानी से हमे यही सीख मिलती है की जैसा करोगे वैसा भरोगे भी…..दोस्तो अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो तो इसे Share जरूर करे।