बचपन में क्लास में पढ़ाई गई कई बकवास और भ्रामक बातो में से एक... ये भी है कि...
"पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है"
वास्तव में... पृथ्वी किसी चीज के चक्कर नहीं लगाती
"पृथ्वी तो... सीधी रेखा में भाग रही है"
At A Speed Of 29.78 Km/Sec
पर चूँकि पृथ्वी के निकट मौजूद एक तारा... "सूर्य" अपनी ग्रेविटी के कारण पृथ्वी को अपनी तरफ खींचता है
(वास्तव में खींचता नहीं है... ये प्रोसेस अधिक जटिल है.. जिसे मैं फिर कभी डिटेल में समझाऊँगा)
इसलिए सूर्य के पृथ्वी को खींचने के कारण... पृथ्वी की हालत उस कबूतर की तरह हो जाती है
जिस कबूतर के पाँव में आपने रस्सी बाँध दी हो... फिर भी कबूतर लगातार सीधी रेखा में उड़ने की कोशिश कर रहा हो... परिणाम स्वरुप
"कबूतर आपके चारो ओर चक्कर लगाने लगता है"
तो क्या हो.. अगर कबूतर के उड़ने की स्पीड बढ़ा दी जाए?
Lets Say... पृथ्वी रुपी कबूतर 30 की बजाय... 42.1 Km/Sec की गति पकड़ ले?
Well... तब... रस्सी टूट जायेगी !!!
और पृथ्वी... सूर्य की ग्रेविटी को तोड़ के... ब्रह्माण्ड में मुक्त सफ़र पर निकल जायेगी
क्योंकि... सूर्य का द्रव्यमान इतनी तेजी से जा रही वस्तु को बांधे रखने के लिए... काफी नहीं है
.
आप समझ गए होंगे कि... किसी सिस्टम में तारो के orbit के लिए... सिस्टम में पर्याप्त mass होना अनिवार्य है.. वरना सिस्टम/गैलेक्सी के सभी तारे अपनी कक्षा तोड़ के ब्रह्माण्ड में बिखर जायेगे !!!
.
सन 1933 में वेज्ञानिको ने दूसरी गैलेक्सीज के निरिक्षण के वक़्त एक अद्धुत चीज नोटिस की
कि... तारे जिस स्पीड में गति कर रहे है... उस गति को बांधे रखने लायक Mass तो गैलेक्सी में है ही नहीं
कुछ ऐसा था... जो अदृश्य रूप में सभी गैलेक्सीज को गोंद की तरह बांधे रख... जीवन प्रदान कर रहा था
इस अदृश्य जीवनदायी तत्व को नाम दिया गया
Dark Matter !!!
.
आज लगभग 80 साल बीत जाने के बावजूद.. अपनी बेहतरीन क्षमताओ के बावजूद... हम सिर्फ ये जानते हैं कि... "डार्क मैटर क्या नहीं है"
According To Us
1. डार्क मैटर है... और बहुत अधिक मात्रा में है (दिख रहे पदार्थ से लगभग 5 गुणा)
2. डार्क मैटर... एंटी मैटर नहीं है
3. डार्क मैटर... ब्लैक होल्स में भी नहीं है
4. डार्क मैटर के प्रकाश से कोई क्रिया ना करने के कारण... इसे किसी भी प्रकार से देखा नहीं जा सकता
That's All !!!!
ब्रह्माण्ड में हम इंसानो के समानांतर दुनिया बनाये आखिर ये डार्क मैटर है क्या?
क्या कोई ऐसा तरीका नहीं.. जिससे हम डार्क मैटर के रहस्य तक पहुच पाएं?
Well.. Dark Matter Could Be Smart But We Humans R Cunning Too !!!
एक चीज है... जिसकी पिछले दिनों हुई खोज ने... डार्क मैटर तक पहुचंने का एक रास्ता दिखाया है
.
Gravitational Waves !!!!
************************
1916 में महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने ये भविष्यवाणी की थी कि... ब्रह्माण्ड का फैब्रिक "स्पेस-टाइम" यानी ढांचा... एक सागर के समान है...
इसलिए... ब्रह्मांड में गति कर रही कोई भी चीज... ब्रह्माण्ड के फैब्रिक में लहरे पैदा करती है
उदाहरण के लिए... अगर आप पानी की शांत सतह में अपनी ऊँगली घुमाए... तो आपकी उंगली से लहरे पैदा होगी
इन लहर रुपी "Distortion" को ही ग्रेविटेशनल वेव्स कहते हैं
.
