(आकाशीय बिजली का रहस्य)नोट:- कमजोर दिल वाले इस पोस्ट को न पढ़े अन्यथा बिजली की तेज गड़गड़ाहट से कुछ उल्टा सीधा हो जाये तो मुझसे मत कहियो!जैसे ही बारिश शुरू होती है शुरु होता है सिलसिला आकाश मे डीजे बजने का! तेज और डरावनी गड़गड़ाहट! और कुछ लोगो के लिये कुछ ज्यादा ही भयावह!बहुत समय तक इन बादलों के गरजनेँ और बिजली चमकनेँ के पीछे के रहस्य से लोग अनजान रहे। कोई इसे प्रकृति का कोप तो कोई इसे भगवान ज्यूपीटर का दण्ड कहते थे। और जो भी व्यक्ति इस बिजली की चपेट मेँ आता तो वह कोप भाजन का भोगी कहलाता।but it will not continue..ये मान्यतायेँ तब तक ही रही जब तक की बेँजामिन फ्रेँकलिन नहीँ थे।Now the Story has a turn...बेँजामिन की प्रेरणा पाकर दो वैज्ञानिकों Dalibard and Delor ने एक experiment किया।ये प्रयोग दो धातुओँ की लम्बी Rods से किया गया था। डालीबार्ड 40 फुट और डेलार का राड 99 फुट का था!and starts a Dangerous EXPERIMENT..(दिल थाम के बैठिये)जब इन छड़ो को आकाश की ओर किया गया तो इनमेँ लगभग डेढ़ इंच का स्पार्क दिखाई दिया! Since this was a dangerous experiment.. परिणाम स्वरूप इस प्रयोग के बाद एक अन्य वैज्ञानिक को ये प्रयोग करते समय अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।अब चूँकि छड़ो की पहुँच बादलों तक तो थी नहीँ इसलिये ये निश्चित न होसका कि ये स्पार्क बादलों द्वारा उत्पन्न है!Yes...story does not end here.इसके बाद खुद बेँजामिन फ्रेँकलिन ने अपना The famous Kite Experiment किया। पंतग को बादलों तक उड़ाया गया और जैसे ही पतंग कीडोर भीगी तो पतंग और डोर दोनों ही तन गये। और इससे ये पता लगा कि ये दोनो विद्युत द्वारा आवेशित यानी Charged हो गये है।डोर के दूसरेछोर मेँ एक key बाँध दी गयी अब चाभी के पास अँगुली ले जाने से अँगुली और चाभी दोनों के बीच तेज आवाज के साथ स्पार्क हुआ! इससे एक बात तो तय हो गई कि ये डिस्चार्ज बादल-बादल और बादल- धरती के बीच हो सकता है!Actually this happens..बादलों का उपरी हिस्सा positively &नीचे का negativaly charged होता है और प्रेरण की सहायता से पृथ्वी को धनावेशित कर देते है। ये पृथ्वी के धनावेश बादलों के साथ साथ गति करते हैऔर रास्ते की चीजों पर चढ़ जाते है& where the distance becomes minimum a big spark Generates! Booommm
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