Tuesday, 19 April 2016

*Important General Knowledge Questions And Answers For All Competitive Exams *

भारत में पहली कोयले की खान - रानीगंज (1820)भारत की पहली ट्रेन - मुम्बई से ठाणे (1853)भारत का पहला राकेट - रोहणी (1967)भारत का पहला उपग्रह - आर्यभट् (1975)भारत की पहली इस्पात फैक्टी - टाडाजमशेदपुर (1907)भारत का पहला कृषि विश्व विद्यालय - पंतनगर विश्व विद्यालय (1960)भारत का पहला नेशनल पार्क - जिम कार्बेट (1936)भारत की पहली हवाई उड़ान - इलाहाबाद से नैनी (1911)भारत का पहला जूट कारखाना - रिसरा (कलकत्ता में 1855)भारत की पहली सीमेण्ट फैक्ट्री- चेन्नई (1904)भारत की पहली रबड़ की फैक्टी - बरेंली (1955)भूटान का राष्ट्रीय खेल कौनसा है। - निशानेबाजी पीली क्रान्ति' शब्द किस वस्तु के बड़ी मात्रा में उत्पादन से सम्बन्धित है? - खाद्य तेल देश की प्रथम महिला लोकसभाध्यक्ष का क्या नाम हैं ? - मीरा कुमारी आगामी खेल प्रतियोगिताए :- (क्र०) खेल :आयोजक देश (वर्ष) (1) 11वाँ विश्व कप क्रिकेट: - आस्ट्रलिया-न्यूजीलैंड (2015) (2) 12वाँ विश्व कप क्रिकेट: इंग्लैंड - (2019)(3) 13 वाँ विश्व कप क्रिकेट: भारत - (2023)(4) 31 वें ओलंपिक खेल : ब्राज़ील (2016)(5) 32 वें ओलंपिक खेल : जापान (2020)(6) 21वाँ विश्व कप फुटबॉल: रूस (2018)(7) 22 वाँ विश्व कप फुटबॉल : क़तर (2022)(8) वन डे महिला विश्व कप : न्यूजीलैंड (2021)(9) प्रथम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप : इंग्लैंड (2017)(10) ट्वेंटी 20 महिला विश्व कप : भारत (2016)(11) ट्वेंटी 20 महिला विश्व कप : वेस्टइंडीज (2018)(12) ट्वेंटी 20 महिला विश्व कप : ऑस्ट्रेलिया (2020)1. विद्युत आवेश का मात्रक है। - कूलॉम2. विद्युत धारा का मात्रक क्या है। - ऐम्पियर3. विद्युत धारिता का मात्रक कहलाता है। - फैरड4. रेडियोएक्टिवता का मात्रक है। - क्यूरी5. ओम किसका मात्रक है। - प्रतिरोध6. अंतरिक्ष यान का वह कक्ष जिसमें अंतरिक्ष यात्री रहते हैं, कहलाता है। - कैप्सूल 7. सोयाबीन उत्पादन की दृष्टि सेदेश में राजस्थान का कौनसा स्थान है। - चौथा8. अभ्रक व तांबा उत्पादन में राजस्थान का कौनसा स्थान है। - दूसरा9. खुम्बी, छत्रक व कुकुरमुत्ता किसके उपनाम है। - मशरूम10. उनालू की फसल कहलाती हैं। - रबी की फसल11. स्यालू किस फसल को कहते हैं। - खरीफ की फसल को‪#‎Note‬: आप लोगो से निवेदन है की कृपया करके में बताये की आपको पोस्ट कैसा लगा?? Good or Bad ताकि हमे भी पता लगे की हम ज्ञान बांटने में कितना सफल हो रहे ह

