वर्तमान युग में खान-पान के प्रति लोग सजग नहीं रहते हैं जिसके चलते वे कई तरह के पेट संबंधी रोग और कई गंभीर रोग से भी पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती तक हो जाते हैं। हजारों लोग हैं और हजारों तरह के रोग हैं, लेकिन यह कोई नहीं समझता कि उपयोगी सिर्फ योग है। योग क्रियाएं तो कई हैं, जैसे कि बस्ती क्रिया, नौली क्रिया, धौती क्रिया, कपालभाती, कुंजली क्रिया आदि।
हम आपको बताएंगे बाधी क्रिया के बारे में, जो पेट के सभी तरह के रोग ठीक कर देती है। यह एक प्राचीन शुद्धि क्रिया है जिसका प्रचलन आजकल बहुत कम है। बाघ आदि जानवर अस्वस्थ होने पर इसी प्रकार की क्रिया से स्वास्थ्य लाभ लेते हैं इसलिए इसका नाम 'बाधी क्रिया' दिया गया है।
चेतावनी : पेट में किसी भी तरह का गंभीर रोग हो तो यह क्रिया किसी जानकार योग चिकित्सक से पूछकर ही करें।
बाधी क्रिया : खान-पान के 2 घंटे बाद जब आधी पाचन क्रिया हुई होती है, तो दो अंगुली गले में डालकर वमन किया जाता है जिससे कि वह अधपचा अन्नादि बाहर निकल जाता है। यही बाधी क्रिया है।
इसका लाभ : इससे पेट की सभी प्रकार की गंदगी या कफ आदि उस अधपचे अन्न के साथ निकल जाती है फलतः पेट संबंधी शिकायतें दूर होती हैं, साथ ही कफजन्य रोगों में काफी लाभ मिलता है
वर्तमान युग में खान-पान के प्रति लोग सजग नहीं रहते हैं जिसके चलते वे कई तरह के पेट संबंधी रोग और कई गंभीर रोग से भी पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती तक हो जाते हैं। हजारों लोग हैं और हजारों तरह के रोग हैं, लेकिन यह कोई नहीं समझता कि उपयोगी सिर्फ योग है। योग क्रियाएं तो कई हैं, जैसे कि बस्ती क्रिया, नौली क्रिया, धौती क्रिया, कपालभाती, कुंजली क्रिया आदि।
चेतावनी : पेट में किसी भी तरह का गंभीर रोग हो तो यह क्रिया किसी जानकार योग चिकित्सक से पूछकर ही करें।
बाधी क्रिया : खान-पान के 2 घंटे बाद जब आधी पाचन क्रिया हुई होती है, तो दो अंगुली गले में डालकर वमन किया जाता है जिससे कि वह अधपचा अन्नादि बाहर निकल जाता है। यही बाधी क्रिया है।
इसका लाभ : इससे पेट की सभी प्रकार की गंदगी या कफ आदि उस अधपचे अन्न के साथ निकल जाती है फलतः पेट संबंधी शिकायतें दूर होती हैं, साथ ही कफजन्य रोगों में काफी लाभ मिलता है
No comments:
Post a Comment