Monday, 15 February 2016

मंडूकासन

आसन परिचय : मंडूक का अर्थ है मेंढक अर्थात इस आसन को करते वक्त मेंढक के आकार जैसी स्थिति प्रतीत होती इसीलिए इसे मंडूकासन कहते हैं। यह आसन भी कई तरह से किया जाता हैं। यहां प्रस्तुत है प्रचलित तरीका।

सावधानी : यदि पेट संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो यह आसन न करें। स्लिप डिस्क, ऑस्टियोपॉरोसिस और कमर दर्द के रोगी यह आसन किसी योग चिकित्सक से पूछकर ही करें। आसन करते वक्त ध्यान रखें की दोनों हाथों की मुठ्ठियां अच्छी तरह से नाभि के आस-पास टिकी हो।
इस आसन के लाभ पेट के लिए अत्यंत ही लाभयादयक इस आसन से अग्न्याशय सक्रिय होता है जिसके कारण के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। यह आसन उदर और हृदय के लिए भी अत्यंत लाभदायक माना गया है।
यह आसन पेट के रोग जैसे कब्ज, गैस, अफारा, भूख न लगना, अपच, भोजन का पाचन ठीक न होना आदि विकारों को दूर करता है। इस आसन से आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, पित्तकोष, पेन्क्रियाज, मलाशय, लिवर, प्रजनन अंगों और किडनी आदि सभी अंगों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
विधि : सर्वप्रथम दंडासन में बैठते हुए वज्रासन में बैठ जाएं फिर दोनों हाथों की मुठ्ठी बंद कर लें। मुठ्ठी बंद करते समय अंगूठे को अंगुलियों से अंदर दबाइए। फिर दोनों मुठ्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकते हुए ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। थोड़ी देर इसी स्थिति में रहने के बाद वापस वज्रासन में आ जाए।
विपरित आसन : प्रत्येक आसन को करने के पश्चात उसका विपरित आसन जरूर करें। मंडूकासन के बाद आप चाहे तो योगा शिक्षक से पूछकर ऊष्ट्रासन या विपरित नौकासन कर सकते हैं।
आवृत्ति : मंडूकासन का अभ्यास वैसे तो दो बार ही किया जाता है किंतु डायबिटीज के मरीज इसका अभ्यास 3-4 बार तक कर सकते हैं।

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