Important points

1. टमाटर का रंग किस कारण लाल होता है ?उत्तर : लाइकोपीन के2. क्रिकेट मैचों का भारत में T.V. पर सीधा प्रसारण1966 में कहाँ प्रारंभ हुआ था ?उत्तर : दिल्ली में3. 1 KB बराबर होता है ?उत्तर : 1024 बाइट्स4. मधुबनी कला का सम्बन्ध किस राज्य से है ?उत्तर : बिहार5. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना मदनमोहन मालवीय ने कब की थी ?उत्तर : 1916 ई में6. कला की ' गंधार शैली ' को किस शैली की संज्ञा दीजाती है ?उत्तर : ग्रीक-बौद्ध शैली7. अकबर का राज्याभिषेक 14 वर्ष की आयु में कहाँहुआ था ?उत्तर : कालानौर में8. राष्ट्रीय ध्वज की डिज़ाइन किसने बनाई थी ?उत्तर : पिंगाली बेंकैया9. हुमायूं के मकबरे का निर्माण किसने किया था ?उत्तर : मीरक मिर्ज़ा ग्यासबेग ने10. विश्व कि सबसे चौड़ी जलसंधि कौन -सा है ?उत्तर : डेविस जलसंधि11. इलाइची की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी होती है ?उत्तर : लैटेराइट12. पृथ्वी का औसत तापमान कितना है ?उत्तर : 15°C13. भारत में प्रथम प्रेस की स्थापना 1550 मेंकिसने की थी ?उत्तर : पुर्तगालीयों ने14. अशोक स्तंभ को दिल्ली किसने लाया था ?उत्तर : फिरोजशाह तुगलक ने15. अवध का अंतिम नवाब कौन था ?उत्तर : वाजिद अली शाह16. ' माउण्ट एवरेस्ट ' का नाम भारत के किस महासर्वेक्षक के नाम पर पड़ा है ?उत्तर : जॅान एवरेस्ट17. शारदा एक्ट किससे सम्बन्धित है ?उत्तर : बाल विवाह

विटामिन के प्रमुख स्रोत

🌳विटामिन ‘ए’- पीले फल, पीली सब्जियां (आम, गाजर, पपीता, कद्दू )गहरी हरी सब्जियां (पालक, मूली पत्ता) गौघृत, मख्खन, दूध आदि🌳विटामिन बी - जैविक आहार, अन्न ,, हरी पत्तीदार सब्जियां, कण युक्त चावल (मील छंटा नहीं) आद🌳बी- 2- ताजी हरी सब्जियां दूध, फल🌳बी- 3- नींबू, अंकुरित अन्न, घी, सब्जियां ,, मूंगफली🌳 बी- 6- अंकुरित अन्न, दूध, मेवे, ताजी सब्जियां, फल🌳बी-12- दूध,दही, अंकुरित अन्न🌳विटामिन एच-अंकुरित अन्न, दूध, खमीर आदि🌳पेन्टोथेनिक एसिड- अंकुरित अन्न, खमीर🌳कोलिन-फल, साग भाजी, अंकुरित अन्न, दूध🌳इनोसिटाल-अंकुरित अन्न, खमीर आदि🌳फोलिक एसिड- अंकुरित अन्न, ताजी हरी सब्जियां🌳विटामिन सी- आंवला, अमरूद, टमाटर व अन्य खट्टे फल, अंकुरित अन्न,ताजी हरी सब्जियां, ताजे फल🌳विटामिन डी- सुबह की धूप, दूध🌳विटामिन ई- अंकुरित अन्न, हरी सब्जी, गेहूं तथा चावल के अंकुर मेंसबसे अधिक🌳विटामिन के- ताजी हरी सब्जी, फल, अंकुरित अन्न🌳विटामिन पी- खट्टे फल(नींबू आदि) में🌳विटामिन एफ- घाणी का कोई भी तेल

नींबू के 19 आयुर्वेदिक नुस्ख

1-शुद्ध शहद में नींबू की शिकंजी पीने से मोटापा दूर होता है।2-नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है।3-नींबू का रस एवं शहद एक-एक तोला लेने से दमा में आराम मिलता है।4-नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।5- नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेरिया ज्वर में आराम मिलता है।6-नींबू के रस में नमक मिलाकर नहाने से त्वचा का रंग निखरता है और सौंदर्य बढ़ता है।7- नौसादर को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद ठीक होता है।8- नींबू के बीज को पीसकर लगाने से गंजापन दूर होता है।9-बहरापन हो तो नींबू के रस में दालचीनी का तेल मिलाकर डालें।10-आधा कप गाजर के रस में नींबू निचोड़कर पिएं, रक्त की कमी दूर होगी।11- दो चम्मच बादाम के तेल में नींबू की दो बूंद मिलाएं और रूई की सहायता से दिन में कई बार घाव पर लगाएं, घाव बहुत जल्द ठीक हो जाएगा।12- प्रतिदिन नाश्ते से पहले एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच ज़ैतून का तेल पीने से पत्थरी से छुटकारा मिलता है।13- किसी जानवर के काटे या डसे हुए भाग पर रूई से नींबू का रस लगांए,लाभ होगा।14- एक गिलास गर्म पानी में नींबू डाल कर पीने से पांचन क्रिया ठीक रहती है।15- चक्तचाप, खांसी, क़ब्ज़ और पीड़ा में भी नींबू चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है।16- विशेषज्ञों का कहना है कि नींबू का रस विटामिन सी, विटामिन, बी, कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस, मैग्नीशियम, प्रोटीन और कार्बोहाईड्रेट से समृद्ध होता है।17- विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मसूढ़ों से ख़ून रिसता हो तो प्रभावित जगह पर नींबू का रस लगाने से मसूढ़े स्वस्थ हो जाते हैं।18- नींबू का रस पानी में मिलाकर ग़रारा करने से गला खुल जाता है।19- नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीने से त्वचा रोगों से भी बचावहोता है अतः त्वचा चमकती रहती है, कील मुंहासे भी इससे दूर होते है

