Sunday, 1 November 2015

चेचक


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चेचक से अधिकतर बच्चे ग्रसित होते है।यह रोग जब किसी को होता है तो 10 से 15 दिन बाद ही ठीक होता है।यह रोग अधिकतर बसंत रितु या ग्रीष्मकाल में होता है।इस रोग को किसी छाड-फूँक से नहीं ठीक किया जा सकता।
लक्षण:-
रोगी को बेचैनी होती है।उसे बहुत ज्यादा प्यास लगती है और पूरी शरीर में दर्द होने लगता है।दिल की धडकन तेज व जुकाम भी हो जाता है।शरीर लाल रंग के दाने निकलने लगती है।
कारण:- चेचक को घरेलुभाषा में "माता जी" या "शीतला" भी कहते है।इस रोग के फैलने का कारण जीवाणु,थूक,मलमूत्र और नाखूनो में पाया जाता है।
सावधानियाँ:-
रोगी को जब नहलाये तो उस पानी में नीम की पत्तियों को उबाले।
आयुर्वेद में चेचक में नीम से ज्यादा किसी पर भी भरोसा नहीं करते है।
रोगी के घर वालो को खाना बनाते समय सब्जी आदि में छोंका न लगाये।
ध्यान रखे रोगी उन छालो को फोडने न पाये।
उसके आगे पीछे,दाये-बाँये नीम की पत्तियाँ लटकाकर रखें।
उपाय:-
*तुलसी की 12 से 15 पत्तियों को 3 या 4 काली मिर्च के साथ पीसकर गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार पिलायें।
*पीपल की 3 से 5 पत्तियाँ लें। पत्तियों की डंडी तोड दें।इन पत्तों को 1 गिलास पानी में उबालें और एक चौथाई रहने पर इसको गुनगुना ही रोगी को पिलायें।ये प्रयोग 3 से 5 दिन तक लगातार सुबह और शाम को करें।

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