अब चूंकि... डार्क मैटर और ब्लैक होल जैसी चीजे... लाइट से इंटरैक्ट नहीं करती... इसलिए हम इन्हें डायरेक्टली नही देख सकते
और... इनडायरेक्ट ऑब्सेरबशन्स तक सीमित है
लेकिन... डार्क मैटर के ग्रेविटेशनल इफ़ेक्ट को ट्रैक करके... ब्रह्माण्ड के इन रहस्यों की प्रॉपर्टीज को समझा जा सकता है
***************************************
20 मई 1964 को अपनी लैब में मौजूद अमेरिकी वैज्ञानिक "रोबर्ट विलसन" एकाएक अपने माइक्रोवेव एंटीना द्वारा कैच की जा रही एक अजीबो गरीव फ्रीक्वेंसी से चौक गए थे
इस अजीबो गरीब साउंड के स्त्रोत की तलाश में.. उन्होंने हर संभावित उपाय किये
यहाँ तक की सीढिया लगा कर... एंटीने पर बैठे कबूतरो को इसकी वजह मान के उड़ाने का प्रयास किया
लेकिन... बहुत बाद में उन्हें ये ख्याल आया कि...
ये आवाज... ब्रह्माण्ड में हर तरफ से आता ये माइक्रोवेव रेडिएशन... किसी महान घटना का साक्षी है
वास्तव में.. ये रेडिएशन बिग बैंग का लेफ्ट ओवर था
Robert Was Looking At Almost Beginning Of Time !!!
माइक्रोवेव रेडिएशन विंडो की खोज ने... इंसान के लिए ब्रह्माण्ड निर्माण के सिर्फ 3 लाख 80 हजार साल बाद के समय को देख पाना संभव किया था
But That's Kinda Limit.
क्योंकि... इससे पूर्व... फोटांस का मुक्त विचरण ही संभव नहीं हो पाया था
किसी भी तरह हम... समय के पन्नों की किताब के वे पन्ने नही पलट सकते
जो हमे उस 380000 वर्ष के पूर्व के ब्रह्माण्ड का दर्शन करा सके
.
But A New Era In Science Has Begun
आज आइंस्टीन के 100 साल बाद... ग्रेविटेशनल तरंगो की खोज ने.. मानवो को ऐसी "COSMIC WINDOW" उपलब्ध कराई है... जिसके पार... ब्लैकहोल तथा डार्क मैटर जैसे ना जाने कितने रहस्यों के सागर हमारा इन्तजार कर रहे हैं
और शायद... इन सागरो की गहराइयो में डुबकी लगा कर एक दिन हम... "ब्रह्माण्ड की शुरुआत" देख पाये
.
This Universe Is Huge Ocean Of Mysteries...
Electromagnetic Window Has Enabled Us To Surf Through It
But If You Want To Reach To An End Of Cosmic Sea?
Better Ride A Wave...
.
A Gravitational Wave !!!!
************************
And As Always
Thanks For Reading
"पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है"
वास्तव में... पृथ्वी किसी चीज के चक्कर नहीं लगाती
"पृथ्वी तो... सीधी रेखा में भाग रही है"
At A Speed Of 29.78 Km/Sec
पर चूँकि पृथ्वी के निकट मौजूद एक तारा... "सूर्य" अपनी ग्रेविटी के कारण पृथ्वी को अपनी तरफ खींचता है
(वास्तव में खींचता नहीं है... ये प्रोसेस अधिक जटिल है.. जिसे मैं फिर कभी डिटेल में समझाऊँगा)
इसलिए सूर्य के पृथ्वी को खींचने के कारण... पृथ्वी की हालत उस कबूतर की तरह हो जाती है
जिस कबूतर के पाँव में आपने रस्सी बाँध दी हो... फिर भी कबूतर लगातार सीधी रेखा में उड़ने की कोशिश कर रहा हो... परिणाम स्वरुप
"कबूतर आपके चारो ओर चक्कर लगाने लगता है"
तो क्या हो.. अगर कबूतर के उड़ने की स्पीड बढ़ा दी जाए?
Lets Say... पृथ्वी रुपी कबूतर 30 की बजाय... 42.1 Km/Sec की गति पकड़ ले?
Well... तब... रस्सी टूट जायेगी !!!
और पृथ्वी... सूर्य की ग्रेविटी को तोड़ के... ब्रह्माण्ड में मुक्त सफ़र पर निकल जायेगी
क्योंकि... सूर्य का द्रव्यमान इतनी तेजी से जा रही वस्तु को बांधे रखने के लिए... काफी नहीं है
.
आप समझ गए होंगे कि... किसी सिस्टम में तारो के orbit के लिए... सिस्टम में पर्याप्त mass होना अनिवार्य है.. वरना सिस्टम/गैलेक्सी के सभी तारे अपनी कक्षा तोड़ के ब्रह्माण्ड में बिखर जायेगे !!!
.
सन 1933 में वेज्ञानिको ने दूसरी गैलेक्सीज के निरिक्षण के वक़्त एक अद्धुत चीज नोटिस की
कि... तारे जिस स्पीड में गति कर रहे है... उस गति को बांधे रखने लायक Mass तो गैलेक्सी में है ही नहीं
कुछ ऐसा था... जो अदृश्य रूप में सभी गैलेक्सीज को गोंद की तरह बांधे रख... जीवन प्रदान कर रहा था
इस अदृश्य जीवनदायी तत्व को नाम दिया गया
Dark Matter !!!