जनरल साइंस

Ø 'सोल्डर' किसकी मिश्रधातु है? – टिन और सीसाØ पराबैंगनी किरणों को सर्वप्रथम किसने देखा? – जोहान विलहैल्म रिटरØ बायोप्सी क्या है? – कोशा और ऊतकों के प्रयोग से एक चिकित्सीय रोग निदान तकनीकØ हीमोग्लोबिन और क्रोमेटिन के निर्माण के लिए आवश्यक खनिज लवण क्या है? – लौहØ टेस्ट ट्यूब बेबी का अर्थ है? – ट्यूब में निषेचन होनाØ फेरिक ऑक्साइड में लोहे की संयोजकता क्या है? +3Ø बैटरी का धन ध्रुव क्या होता है? – एनोडØ ऊतक (Tissue) क्या है? – समान कोशिकाओं का समूहØ एड्स (AIDS) कैसे फैलता है? – वायरस युक्त रक्त के लेने सेØ ओजोन की परत हमें किस किरण से बचाती है? – पराबैंगनी किरणØ प्याज, आलू, गाजर और अदरक में से कौन-सी जड़ है? – गाजरØ भोजन का पाचन मुख्यत: किस अंग से शुरू होता है? – मुखØ मानव के शरीर में सबसे अधिक मात्रा में कौन-सा तत्व पाया जाता है? – ऑक्सीजनØ सेण्टीग्रेड और फॉरेनहाइट मापनी कहाँ पर एक ही पाठ्यांक दिखाता है? – {-40°}Ø डायनामाइट में मुख्य रूप से क्या होता है? – नाइट्रोग्लिसरीनØ मानव शरीर में ऊर्जा की उत्पत्ति क्या पहुँचाकर होती है? – ऊतकों में ऑक्सीजन पहुँचाकरØ सूक्ष्मतम जीवित कोशिका है?– माइक्रो प्लाज्माØ कौन-सा पौधा तना छिद्रक कीट से खराब रूप से प्रभावित होता है? – गन्नाØ कौन-सा राज्य ताँबे का एक प्रमुख उत्पादक है? – राजस्थानØ किस मिट्टी को सबसे कम जोतने की आवश्यकता होती है? – कालीØ केल्विन स्केल में मानव शरीर का सामान्य तापमान कितना होता है? – 310

