ठंडे का मतलब कोकाकोला तो बिल्कुल भी
नहीं होता. गर्मियों के थपेड़े में जो राहत
प्राकृतिक पेयों से मिलती है इसका बोतलों के
भरे नकली मीठे पानी से क्या तुलना!
सुबह आफिस निकलते समय यदि आप बेल के शरबत का
एक गिलास ले लें तो दिन भर गरमी और लू से बचे
रहेंगे.
बेल व बिल्व पत्र के नाम से जाने जाना वाला
यह स्वास्थ्यवर्धक फल उत्तम वायुनाशक, कफ-
निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व
दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील
तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व
आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में
उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने
की क्षमता बिल्वपत्र में है।
बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक,
संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन
उतारने वाले हैं। ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत
शर्करा को कम करते हैं। शरीर के सूक्ष्म मल का
शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल
देते हैं। इससे शरीर की आभ्यंतर शुद्धि हो
जाती है। बिल्वपत्र हृदय व मस्तिष्क को बल
प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते
हैं। इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है।
*गर्मियों में लू लगने पर इस फल का शर्बत पीने
से शीघ्र आराम मिलता है तथा तपते शरीर
की गर्मी भी दूर होती है।
◆ तो आइये बेल का शरबत
बनाकर देखिये और असली ठंडक अनुभव
कीजिये.
आवश्यक सामग्री -
बेल फल - 2
चीनी - 4 --5 टेबल स्पून
वैकल्पिक
भुना जीरा - 1 छोटी चम्मच
काला नमक - 1 चम्मच
विधि:
बेल को धोइये, काटिये और गूदा निकाल
लीजिये.
एक भगोने में गूदे से दो गुना पानी डालकर
अच्छी तरह मसल लीजिये. इतना मसलिये कि
सारा गूदा और पानी एक लगने लगे.
इस मसले गूदे को मोटे छेद वाली चलनी में छान
लीजिये, चमचे से दबा दबा कर सारा रस
निकाल लीजिये.
निकाले हुये रस में चीनी मिला लीजिये. जब
चीनी अच्छी तरह घुल जाय तो इसमें ठंडा
पानी या बर्फ के क्यूब मिलाईये. नमक और
भुना जीरा भी मिलाईये. एक किलो बेल के
फल से लगभर चार पांच गिलास शरबत बन जाता
है.
ठंडा मीठा बेल का शरबत तैयार है.
पीजिये और पिलाइये और
परिवार और मित्रोंको गर्मी से बचाइये।
नहीं होता. गर्मियों के थपेड़े में जो राहत
प्राकृतिक पेयों से मिलती है इसका बोतलों के
भरे नकली मीठे पानी से क्या तुलना!
सुबह आफिस निकलते समय यदि आप बेल के शरबत का
एक गिलास ले लें तो दिन भर गरमी और लू से बचे
रहेंगे.
बेल व बिल्व पत्र के नाम से जाने जाना वाला
यह स्वास्थ्यवर्धक फल उत्तम वायुनाशक, कफ-
निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व
दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील
तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व
आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में
उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने
की क्षमता बिल्वपत्र में है।
बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक,
संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन
उतारने वाले हैं। ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत
शर्करा को कम करते हैं। शरीर के सूक्ष्म मल का
शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल
देते हैं। इससे शरीर की आभ्यंतर शुद्धि हो
जाती है। बिल्वपत्र हृदय व मस्तिष्क को बल
प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते
हैं। इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है।
*गर्मियों में लू लगने पर इस फल का शर्बत पीने
से शीघ्र आराम मिलता है तथा तपते शरीर
की गर्मी भी दूर होती है।
◆ तो आइये बेल का शरबत
बनाकर देखिये और असली ठंडक अनुभव
कीजिये.
आवश्यक सामग्री -
बेल फल - 2
चीनी - 4 --5 टेबल स्पून
वैकल्पिक
भुना जीरा - 1 छोटी चम्मच
काला नमक - 1 चम्मच
विधि:
बेल को धोइये, काटिये और गूदा निकाल
लीजिये.
एक भगोने में गूदे से दो गुना पानी डालकर
अच्छी तरह मसल लीजिये. इतना मसलिये कि
सारा गूदा और पानी एक लगने लगे.
इस मसले गूदे को मोटे छेद वाली चलनी में छान
लीजिये, चमचे से दबा दबा कर सारा रस
निकाल लीजिये.
निकाले हुये रस में चीनी मिला लीजिये. जब
चीनी अच्छी तरह घुल जाय तो इसमें ठंडा
पानी या बर्फ के क्यूब मिलाईये. नमक और
भुना जीरा भी मिलाईये. एक किलो बेल के
फल से लगभर चार पांच गिलास शरबत बन जाता
है.
ठंडा मीठा बेल का शरबत तैयार है.
पीजिये और पिलाइये और
परिवार और मित्रोंको गर्मी से बचाइये।
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