Thursday, 11 February 2016

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LAYS चिप्स के पैकेट में जो E631 लिखा है Maggi के पैकेट पर लिखा होता है, Flavour Enhancer E 635 वह दरअसल "सूअर की चर्बी है"!
कमाल है! शायद ही कोई भारतीय परिवार चिप्स आदि से बच पाया होगा!!
बात हो रही E 631 की। जिस किसी भी पदार्थ पर लिखा दिखे E631 तो समझ लीजिए कि उसमे सूअर की चर्बी है!
ये विडियो देखे :-
गूगल से पता चला कि कुछ अरसे पहले यह हंगामा पाकिस्तान में हुआ था जिस पर ढेरों आरोप और सफाइयां दस्तावेजों सहित मौजूद हैं। हैरत की बात यह दिखी कि इस पदार्थ को कई देशों में प्रतिबंधित किया गया है किन्तु अपने देश में धड़ल्ले से उपयोग हो रहा। मूल तौर पर यह पदार्थ सूअर की चर्बी से प्राप्त होता है और ज्यादातर नूडल्स, चिप्स में स्वाद बढाने के लिए किया जाता है। रसायन शास्त्र में इसे Disodium Inosinate कहा जाता है जिसका सूत्र है -
(C)10(H)11(N)4(Na)2(O)8(P)1 होता यह है कि अधिकतर (ठंडे) पश्चिमी देशों में सूअर का मांस बहुत पसंद किया जाता है।
लिंक देखिए :-
वहाँ तो बाकायदा इसके लिए हजारों की तादाद में सूअर फार्म हैं। सूअर ही ऐसा प्राणी है जिसमे सभी जानवरों से अधिक चर्बी होती है। दिक्कत यह है कि चर्बी से बचते हैं लोग। तो फिर इस बेकार चर्बी का क्या किया जाए ?? पहले तो इसे जला दिया जाता था लेकिन फिर दिमाग दौड़ा कर इसका उपयोग साबुन वगैरह में किया गया और यह हिट रहा।
फिर तो इसका व्यापारिक जाल बन गया और तरह तरह के उपयोग होने लगे। नाम दिया गया 'पिग फैट' 1857 का वर्ष तो याद होगा आपको ??
उस समयकाल में बंदूकों की गोलियां पश्चिमी देशों से भारतीय उपमहाद्वीप में समुद्री राह से भेजी जाती थीं और उस महीनों लम्बे सफ़र में समुद्री आबोहवा से गोलियां खराब हो जाती थीं। तब उन पर सूअर चर्बी की परत चढ़ा कर भेजा जाने लगा। लेकिन गोलियां भरने के पहले उस परत को दांतों से काट कर अलग किया जाना होता था। यह तथ्य सामने आते ही जो क्रोध फैला उसकी परिणिति 1857 की क्रांति में हुई बताई जाती है। इससे परेशान हो अब इसे नाम दिया गया 'ऐनिमल फैट' !
मुस्लिम देशों में इसे गाय या भेड़ की चर्बी कह प्रचारित किया गया लेकिन इसके हलाल न होने से असंतोष थमा नहीं और इसे प्रतिबंधित कर दिया गया।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नींद उड़ गई। आखिर उनका 75 प्रतिशत कमाई मारी जा रही थी इन बातों से। हार कर एक राह निकाली गई। अब गुप्त संकेतो वाली भाषा का उपयोग करने की सोची गई जिसे केवल संबंधित विभाग ही जानें कि यह क्या है! आम उपभोक्ता अनजान रह सब हजम करता रहे। तब जनम हुआ E कोड का तब से यह E 631 पदार्थ कई चीजों में उपयोग किया जाने लगा जिसमे मुख्य हैं टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम, च्युंग गम, चॉकलेट, मिठाई, बिस्कुट, कोर्न फ्लैक्स, टॉफी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ आदि। सूची में और भी नाम हो सकते हैं। हाँ, कुछ मल्टी- विटामिन की गोलियों में भी यह पदार्थ होता है। शिशुयों, किशोरों सहित अस्थमा और गठिया के रोगियों को इस E 631 पदार्थ मिश्रित सामग्री को उपयोग नहीं करने की सलाह है लेकिन कम्पनियाँ कहती हैं कि इसकी कम मात्रा होने से कुछ नहीं होता। पिछले वर्ष खुशदीप सहगल जी ने एक पोस्ट में बताया था कि कुरकुरे में प्लास्टिक होने की खबर है चाहें तो एक दो टुकड़ों को जला कर देख लें। मैंने वैसा किया और पिघलते टपकते कुरकुरे को देख हैरान हो गया।
अब लग रहा कि कहीं वह चर्बी का प्रभाव तो नहीं था ?? अब बताया तो यही जा रहा है कि जहां भी किसी पदार्थ पर लिखा दिखे -
E100,
E 110,
E 120,
E 140,
E 141,
E 153,
E 210,
E 213,
E 214,
E 216,
E 234,
E 252,
E 270,
E 280,
E 325,
E 326,
E 327,
E 334,
E 335,
E 336,
E 337,
E 422,
E 430,
E 431,
E 432,
E 433,
E 434,
E 435,
E 436,
E 440,
E 470,
E 471,
E 472,
E 473,
E 474,
E 475,
E 476,
E 477,
E 478,
E 481,
E 482,
E 483,
E 491,
E 492,
E 493,
E 494,
E 495,
E 542,
E 570,
E 572,
E 631,
E 635,
E 904,
तो समझ लीजिए कि उसमे सूअर की चर्बी है!
ये रसायन जोडो का दर्द (गठिया) और आस्थमा जैसी बीमारियो का कारण है, इसका असर धीमा होता है और धीरे धीरे इसके दुष्परिणाम सामने आते है!
तो आप ये सब खाकर अपना धर्म भ्रष्ट क्यो कर रहे हो, जब कि आप अपने घर पर ही बहुत कुछ शुद्ध बनाकर खा सकते हो!

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