Monday, 18 April 2016

●The Program Of Death●

"मृत्यु"जीवन का शाश्वत सत्य है... पर... किसी दुर्घटना में जान गवा देना या किसी के द्वारा आघात करने से मर जाना समझ आता हैमैं बात कर रहा हूँ आज... "वृद्ध हो के मरने की"ऐसा क्या है जिसकी वजह से लोग बूढ़े होने लगते है और अंत में सुबह पता चलता है कि... "शरीर है... पर वो अब नहीं रहे"ये मृत्यु का प्रोग्राम काम कैसे करता है??------------------------------------------------"कोशिका" यानी Cell, इन्सान के शरीर की सबसे छोटी इकाई हैहर कोशिका के केन्द्र में हमारे शरीर का ब्लू प्रिंट "DNA" पाया जाता है..... आपके शरीर की लम्बाई चौड़ाई, रंग, आदते और छोटी से छोटी चीज का निर्धारण... आपका डीएनए करता हैडीएनए में लगभग तीन अरब तक न्युक्लियोटाइड पाए जाते है। ये न्युक्लियोटाइड 4 प्रकार के होते है।A (एडिनिन)G (ग्वानिन)C (साईटोसिन)T (थायमिन).बेसिकली डीएनए... इसी AGCT भाषा में लिखा हुआ लगभग तीन अरब अक्षरों का प्रोग्राम होता है।जैसे- ACGTGCATGCA..... AND SO ONये प्रोग्राम "आपको" describe करता है। प्रकृति में सभी सजीव और वनस्पति इस ACGT की भाषा को बोलते हैआपका डीएनए दुनिया के हर व्यक्ति से 99.9%.... और चिम्पेंजी से 96% मिलता हैऔर... अपने कमरे की मेज पर फलो की टोकरी में रखा "केला" अर्थात banana दिख रहा है?Well.... your DNA is 50% identical to bananas too."A War Against Cancer" टॉपिक में मैंने कहा था की हमारी कोशिकाएअपनी कॉपी तैयार करती है। पुरानी कोशिकाए मरती जाती है और नयी कोशिकाए जन्म लेती है। शरीर की स्वस्थता और "Automatic Healing System" का यही राज हैहर बार... जब आपकी कोशिका अपनी कॉपी तैयार करती हैतो... कोशिका में मौजूद डीएनए भी copy होता हैडीएनए डैमेज से प्रोटेक्शन के लिए डीएनए की रचना के दोनों सिरों पर... Dead Dna के कैप्स लगे होते है... जिन्हें "Telomeres" कहतेहैं(Image given in 1st comment).कोशिका के विभाजन के साथ साथ हर बार "Telomere" यानी टेलोमेर छोटाहोता चला जाता है...और एक समय ऐसा आता हैजब.... टेलोमेर ख़तम हो जाता हैIts no longer thereऔर तब... कोशिकाओं का विभाजन रुक जाता हैAs A Result....पुरानी कोशिकाए मरने लगती है और नयी कोशिकाए बनना बंद हो जाता हैआप बुढ़ापे को प्राप्त होने लगते हैआपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे धीरे समाप्त होने लगती हैअंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते हैऔर एक दिन... Finally....You Are Dead...!!!!.ये Telomere आपके मृत्यु के प्रोग्राम की मुख्य चाबी हैवैज्ञानिक इस पर कार्य कर रहे है की किस तरह इन टेलोमेर की लम्बाई बढाई जा सके.ये टेलोमेर कितने लम्बे होगे... इसका निर्धारण आपके माँ-बाप से होता है... आपके जन्म के साथ ही इन टेलोमेर की लम्बाई निश्चित हो जाती हैऔरदुनिया में आते ही... टेलोमेर रुपी आपकी ये बायोलॉजिकल Death Clock शुरू हो जाती हैIn A Way... Your death clock is hidden within your DNA.Means.... Once you are born....You Are Also Programmed To Die !!!

