Saturday 20 February 2016

श्री कृष्ण और दुर्योधन थे समधी

महाभारत के युद्ध में कौरवों के विरूद्ध पांडवों का साथ देने वाले श्री कृष्ण दुर्योधन के समधी थे। श्री कृष्ण के पुत्र ने दुर्योधन की पुत्री का हरण कर विवाह किया था।बात यूँ है की दुर्योधन के एक पुत्री थी जिसका नाम लक्ष्मणा था। जब लक्षमणा बड़ी हुई तो दुर्योधन ने उसका विवाह करने के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया। उस स्वयंवर में बहुत से वीर पराक्रमी राज कुमार उपस्थित हुए। पर राजकुमारी लक्ष्मणा, राजकुमार साम्ब को चाहती थी जो की श्री कृष्ण और रानी जाम्बवती के पुत्र थे। साम्ब और लक्ष्मणा पहले से ही एक दूसरे से प्यार करते थे और वो यह भी जानते थे की कौरव यह विवाह नहीं होने देंगे। इसलिए साम्ब ने  स्वयंवर से पहले ही  लक्ष्मणा का हरण कर लिया। साम्ब जब लक्ष्मणा का हरण करके जाने लगा तो कौरवों ने उसका पीछा किया और उसे पकड़कर बंदी बना लिया।
Mahabharat Gyan - shri krishna and Duryodhana
श्री कृष्ण और दुर्योधन (Demo Pic)
जब साम्ब को बंदी बनाने की बात द्वारका पहुंची तो सारे यदुवंशी कौरवों के साथ युद्ध करने की तैयारी करने लगे, लेकिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम ने उन्हें रोक दिया और कहाँ की मैं स्वयं हस्तिनापुर जाकर उन्हें ले के आयूंगा।बलराम ने हस्तिनापुर पहुंचकर कौरवों से साम्ब व लक्ष्मणा को उनके साथ ससम्मान द्वारका भेजने का आग्रह किया जिसे कौरवों ने ठुकरा दिया तथा बलराम का खूब अपमान किया।  अपने अपमान और कौरवों के अहंकार से क्रोधित होकर बलराम ने अपने हल से हस्तिनापुर को धरती से उखाड़ दिया और उसे गंगा नदी में डुबोने के लिए गंगा नदी की और खीचने लगे।
कौरवों ने जब यह देखा की बलराम अपने पराक्रम से समस्त हस्तिनापुर को गंगा में डुबो देंगे तो उन्होंने बलराम से माफ़ी मांगी और साम्ब व लक्ष्मणा को पति-पत्नी के रूप में उनके साथ विदा किया। इस तरह दुर्योधन और श्री कृष्ण समधी बने

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