झूलन-ढुलन आसन! आपने इस आसन का नाम कम ही सुना होगा। हालांकि बालपन में आपने यह आसन जरूर किया होगा। शरीर का आधार रीढ़ होता है। रीढ़ को मजबूत बनाने के लिए यह आसन बहुत अच्छा है। झूलन-लुढ़कन आसन को करने से रीढ़ की हड्डी और जोड़ पहले से ज्यादा लचकदार और मजबूत होते हैं।
झूलना-लुढ़कना आसन की विधि:-
(अ)
* सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं।
* अब दोनों पैरों को मोड़ते हुए वक्ष तक लाएं
* दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर घुटनों के पास पैरों को कसकर पकड़ें।
-यह प्रारंभिक स्थिति है।
(ब)
* अब शरीर को क्रमश: दाहिनी और बाईं ओर लुढ़काते हुए पैर के बगल के हिस्से को जमीन से स्पर्श कराएं।
* 5 से 10 बार यह अभ्यास करें।
* पूरे अभ्यास के समय श्वास-प्रश्वास को सामान्य रखें।
(स)
* नितम्बों को जमीन से थोड़ा ऊपर रखते हुए उकडूं बैठें।
* दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर घुटनों के ठीक नीचे पैरों को कसकर पकड़ें।
* संपूर्ण शरीर को मेरूदंड पर आगे-पीछे लुढ़काएं।
* अब आगे की ओर लुढ़कते समय पांवों पर बैठने की स्थिति में आने का प्रयत्न करें।
* 5 से 10 बार आगे-पीछे लुढ़कें।
फिर से (पुनश्च:) : इस आसन को करने के लिए लेट जाएं। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें। अब घुटनों को छाती की ओर ले जाएं और अपने हाथों से पैरों को घुटनों के पास से पकड़ लें। फिर श्वास भरें और आगे की ओर झूलते हुए श्वास छोड़ें। अब पीछे की ओर लुढ़कते हुए श्वास भरें। इस आसन को करने के दौरान सिर को बचाकर रखें। इस आसन को करते समय कोशिश करें कि आगे की ओर झूलते हुए आप पैरों के बल बैठ जाएं। इस प्रक्रिया को करने से पीठ के बल आगे-पीछे लुढ़कते-झूलते हुए रीढ़ के सभी जोड़ों का व्यायाम हो जाता।
सावधानी : इस आसन को करते समय रीढ़ को ज्यादा सुरक्षा देने के लिए मोटा कंबल बिछाएं। जिन लोगों को पहले से कमर या पीठ में दर्द की शिकायत हो उन्हें इस आसन से परहेज करना चाहिए।
आसन का लाभ :- यह आसन नियमित करने से पीठ, नितम्ब और कटि-प्रदेश की मालिश करता है और पीठ, कमर, नितंब की चर्बी को कम करता है।
झूलना-लुढ़कना आसन की विधि:-
(अ)
* सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं।
* अब दोनों पैरों को मोड़ते हुए वक्ष तक लाएं
* दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर घुटनों के पास पैरों को कसकर पकड़ें।
-यह प्रारंभिक स्थिति है।
(ब)
* अब शरीर को क्रमश: दाहिनी और बाईं ओर लुढ़काते हुए पैर के बगल के हिस्से को जमीन से स्पर्श कराएं।
* 5 से 10 बार यह अभ्यास करें।
* पूरे अभ्यास के समय श्वास-प्रश्वास को सामान्य रखें।
(स)
* नितम्बों को जमीन से थोड़ा ऊपर रखते हुए उकडूं बैठें।
* दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर घुटनों के ठीक नीचे पैरों को कसकर पकड़ें।
* संपूर्ण शरीर को मेरूदंड पर आगे-पीछे लुढ़काएं।
* अब आगे की ओर लुढ़कते समय पांवों पर बैठने की स्थिति में आने का प्रयत्न करें।
* 5 से 10 बार आगे-पीछे लुढ़कें।
फिर से (पुनश्च:) : इस आसन को करने के लिए लेट जाएं। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें। अब घुटनों को छाती की ओर ले जाएं और अपने हाथों से पैरों को घुटनों के पास से पकड़ लें। फिर श्वास भरें और आगे की ओर झूलते हुए श्वास छोड़ें। अब पीछे की ओर लुढ़कते हुए श्वास भरें। इस आसन को करने के दौरान सिर को बचाकर रखें। इस आसन को करते समय कोशिश करें कि आगे की ओर झूलते हुए आप पैरों के बल बैठ जाएं। इस प्रक्रिया को करने से पीठ के बल आगे-पीछे लुढ़कते-झूलते हुए रीढ़ के सभी जोड़ों का व्यायाम हो जाता।
सावधानी : इस आसन को करते समय रीढ़ को ज्यादा सुरक्षा देने के लिए मोटा कंबल बिछाएं। जिन लोगों को पहले से कमर या पीठ में दर्द की शिकायत हो उन्हें इस आसन से परहेज करना चाहिए।
आसन का लाभ :- यह आसन नियमित करने से पीठ, नितम्ब और कटि-प्रदेश की मालिश करता है और पीठ, कमर, नितंब की चर्बी को कम करता है।
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