क्या आप जानते हैं कि “संता-बंता” कौन थे?क्या आप जानते हैं सिखों पर जोक्स क्यू बनाये जाते हैं तो पढ़िए इस पोस्ट को ।।.एक सरदार पर जोक बनाना औए सुनाना कितना आसान होता है न ?सर में पगड और बगल में कृपाण रखने वाले सरदार भी अक्सर आपके जोक्स और मजाक को भी नजरअंदाज करते हुए खुश रहते हैं फिर भी आप उनसे बगैर पूँछे “सरदार जी के बारह बज गए” कहते हुए मजे लेते रहते हैं ।ज्यादातर लोगों को लगता है की सरदार के चिल्ड नेचर और भाव-भंगिमाओं के कारण ही इस फ्रेज का लोग इस्तेमाल करते हैं ।आज हम आपको बताते हैं की इस 12 बजे वाले जुमले की पीछे की हकीकत क्या है,और निश्चित ही इसे पढ़कर इसका प्रयोग करने वालों को शर्मिंदगी जरूर महसूस होगी ।.1739 में जब आक्रांता नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला करते हुए,हिन्दुस्तानकी बहुमूल्य संपदा को लूटना शुरू कर दिया । इन हवसी आक्रमणकारियों ने करीब 2200 भारतीय महिलाओं को बंधक बना लिया ।उस वक्त सरदार जस्सा सिंह जो की सिख आर्मी के कमांडर-इन-चीफ थे,ने इन लुटेरों पर हमला करने की योजना बनायी । परन्तु उनकी सेना दुश्मन की तुलना में बहुत छोटी थी इसलिए उन्होंने आधी रात को बारह बजे हमला करने का निर्णय लिया ।फिर महज कुछ सैकड़ों की संख्या में सरदारों ने,कई हजार लुटेरों के दांत खट्टे करते हुए महिलाओं को आजाद करा दिया । सरदारों के शौर्य और वीरता से लुटेरों की नींद और चैन हराम हो गया...यह क्रम नादिर शाह के बाद उसके सेनापति अहमद शाह अब्दाली के काल में भी जारी रहा ।अब्दालियों और ईरानियों ने अब्दाल मार्केट में,हिन्दू औरतों को बेंचना शुरू कर दिया.सिखों ने अपनी मिडनाईट(12 बजे) में ही हमला करने की स्ट्रैटिजी जारी रखी और एक बार फिर दुश्मनों की आँखों में धुल झोंकते हुए महिलाओं को बचा लिया । सफलता पूर्वक लड़कियों और औरतों के सम्मान की रक्षा करते हुए,सिखों ने दुश्मनों और लुटेरों से अपनी इज्जत की हिफाजत की ।रात 12 बजे के समय में हमला करते समय मुस्लिम लुटेरे कहते थे “सरदारों के बारह बज गए” और इस तरह से यह सिलसिला शुरू हुआ ।आज मुगलों की औलादों ने सरदारों का मजाक उड़ाना शुरू किया और हम भी इनकी बातों में आये खैर इसे और ज्यादा बल 1984 केबाद मिला ।.संता-बंता” जिनके जोक पढ़कर हम और आप अक्सर हंसते हुए सिखों का, सरदारों का मजाक उड़ाते हैं, क्या कभी ये जानने की कोशिश कि आखिर ये दोनों कौन हैं?जून 1984 में इन्दिरा गांधी ने सिखों के धार्मिक स्थल श्री हरमिंदर साहब (स्वर्ण मंदिर, अमृतसर) पर हमले का आदेशदिया था (ऑपरेशन ब्लूस्टार), जिसमें सेना के जवानों सहित लगभग 2000 लोग मारे गए थे । इंदिरा गांधी ने अपने राजनेतिक फायदे के लिए भिंडरावाले का इस्तेमाल किया और जबभिंडरावाले ने इंदिरा गांधी के खिलाफ आवाज़ उठाई तो इंदिरागांधी ने स्वर्ण मन्दिर पर हमला कराया जिसमे सेकड़ों मासूमसिखों की मौत हुई । इस ऑपरेशन के चार महीने बाद इंदिरा गाँधी के ही दो अंगरक्षकों सरदार सतवंत सिंह और सरदार बेअंत सिंह ने घटना का प्रतिशोध लेते हुए अपने हथियारों से उन पर हमला करके उनकी हत्या कर दी थी । सतवंत और बेअंत को अपने धार्मिक स्थल पर हमला बर्दास्त नहीं था, मन्दिर कोकई चोटें आई और अकाल तख्त तबाह हो गया ।इंदिरा गांधी की मौत के बाद पुरे भारत में सिख विरोधी दंगेहुए जिसका केंद्र दिल्ली रहा । कांग्रेसियो ने करीबन 3000 सिखों का कत्लेआम किया ।.इंदिरा गाँधी का वध करने वाले इन दो सरदारों को बेइज्जत करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार के चमचों ने इनके उपर जोक बनाने शुरु किये, जिसमें सिक्खों का खूब मजाक उड़ाया जाने लगा। और जिसका बेहूदा सिलसिला आज तक थमा नहीं है ।बात सिर्फ संता बंता की नहीं, बात पूरे सिक्ख समुदाय की है। क्योंकि इन अभद्र चुटकुलों के नाम पर अपमान सिर्फ संता-बंता यानि “सतवंत सिंह” और “बेअंत सिंह” का नहीं पूरे सिक्ख समुदाय का हो रहा है । सरदारों को “12 बज गए” कह कर चिढाना/हँसना बेहद शर्मनाक है । उन विदेशी लुटेरों से रक्षित स्त्रियों के वंशजों द्वारा ‘लुटेरों की ही टिप्पणी’ को दोहराना अनजाने में ही सही पर,किसी देशद्रोह से कम नहीं है।.सरदारों के “12 बज गए” एक ऐसा मुहावरा है जो की उन लुटेरों के ‘गीदड़पाने’ और हमारी वीरता का पर्याय है,इसे लाफिंग मैटरके रूप में नहीं बल्कि गर्व के रूप में कहिये।यदि आप चाहते हैं कि आपस में भाईचारा बना रहे तो प्रण लें कि आज के बाद संता-बंता के अभद्र चुटकले, जिनसे हमारे सिख भाइयों का मान घटता हो, मजाक बनता हो, का सम्पूर्ण बहिष्कारकरेंगे।सिख एक महान कौम है,जिसने मध्यकाल में गुलामी की काली रात में सनातन और हिन्दुस्तान को स्वयं के प्राणों की बलि देकर बचाए रखा ।गुरु गोविन्द सिंह जी की प्रसिद्द उक्ति है सवा लाख से एक लडाऊं,तब मै गुरु गोबिंद सिंह कहलाऊं ।.इसलिए भविष्य में कभी भी सिखों के नाम पर जोक्स न बनाने का प्रण लें और अगर आपके Whatsapp या Facebook पर सिखों के नाम पर जोक्स आएं ।अगर किसी भी जोक्स में संता बंता के नाम का इस्तेमाल हो तो वहां एडिट कर अकबर, बाबर, शाहजहाँ, ओरंगजेब और इस देश के हरमखोर नेताओं का नाम लिख अपने दोस्तों को भेजें ।सरदार और सिख राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं। सरदार के केश और कृपाण उसे अतुलित धैर्य और साहस से परिपूरित करते हैं ।यदि आप हमसे सहमत हों तो कृपया पोस्ट को आगे अपने मित्रों के लिए भी प्रेषित करें । सतनाम वाहेगुरु । जय हिन्द ।
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