Wednesday, 13 April 2016

खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से शुरू होती है बीमारिया

सबसे पहले आप हमेशा ये बात याद रखें कि शरीर मे सारी बीमारियाँ वात-पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं !अब आप पूछेंगे ये वात-पित्त और कफ क्या होता है ???बहुत ज्यादा गहराई मे जाने की जरूरत नहीं आप ऐसे समझे की सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं ! छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं ! और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगड़ने के कारण होतेहैं !हमारे हाथ की कलाई मे ये वात-पित्त और कफ की तीन नाड़ियाँ होती हैं !भारत मे ऐसे ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ रहे हैं जो आपकी नाड़ी पकड़ कर ये बता दिया करते थे कि आपने एक सप्ताह पहले क्या खाया एक दिन पहले क्या खाया -दो पहले क्या खाया !! और नाड़ी पकड़ कर ही बता देते थे कि आपको क्या रोग है ! आजकल ऐसी बहुत ही कम मिलते हैं!शायद आपके मन मे सवाल आए ये वात -पित्त कफ दिखने मे कैसे होते हैं???तो फिलहाल आप इतना जान लीजिये ! कफ और पित्त लगभग एक जैसे होते हैं ! आम भाषा मे नाक से निकलने वाली बलगम को कफ कहते हैं ! कफ थोड़ा गाढ़ाऔर चिपचिपा होता है ! मुंह मे से निकलने वाली बलगम को पित्त कहते हैं ! ये कम चिपचिपा और द्रव्य जैसा होता है !! और शरीर से निकले वालीवायु को वात कहते हैं !! ये अदृश्य होती है !कई बार पेट मे गैस बनने के कारण सिर दर्द होता है तो इसे आप कफ का रोग नहीं कहेंगे इसे पित्त का रोग कहेंगे !! क्यूंकि पित्त बिगड़ने से गैस हो रही है और सिर दर्द हो रहा है ! ये ज्ञान बहुत गहरा है खैर आप इतना याद रखें कि इस वात -पित्त और कफ के संतुलन के बिगड़ने से हीसभी रोग आते हैं !और ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं ! बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है !बार बार खांसी ,सर्दी ,छींके आना आदि होगा ! 14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं बार बार पेट दर्द करना ,गैस बनना,खट्टी खट्टी डकारे आना आदि !! और उसके बाद बुढ़ापे मे वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं घुटने दुखना ,जोड़ो का दर्द आदि_________________________भारत मे 3 हजार साल पहले एक ऋषि हुए है उनका नाम था वाग्बट्ट ! उन्होने ने एक किताब लिखी जिसका नाम था अष्टांग हृदयं !! वो ऋषि 135 साल तक की आयु तक जीवित रहे थे ! अष्टांग हृदयं मे वाग्बट्टजी कहते हैं की जिंदगी मे वात्त,पित्त और कफ संतुलित रखना ही सबसे अच्छी कला है और कौशल्य है सारी जिंदगी प्रयास पूर्वक आपको एक ही काम करना है की हमारा वात्त,पित्त और कफ नियमित रहे,संतुलित रहे और सुरक्षित रहे|जितना चाहिए उतना वात्त रहे,जितना चाहिए उतना पित्त रहे और जितना चाहिए उतना कफ रहे|तो जितना चाहिए उतना वात्त,पित्त और कफ रहे उसके लिए क्या करना हैउसके लिए उन्होने 7000 सूत्र लिखे हैं उस किताब मे !उसमे सबसे महत्व पूर्ण और पहला सूत्र है :भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है | )अब समझते हैं क्या कहा वाग्बट्टजी ने !!कभी भी खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना !! अब आप कहेंगे हम तो हमेशा यही करते हैं ! 99% लोग ऐसे होते है जो पानी लिए बिना खाना नहीं खाते है |पानी पहले होता है खाना बाद मे होता है |बहुत सारे लोगतो खाना खाने से ज्यादा पानी पीते है दो-चार रोटी के टुकडो को खाया फिर पानी पिया,फिर खाया-फिर पानी पिया ! ऐसी अवस्था मे वाग्बट्टजी बिलकुल ऐसी बात करते हे की पानी ही नहीं पीना खाना खाने के बाद ! कारण क्या ? क्यों नहीं पीना है ?बात ऐसी है की हमारा जो शरीर है शरीर का पूरा केंद्र है हमारा पेट|ये पूरा शरीर चलता है पेट की ताकत से और पेट चलता है भोजन की ताकत से|जो कुछ भी हम खाते है वो ही हमारे पेट की ताकत है |हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने रोटी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी कुछ भी दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करताहै |आप कुछ भी खाते है पेट उसके लिए उर्जा का आधार बनता है |अब हम खाते है तो पेट मे सब कुछ जाता है|पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है अमाशय|उसी स्थान का संस्कृत नाम है जठर|उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है epigastrium |ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है ये |बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|अब अमाशय मे क्या होता है खाना जैसे ही पहुँचता है तो यह भगवान की बनाई हुई व्यवस्था है जो शरीर मे है की तुरंत इसमें आग(अग्नि) जल जाती है |आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे जठराग्नि|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है |ये आग ऐसी ही होती है जेसे रसोई गेस की आग|आप की रसोई गेस की आग है ना कीजेसे आपने स्विच ओन किया आग जल गयी|ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है |आपने खाना खाया और अग्नि जल गयी अब अग्नि खाने को पचाती है |वो ऐसे ही पचाती है जेसे रसोई गेस|आपने रसोई गेस पर बरतन रखकर थोडा दूध डाल दिया और उसमे चावल डाल दिया तो जब तक अग्नि जलेगी तब तक खीर बनेगी|इसी तरह अपने पानी डाल दिया और चावल डाल दिए तो जब तक अग्नि जलेगी चावल पकेगा|अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |अब होने वाला एक ही काम है जो आग(जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|अब हमेशा याद रखें खाना पचने पर हमारे पेट मे दो ही क्रिया होती है |एक क्रिया है जिसको हम कहते हे Digation और दूसरी है fermentation|फर्मेंटेशन का मतलब है सडना और डायजेशन का मतलब हे पचना|आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उसका रस बनेगा|जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|ये तभी होगा जब खाना पचेगा|अब ध्यान से पढ़े इन् शब्दों को मांस की हमें जरुरत है हम सबको,मज्जा की जरुरत है ,रक्त की भी जरुरत है ,वीर्य की भी जरुरत है,अस्थि भी चाहिए,मेद भी चाहिए|यह सब हमें चाहिए|जो नहीं चाहिए वो मल नहीं चाहिए और मूत्र नहीं चाहिए|मल और मूत्र बनेगा जरुर ! लेकिन वो हमें चाहिए नहीं तो शरीर हर दिन उसको छोड़ देगा|मल को भी छोड़ देगा और मूत्र को भी छोड़ देगा बाकि जो चाहिए शरीर उसको धारण कर लेगा|ये तो हुई खाना पचने की बात अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?