मेरा जवाब है - "नहीं......और हाँ"
क्या हुआ .....? कन्फ्युज्ड !!!
OK I'll clear it
OK I'll clear it
आज मैं आपको एक रहस्य बताता हुँ "यह संसार मात्र आपके लिए है, यहाँ केवल वही होगा जो आप चाहेंगे मतलब कोई सीमा नहीं..... कुछ भी असम्भव नहीं"
जी हाँ यही शाश्वत सत्य है वह हर किताब, हर पुर्वाग्रह, हर प्रवचन भूल जाईए जो यह कहता हो कि यह सम्भव नहीं है|
मैं यह कहता हुँ कि यहाँ सब-कुछ सिर्फ आपके आत्मिक विकास के लिए है | जो आप चाहेंगे बस वही होगा, आप जो कुछ भी चाहे पर सबसे महत्वपुर्ण ..... ""आपको चाहना होगा"" |
हर जीव ऊर्जा के विशाल चेतन पुँज (ईश्वर) का ही अंश है और उसमें वो सब शक्तियाँ निहित है जो ईश्वर में है | अगर जीवन के किसी भी क्षण में जीवात्मा परमात्मा से सम्बन्ध को स्वीकार कर सम्बन्ध स्थापित करती है तब वह परम शक्तिशाली स्वरूप में होती है | ऐसी स्थिति में जो उस जीवात्मा नें चाहा है तो सिर्फ और सिर्फ वही घटित होगा, निर्विवाद अटल सत्य के रूप में |
असम्भव/सीमाओं के अस्तित्व पर मेरी कई मित्रो से चर्चा होती रही है इस पर आपत्तियाँ भी आती रही है जिनमें सें अधिकतर कोई ऊटपटांग सा काम बताकर कहते है - "...तो फिर यह करके दिखाओ?"
हर बार मेरा समान जवाब होता है कि "यह सम्भव है बस तरीका मालुम करना जरूरी है कि यह किस तरह होगा" |
Everything is possible if You know the way to get it.
दुसरा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो भाई विजय सिंह ठकुराय ने द्रव्यमान की शुन्यता को आधार बना दर्ज कराया है "कोई चीज प्रकाश के वेग से तभी चल सकती है जब उसका द्रव्यमान शुन्य हो"|
वो प्रकाश के वेग को अन्तिम अधिकतम वेग कहते हुये एक सीमा बनाते है | इस पर भी मैने कहा था कि प्रकाश का वेग ही अधिकतम वेग नहीं है, यह वह अधिकतम वेग है जो हम अब तक जान पायें है इससे अधिक, और अधिक और भी बहुत अधिक सम्भव है बस हम जानते नहीं है|
अब एक तथ्य सुनीये जो आपके होश उड़ा देगा| हाल ही नाभिक में टेकियोन नामक ऐसे कणो की खोज की है जिनका वेग द्रव्यमान/ तरंग यान्त्रिकी सम्बन्धी समस्त अवधारणाओ को तोड़ते हुये प्रकाश के वेग से भी ज्यादा है |
इसलिए कोई स्थापित सीमा तात्कालिक अन्तिम सीमा तो हो सकती है पर शाश्वत नहीं | यह सृष्टि आपके लिए है और यहाँ कुछ भी असम्भव नहीं है |
अब आप सोच रहे होंगे कि फिर मैने हाँ क्यों कहा था ? तो सुनीये ..... कोई भी कार्य करने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है यानि जितना बड़ा कार्य उतनी ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होगी| मेरी पुरानी पोस्ट्स से यह तो जान ही चुके होंगे कि यह सम्पूर्ण प्रकृति मात्र ऊर्जा ही है |
तो बन्धुवर बस ऐसा कोई कार्य ही असम्भव होगा जिसे करने के लिए इस प्रकृति की समस्त ऊर्जा से भी अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी| अगर आप वो करने जा रहे है तो बात अलग है वरना इस सृष्टि में में किसी के लिए कुछ भी असम्भव नहीं |
जी हाँ यही शाश्वत सत्य है वह हर किताब, हर पुर्वाग्रह, हर प्रवचन भूल जाईए जो यह कहता हो कि यह सम्भव नहीं है|
मैं यह कहता हुँ कि यहाँ सब-कुछ सिर्फ आपके आत्मिक विकास के लिए है | जो आप चाहेंगे बस वही होगा, आप जो कुछ भी चाहे पर सबसे महत्वपुर्ण ..... ""आपको चाहना होगा"" |
हर जीव ऊर्जा के विशाल चेतन पुँज (ईश्वर) का ही अंश है और उसमें वो सब शक्तियाँ निहित है जो ईश्वर में है | अगर जीवन के किसी भी क्षण में जीवात्मा परमात्मा से सम्बन्ध को स्वीकार कर सम्बन्ध स्थापित करती है तब वह परम शक्तिशाली स्वरूप में होती है | ऐसी स्थिति में जो उस जीवात्मा नें चाहा है तो सिर्फ और सिर्फ वही घटित होगा, निर्विवाद अटल सत्य के रूप में |
असम्भव/सीमाओं के अस्तित्व पर मेरी कई मित्रो से चर्चा होती रही है इस पर आपत्तियाँ भी आती रही है जिनमें सें अधिकतर कोई ऊटपटांग सा काम बताकर कहते है - "...तो फिर यह करके दिखाओ?"
हर बार मेरा समान जवाब होता है कि "यह सम्भव है बस तरीका मालुम करना जरूरी है कि यह किस तरह होगा" |
Everything is possible if You know the way to get it.
दुसरा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो भाई विजय सिंह ठकुराय ने द्रव्यमान की शुन्यता को आधार बना दर्ज कराया है "कोई चीज प्रकाश के वेग से तभी चल सकती है जब उसका द्रव्यमान शुन्य हो"|
वो प्रकाश के वेग को अन्तिम अधिकतम वेग कहते हुये एक सीमा बनाते है | इस पर भी मैने कहा था कि प्रकाश का वेग ही अधिकतम वेग नहीं है, यह वह अधिकतम वेग है जो हम अब तक जान पायें है इससे अधिक, और अधिक और भी बहुत अधिक सम्भव है बस हम जानते नहीं है|
अब एक तथ्य सुनीये जो आपके होश उड़ा देगा| हाल ही नाभिक में टेकियोन नामक ऐसे कणो की खोज की है जिनका वेग द्रव्यमान/ तरंग यान्त्रिकी सम्बन्धी समस्त अवधारणाओ को तोड़ते हुये प्रकाश के वेग से भी ज्यादा है |
इसलिए कोई स्थापित सीमा तात्कालिक अन्तिम सीमा तो हो सकती है पर शाश्वत नहीं | यह सृष्टि आपके लिए है और यहाँ कुछ भी असम्भव नहीं है |
अब आप सोच रहे होंगे कि फिर मैने हाँ क्यों कहा था ? तो सुनीये ..... कोई भी कार्य करने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है यानि जितना बड़ा कार्य उतनी ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होगी| मेरी पुरानी पोस्ट्स से यह तो जान ही चुके होंगे कि यह सम्पूर्ण प्रकृति मात्र ऊर्जा ही है |
तो बन्धुवर बस ऐसा कोई कार्य ही असम्भव होगा जिसे करने के लिए इस प्रकृति की समस्त ऊर्जा से भी अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी| अगर आप वो करने जा रहे है तो बात अलग है वरना इस सृष्टि में में किसी के लिए कुछ भी असम्भव नहीं |
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