Saturday, 31 October 2015

AAYURVED


मित्रो आयुर्वेद को छोड़ कर जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां है उनमे बनने वाली ओषधियों मे बहुत अधिक मांसाहार का प्रयोग होता है ,आप जितनी भी एलोपैथी ओषधियाँ लेते है उन मे जो कैप्सूल होते है वो सब के सब मांसाहारी होते हैं ।
दरअसल कैप्सूल के ऊपर जो कवर होता है उसके अंदर ओषधि भरी जाती है
वो कवर प्लास्टिक का नहीं होता आपको देखने मे जरूर लगेगा कि ये प्लास्टिक है लेकिन वो प्लास्टिक का नहीं है क्योंकि अगर ये प्लास्टिक का होगा तो आप उसको खाओगे तो अंदर जाकर घुलेगा ही नहीं ,क्योंकि प्लास्टिक 400 वर्ष तक घुलता नहीं है वो कैप्सूल ऐसे का ऐसे सुबह टॉइलेट के रास्ते बाहर आ जाएगा ।
तो मित्रो ये जो कैप्सूल के खाली कवर जिस कैमिकल से बनाये जाते है उसका नाम है gelatin (जिलेटिन ) । जिलेटिन से ये सब के सब कैप्सूल के कवर बनाये जाते है ,और जिलेटिन के बारे मे आप सब जानते है और बहुत बार आपने मेनका गांधी के मुंह से भी सुना होगा की जब गाय के बछड़े या गाय को कत्ल किया जाता है उसके बाद उसके पेट की बड़ी आंत से जिलेटिन बनाई जाती है तो ये सब के सब कैप्सूल मांसाहारी होते है ।
आप चाहे तो मेरी बात पर विश्वास ना करें आप google पर (capsules made of ) लिख कर search करें । 1 नहीं 2 नहीं सैंकड़ों link आपको मिल जाएंगे ,
जिससे आपको स्पष्ट हो जाएगा की कैप्सूल जिलेटिन से बनाये जाते है
मित्रो आपने एक और बात पर ध्यान दिया होगा 90 % एलोपेथी ओषधियों पर कोई हरा या लाल निशान नहीं होता । कारण एक ही है इन ओषधियों मे बहुत अधिक मांसाहार का उपयोग होता है ,और कुछ दिन पहले कोर्ट ने कहा था की ओषधियों पर हरा या लाल निशान अनिवार्य होना चाहिए और ये सारी बड़ी एलोपेथी कंपनियाँ अपनी छाती कूटने लग गई थी ।
कैप्सूल के अतिरिक्त मित्रो एलोपेथी मे गोलियां होती है ( tablets ) । तो कुछ गोलियां जो होती है जिनको आप अपने हाथ पर रगड़ेगे तो उसमे से पाउडर निकलेगा ,हाथ सफ़ेद हो जाएगा पीला हो जाएगा ,वो तो ठीक है लेकिन कुछ गोलियां ऐसी होती है जिनको हाथ पर घसीटने से कुछ नहीं होता उन सबके ऊपर भी जिलेटिन का कोटिंग किया होता है वो भी कैप्सूल जैसा है । वो भी सब मांसाहारी है ।
थोड़ी सी कुछ गोलियां ऐसी है जिन पर जिलेटिन का कोटिंग नहीं होता ,लेकिन वो गोलियां इतनी खतरनाक है कि आपको कैंसर ,शुगर ,जैसे 100 रोग कर सकती हैं जैसे एक दवा है पैरासिटामोल । इस पर जिलेटिन का कोटिंग नहीं है ,
लेकिन ज्यादा प्रयोग किया तो ब्रेन हैमरेज हो जाएगा । ऐसे ही एक सिरदर्द की दवा है उस पर भी जिलेटिन का कोटिंग नहीं ज्यादा प्रयोग किया तो लीवर खराब हो जाएगा , ऐसे ही हार्ट के रोगियों को एक दवा दी जाती है उसमे भी कोटिंग नहीं लेकिन उसको ज्यादा खाओ तो किडनी खराब हो जाएगी ।
तो मित्रो जिनके ऊपर कोटिंग नहीं है वो वो दवा जहर है और जिनके ऊपर कोटिंग है वो दवा मांसाहारी है , तो अब प्रश्न उठता है तो हम खाएं क्या ?
मित्रो रास्ता एक ही आप अपनी चिकित्सा स्वयं करों अर्थात आपको पुनः
आयुर्वेद की ओर लौटना पड़ेगा ,
मित्रो दरअसल हमारे देश गौ ह्त्या मात्र मांस के लिए नहीं की जाती है इसके अतिरिक्त जो खून निकलता है,जो हड्डियों का चुरा होता है ,जो चर्बी से तेल निकलता है ,बड़ी आंत से जिलेटिन निकलती है ,चमड़ा निकलता है इन सब का प्रयोग कोसमेटिक (सोन्दर्य उत्पाद ),टूथपेस्ट ,नेलपालिश ,लिपस्टिक खाने पीने की चींजे , एलोपेथी ,दवाइयाँ जूते ,बैग आदि बनाने मे प्रयोग किया जाता है , जिसे हम सब लोग अपने दैनिक जीवन मे बहुत बार प्रयोग मे लाते है ,
तो गौ रक्षा की बात करने से पूर्व पहले हम सबको उन सब वस्तुओ का त्याग करना चाहिए जिनकी कारण जीव ह्त्या होती है , दैनिक जीवन मे प्रयोग होने वाली वस्तुओ की पहले अच्छे से परख करनी चाहिए फिर प्रयोग मे लाना चाहिए ।
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इस link पर देखें कैसे जिलेटिन (गौ ह्त्या करके )
कैप्सूल बनाये जाते हैं
राजीव भाई को शत शत नमन

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