.
आज लगभग 80 साल बीत जाने के बावजूद.. अपनी बेहतरीन क्षमताओ के बावजूद... हम सिर्फ ये जानते हैं कि... "डार्क मैटर क्या नहीं है"
According To Us
1. डार्क मैटर है... और बहुत अधिक मात्रा में है (दिख रहे पदार्थ से लगभग 5 गुणा)
2. डार्क मैटर... एंटी मैटर नहीं है
3. डार्क मैटर... ब्लैक होल्स में भी नहीं है
4. डार्क मैटर के प्रकाश से कोई क्रिया ना करने के कारण... इसे किसी भी प्रकार से देखा नहीं जा सकता
That's All !!!!
ब्रह्माण्ड में हम इंसानो के समानांतर दुनिया बनाये आखिर ये डार्क मैटर है क्या?
क्या कोई ऐसा तरीका नहीं.. जिससे हम डार्क मैटर के रहस्य तक पहुच पाएं?
Well.. Dark Matter Could Be Smart But We Humans R Cunning Too !!!
एक चीज है... जिसकी पिछले दिनों हुई खोज ने... डार्क मैटर तक पहुचंने का एक रास्ता दिखाया है
.
Gravitational Waves !!!!
************************
1916 में महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने ये भविष्यवाणी की थी कि... ब्रह्माण्ड का फैब्रिक "स्पेस-टाइम" यानी ढांचा... एक सागर के समान है...
इसलिए... ब्रह्मांड में गति कर रही कोई भी चीज... ब्रह्माण्ड के फैब्रिक में लहरे पैदा करती है
उदाहरण के लिए... अगर आप पानी की शांत सतह में अपनी ऊँगली घुमाए... तो आपकी उंगली से लहरे पैदा होगी
इन लहर रुपी "Distortion" को ही ग्रेविटेशनल वेव्स कहते हैं
.
अब चूंकि... डार्क मैटर और ब्लैक होल जैसी चीजे... लाइट से इंटरैक्ट नहीं करती... इसलिए हम इन्हें डायरेक्टली नही देख सकते
और... इनडायरेक्ट ऑब्सेरबशन्स तक सीमित है
लेकिन... डार्क मैटर के ग्रेविटेशनल इफ़ेक्ट को ट्रैक करके... ब्रह्माण्ड के इन रहस्यों की प्रॉपर्टीज को समझा जा सकता है
***************************************
20 मई 1964 को अपनी लैब में मौजूद अमेरिकी वैज्ञानिक "रोबर्ट विलसन" एकाएक अपने माइक्रोवेव एंटीना द्वारा कैच की जा रही एक अजीबो गरीव फ्रीक्वेंसी से चौक गए थे
इस अजीबो गरीब साउंड के स्त्रोत की तलाश में.. उन्होंने हर संभावित उपाय किये
यहाँ तक की सीढिया लगा कर... एंटीने पर बैठे कबूतरो को इसकी वजह मान के उड़ाने का प्रयास किया
लेकिन... बहुत बाद में उन्हें ये ख्याल आया कि...
ये आवाज... ब्रह्माण्ड में हर तरफ से आता ये माइक्रोवेव रेडिएशन... किसी महान घटना का साक्षी है
वास्तव में.. ये रेडिएशन बिग बैंग का लेफ्ट ओवर था
Robert Was Looking At Almost Beginning Of Time !!!
माइक्रोवेव रेडिएशन विंडो की खोज ने... इंसान के लिए ब्रह्माण्ड निर्माण के सिर्फ 3 लाख 80 हजार साल बाद के समय को देख पाना संभव किया था
But That's Kinda Limit.
क्योंकि... इससे पूर्व... फोटांस का मुक्त विचरण ही संभव नहीं हो पाया था
किसी भी तरह हम... समय के पन्नों की किताब के वे पन्ने नही पलट सकते
जो हमे उस 380000 वर्ष के पूर्व के ब्रह्माण्ड का दर्शन करा सके
.
But A New Era In Science Has Begun
आज आइंस्टीन के 100 साल बाद... ग्रेविटेशनल तरंगो की खोज ने.. मानवो को ऐसी "COSMIC WINDOW" उपलब्ध कराई है... जिसके पार... ब्लैकहोल तथा डार्क मैटर जैसे ना जाने कितने रहस्यों के सागर हमारा इन्तजार कर रहे हैं
और शायद... इन सागरो की गहराइयो में डुबकी लगा कर एक दिन हम... "ब्रह्माण्ड की शुरुआत" देख पाये
.
This Universe Is Huge Ocean Of Mysteries...
Electromagnetic Window Has Enabled Us To Surf Through It
But If You Want To Reach To An End Of Cosmic Sea?
Better Ride A Wave...
.
A Gravitational Wave !!!!
************************
And As Always
Thanks For Reading
No comments:
Post a Comment