Thursday 10 March 2016

(Sovereign remedy for knee pain)घुटने के दर्द के लिए रामबाण इलाज़

1 चम्मच हल्दी1 चम्मच पिसी हुई चीनी
1 चुटकी खाने वाला चुना1 -2 चम्मच पानी
उपरोक्त सभी को मिला कर एक लेप बना लीजिये और रात्रि में सोते समय लगा के सो जाइए.
कुछ ही दिन में आप को आराम आना शूरु हो जायेगा. दर्द सूजन मोच सब खीच लेगा ये लेप.
चमत्कारी हल्दी
भारतीय रसोई की शान हल्दी सचमुच गुणों की खान है। हल्दी की गांठों को चूने के साथ दो महीने एक मटकी में पकाना पड़ता है तब वह चमत्कारिक हो जाती है। दो महीने बाद इस हल्दी का शहद के साथ नियमित सेवन किया जाए तो शरीर का कायाकल्प हो जाता है। आप भी चाहें तो कर सकते हैं।
बनाने की विधिः आधा किलो हल्दी की गांठे और एक किलो कली का चूना
(पान में खाने वाला) लीजिए। चूना डली के रूप में हो पावडर नहीं। दोनों को एक
मटकी में भर कर उसमें करीब दो लीटर पानी भर दीजिए। पानी डालते ही चूना उबलने लगेगा। दो माह के लिए इसे ऐसे ही रख दें दो माह बाद इस हल्दी को ठीक से धोकर कपडे से अच्छी तरह पोंछ कर धुप में सुखा लें फिर इन्हें महीन पीस कर कांच के बर्तन में रख लें चमत्कारी हल्दी का पावडर तैयार है। रोज सुबह हलके नाश्ते के बाद तीन ग्राम पावडर शहद के साथ चाटिए। करीब एक घंटे तक कुछ खाएं पीए नहीं। कम से कम चार महीने तक सेवन करें। छोटे बच्चों को एक से डेढ़ ग्राम तक दें. जिन्हें किडनी मूत्राशय पेशाब की थैली में पथरी हो वो न खाएं
आपभी प्रयोग कर अनुभव शेयर कीजिए। आयुर्वेद में ऐसे अनेक नुस्खों का खजाना भरा पड़ा है, जरूरत है इन्हें नए सिरे से शोध कर आजमाने की। यह प्रयोग हाथ पैरों कमर जोड़ों के दर्द के लिए रामबाण है.जिन्हें कैल्सियम की कमी हो, घाव न भरते हों, बच्चों की लम्बाई न बढती हो, टूटी हड्डी न जुड़ रही हो...ये बहुत जबरदस्त नुस्खा है जिसे भी कैल्सियम की दवाएं खानी पड़ती हों उसे जरुर बताएं.

अमृत तूल्य है बेल का शर्बत(Bell is like nectar syrup)

ठंडे का मतलब कोकाकोला तो बिल्कुल भी
नहीं होता. गर्मियों के थपेड़े में जो राहत
प्राकृतिक पेयों से मिलती है इसका बोतलों के
भरे नकली मीठे पानी से क्या तुलना!
सुबह आफिस निकलते समय यदि आप बेल के शरबत का
एक गिलास ले लें तो दिन भर गरमी और लू से बचे
रहेंगे.
बेल व बिल्व पत्र के नाम से जाने जाना वाला
यह स्वास्थ्यवर्धक फल उत्तम वायुनाशक, कफ-
निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व
दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील
तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व
आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में
उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने
की क्षमता बिल्वपत्र में है।
बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक,
संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन
उतारने वाले हैं। ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत
शर्करा को कम करते हैं। शरीर के सूक्ष्म मल का
शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल
देते हैं। इससे शरीर की आभ्यंतर शुद्धि हो
जाती है। बिल्वपत्र हृदय व मस्तिष्क को बल
प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते
हैं। इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है।
*गर्मियों में लू लगने पर इस फल का शर्बत पीने
से शीघ्र आराम मिलता है तथा तपते शरीर
की गर्मी भी दूर होती है।
◆ तो आइये बेल का शरबत
बनाकर देखिये और असली ठंडक अनुभव
कीजिये.
आवश्यक सामग्री -
बेल फल - 2
चीनी - 4 --5 टेबल स्पून
वैकल्पिक
भुना जीरा - 1 छोटी चम्मच
काला नमक - 1 चम्मच
विधि:
बेल को धोइये, काटिये और गूदा निकाल
लीजिये.
एक भगोने में गूदे से दो गुना पानी डालकर
अच्छी तरह मसल लीजिये. इतना मसलिये कि
सारा गूदा और पानी एक लगने लगे.
इस मसले गूदे को मोटे छेद वाली चलनी में छान
लीजिये, चमचे से दबा दबा कर सारा रस
निकाल लीजिये.
निकाले हुये रस में चीनी मिला लीजिये. जब
चीनी अच्छी तरह घुल जाय तो इसमें ठंडा
पानी या बर्फ के क्यूब मिलाईये. नमक और
भुना जीरा भी मिलाईये. एक किलो बेल के
फल से लगभर चार पांच गिलास शरबत बन जाता
है.
ठंडा मीठा बेल का शरबत तैयार है.
पीजिये और पिलाइये और
परिवार और मित्रोंको गर्मी से बचाइये।

बर्फ के औषधीय गुण, अवश्य पढ़ें(Medicinal properties of ice, Must Read)

गर्मियों में बर्फ सभी को अच्छा लगता है। बर्फ का प्रयोग हम गर्मी से राहत पाने के लिए करते हैं। लेकिन बर्फ के कई औषधीय गुण भी हैं। जानते हैं इन्हीं गुणों के बारे में :

जल जाने पर :


जल जाने के तुरंत बाद बर्फ का टुकड़ा लेकर जले स्थान पर मलने से जलन शांत होती है। छाले नहीं पड़ते।

नकसीर :

नाक से खून निकलने पर बर्फ को किसी कपड़े में लेकर नाक के ऊपर चारों ओर रखें। थोड़ी देर में खून निकलना बंद हो जाएगा।

चोट लगने पर :

किसी भी प्रकार की अंदरूनी चोट लगने पर तुरंत बर्फ मलने से खून जमने की आशंका नहीं रहती। दर्द भी कम होता है।

खून बहने पर :

चोट लगने के कारण खून बह रहा हो और किसी भी प्रकार से खून रूक नहीं रहा हो तो ऐसे में उस स्थान पर बर्फ की पट्टी बांध दें। इससे खून बहना बंद हो जाएगा।

मोच आने पर :

मोच आने पर उस जगह पर तुरंत बर्फ लगाने से सूजन नहीं आती।

गले में खराश :

गले में खराश होने पर बर्फ का टुकड़ा लेकर गले के बाहर धीरे-धीरे मलने पर खराश में राहत मिलती है।

वात रोग :

वात या गठिया के दर्द को दूर करने के लिए दर्द वाले हिस्से पर बर्फ का टुकड़ा दो मिनट तक रखें। फिर हटा दें। दो मिनट बाद पुन: उस स्थान पर बर्फ का टुकड़ा रखें। यह प्रक्रिया 8 से 10 बार करें। इससे दर्द में राहत मिलती है।
मित्रों से मेरी विनती है इस पोस्ट को शेयर करे और आगे बढ़ाए.ताकी पूरा भारत स्वास्थ हो।