अगर आपने खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी लिया तो जठराग्नि नहीं जलेगी,खाना नहीं पचेगा और वही खाना फिर सड़ेगा|और सड़ने के बाद उसमे जहर बनेंगे|खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड(uric acid )|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है ,मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ,वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|यह यूरिक एसिड विष (जहर ) है और यह इतना खतरनाक विष है की अगर अपने इसको कन्ट्रोल नहीं किया तो ये आपके शरीर को उस स्थिति मे ले जा सकता है की आप एक कदम भी चल ना सके|आपको बिस्तर मे ही पड़े रहना पड़े पेशाब भी बिस्तर मे करनी पड़े और संडास भी बिस्तर मे ही करनी पड़े यूरिक एसिड इतना खतरनाक है |इस लिए यह इतना खराब विष हे नहीं बनना चाहिए |और एक दूसरा उदाहरण खाना जब सड़ता है तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे LDL (Low Density lipoprotive) माने खराब कोलेस्ट्रोल(cholesterol )|जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )हाय बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ? तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ? तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |इससे भी ज्यादा खतरनाक विष हे वो है VLDL(Very Low Density lipoprotive)|येभी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है |अगर VLDL बहुत बढ़गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका triglycerides बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,कोईLDL – VLDL के नाम से कहे समज लीजिए की ये विष हे और ऐसे विष 103 है |ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,कोई कहता हे मेराtriglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|खाना पचने पर जोबनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड,कोलेस्ट्रोल,LDL-VLDL| और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं !तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग(जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|क्योंकि बिना आग केखाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है |रसोई मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पका सकते और पेट मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पचा सकते|महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे कोई कहता हे मैंने 100 ग्राम खाया,कोईकहता है मैंने 200 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 300 ग्राम खाया वो कुछ महत्व का नहीं है लेकिन आपने पचाया कितना वो महत्व है |आपने 100 ग्राम खाया और 100 ग्राम पचाया बहुत अच्छा है |और अगर आपने 200 ग्राम खाया और सिर्फ 100 ग्राम पचाया वो बहुत बेकार है |आपने 300 ग्राम खाया और उसमे से 100 ग्राम भी पचा नहीं सके वो बहुत खराब है !!खाना पच नहीं रहा तो समझ लीजिये विष निर्माण हो रहा है शरीर में ! औरयही सारी बीमारियो का कारण है ! तो खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये !अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना ! अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??बात ऐसी है ! जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मेमिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है ! पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है ! उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है ! (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है )पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है ! तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले !! उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको एकघंटे बाद पानी पीना चाहिए !खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!1) जूस2) छाज (लस्सी) या दहीं !3) दूधसुबह खाने के बाद अगर तुरंत कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !और दूध हमेशा रात को पिये !!इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं या लस्सी दोपहर को दूध रात को ही पिये !जूस या फल सुबह ,दहीं या लस्सी दोपहर , और दूध हमेशा रात को क्यूँ पीना चाहिए ??ज्यादा विस्तार मे न जाते हुए आप बस इतना समझे कि इन तीनों को पचानेके लिए शरीर मे अलग अलग इंजाएम उत्पन होते है !जूस या फल सुबह को पचाने के इंजाईम हमेशा सुबह उत्पन होते है इसी तरह दहीं और छाझ को पचाने वाले दोपहर को और दूध को पचाने वाले रात को !!शाम या रात को पिया हुआ जूस अगले दिन सिर्फ मूत्र के साथ flesh out होता है !_________________ये तो हुआ खाने के बाद पानी पीने के बारे मे अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं ! अब आप पूछेंगे ये 45 मिनट का calculation ????बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है ! और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है ! तो पानी – पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है ! तो आप खानाखाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !तो यहाँ एक सूत्र समाप्त हुआ ! आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!